Jet Airways फिर भरेगी उड़ान? NCLT से बिना स्लॉट के रिजोल्यूशन प्लान को मंजूरी, जरूरी अप्रूवल के लिए मिली 90 दिन की मोहलत
Jet Airways resolution plan: जेट के लिए आगे का चैलेंज सिक्योरिटी क्लीयरेंस और AOP है. काम के स्लॉट नहीं मिले तो रिजोल्यूशन प्लान बेकार हो जाएगा.
NCLT से बिना स्लॉट के Jet airways के रिजोल्यूशन प्लान को मंजूरी मिली.
NCLT से बिना स्लॉट के Jet airways के रिजोल्यूशन प्लान को मंजूरी मिली.
Jet Airways resolution plan: जेट एयरवेज के रिजोल्यूशन प्लान को NCLT मुंबई से मंजूरी मिल गई है. हालांकि जेट एयरवेज को उसके पुराने स्लॉट्स नहीं लौटाए गए हैं. NCLT ने आदेश में साफ किया है कि स्लॉट को लेकर उसका कोई अधिकार नहीं होगा. DGCA स्लॉट पर विचार करेगा. जेट को 90 दिनों के भीतर विमानन मंत्रालय और दूसरी सरकारी विभागों से सारी मंजूरी लेनी होगी. रिजोल्यूशन प्लान को मंजूरी मिलने के बाद जेट के दोबारा उड़ान भरने की उम्मीद जगी है, हालांकि अभी एयरलाइंस के सामने स्लॉट हासिल करने की एक बड़ी चुनौती है. जेट एयरवेज के लिए कैलरॉक और जालान के कंसोर्शियम ने बोली दी थी. लोन अदा न कर पाने और आर्थिक तंगी के चलते जेट एयरवेज का कामकाज अप्रैल 2019 से बंद है.
जेट एयरवेज पर सुनवाई पूरी होने के बाद बेंच ने फैसला रिजर्व रखा था. मंगलवार 22 जून को मौखिक आदेश सुनाया गया और एक दिन में लिखित ऑर्डर जारी होगा, जिसमें और ज्यादा बारीकियां होंगी. हालांकि, मंगलवार की सुनवाई के दौरान ही DGCA ने साफ कर दिया कि अगर पुराने स्लॉट वापस लौटाने को लेकर कोई बंधनकारी आदेश दिया गया तो उसे NCLAT में चुनौती दी जाएगी. ट्रिब्यूनल मेंबर जनाब मोहम्मद अजमल और वी नल्लासेनापति की बेंच ने तुरंत ही यह साफ कर दिया कि ऐसा कोई आदेश नहीं है.
पुराने स्लॉट पर मामला अटका!
जेट एयरवेज के रिजोल्यूशन प्लान में बड़े दावे इस बात पर किए हैं कि उनके पुराने स्लॉट और विदेश में उड़ान भरने के अधिकार और स्लॉट उन्हें मिल जाएंगे. हालांकि, विमानन मंत्रालय और DGCA दोनों ने ही सुनवाई के दौरान ये साफ कर दिया था कि स्लॉट किसी एयरलाइन की निजी संपत्ति नहीं होती है. साथ ही जेट एयरवेज ने अप्रैल 2019 में बंद होने के बाद से ही उड़ानों को लेकर कोई शेड्यूल पेश नहीं किया है. ऐसे में पुराने स्लॉट के इतिहास को आधार बनाकर कोई दावा पेश नहीं कर सकते. सुनवाई के दौरान DGCA और विमानन मंत्रालय ने ये भी कहा कि जेट एयरवेज को एयर ऑपरेटर परमिट और सिक्योरिटी क्लीयरेंस सहित सभी परमिशन नए सिरे से लेना होगा.
TRENDING NOW
जेट एयरवेज के लेनदारों की मांग थी कि पुराने स्लॉट और पुरानी इजाजतों को बहाल करने का निर्देश दिया जाए, लेकिन DGCA ने NCLT से गुजारिश किया कि सेक्टर का रेगुलेटर होने के नाते सुरक्षा सहित दूसरी जिम्मेदारियां उसकी हैं. इसलिए बेहतर होगा कि NCLT इस मामले में कोई बंधनकारी आदेश न दे. DGCA ने ये भी कहा कि स्लॉट का बंटवारा एक तय नीति के तहत होता है और अर्जी आने पर उसी के आधार पर विचार किया जाएगा.
90 दिन की मिली मियाद
NCLT से मंजूरी तो मिल गई लेकिन कैलरॉक और जालान कंसोर्शियम के लिए जल्दी मंजूरी हासिल करना और स्लॉट पाना मुख्य चैलेंज होगा. 90 दिन की मियाद में सारी मंजूरियां पाना चुनौती भरा काम होगा. सबसे अहम होगा कि एयरलाइन के नए बोर्ड को सिक्योरिटी क्लीयरेंस मिलना, क्योंकि कंसोर्शियम के भागीदार मुरारी लाल जालान का साउथ अफ्रीका के गुप्ता भाइयों के साथ कारोबारी और पारिवारिक संबंध दोनो हैं. जबकि गुप्ता भाइयों पर अमेरिकी फाइनेंस डिपार्टमेंट की तरफ से पाबंदी लगी हुई है. ऐसे में गुप्ता भाइयों से जुड़े किसी कारोबारी के लिए अमेरिकी कंपनियों के साथ कामकाज करना कठिन हो सकता है.
गुप्ता भाइयों पर साउथ अफ्रीका में भ्रष्टाचार करने और स्थानीय सरकार को ही कब्जाने का आरोप लगा है. इसी परिवार के साथ जालान परिवार का कारोबारी और पारिवारिक रिश्ता है. रिजोल्यूशन प्लान में भी मुरारी लाल जालान ने कनेक्टेड पर्सन की लिस्ट में गुप्ता भाइयों में से एक अतुल गुप्ता के बेटे शशांक सिंघल का नाम दिया है. शशांक सिंघल को कनेक्टेड पर्सन में दामाद बताया है. हालांकि पारिवारिक संबंधों को तो जालान ने माना है लेकिन कारोबारी संबंधों से इनकार करते रहे हैं.
दूसरी एयरलाइंस को दिए गए थे स्लॉट
मंजूरी के बाद कठिन राह स्लॉट को लेकर होने वाली है, क्योंकि जेट एयरवेज के बंद होने के बाद उड़ानों की किल्लत को देखते हुए दूसरे एयरलाइंस को स्लॉट दिए गए थे. दूसरी एयरलाइंस ने इन स्लॉट्स को भरने के लिए नए हवाई जहाज और अतिरिक्त स्टाफ को नौकरी पर रखा था. ऐसे में DGCA की दलील थी कि किसी एयरलाइन से अचानक स्लॉट छीना नहीं जा सकता है. DGCA और एयरपोर्ट ऑपरेटर नए स्लॉट देने से पहले ये भी देखेंगे कि नए जेट एयरवेज के पास चलाने के लिए कितने जहाज और कितनी क्षमता है.
दिल्ली, मुंबई सबसे अहम स्लॉट
एयरलाइंस के लिए दिल्ली और मुंबई के स्लॉट सबसे अहम माने जाते हैं क्योंकि ज्यादा ट्रैफिक की वजह से यात्रियों की संख्या पर्याप्त और नियमित रहती है. ऐसे में कमाई अच्छी होती है. कोरोना संकट के बीच अलग अलग इलाकों में सख्तियों और कड़ी शर्तों की वजह से आवाजाही कम है. ऐसे में एयरलाइंस के लिए अस्तित्व बचाए रखना चुनौती भरा है. मौजूदा एयरलाइंस के बीच यात्रियों को लाने की काफी होड़ है. किसी नए एयरलाइन के लिए जगह बनाना आसान नहीं होगा.
2019 से बंद है जेट का कामकाज
पहले जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल थे। बैंकों का करीब 7800 करोड़ रु का बकाया था, जो एयरलाइन अदा नहीं कर पा रही थी. बैंकों ने नए खरीदार की तलाश के लिए बोलियां भी मंगाईं और फिर नरेश गोयल को बोर्ड से बाहर कर दिया. लोन अदा न कर पाने और एयरलाइन को चलाने के लिए कैपिटन न मिल पाने से एयरलाइन का कामकाज अप्रैल 2019 में बंद हो गया. बाद में बैंक एयरलाइन को NCLT में ले गए ताकि नया खरीदार लाकर बैंक अपना पैसा वसूल पाएं. अक्टूबर 2020 में कैलरॉक और जालान के कंसोर्शियम ने बोली जीती और उसके बाद से NCLT की मंजूरी का इंतजार था.
ज़ी बिज़नेस LIVE TV यहां देखें
05:21 PM IST