World Water Day 2023: 'नहीं सुधरे तो अगला युद्ध पानी को लेकर हो सकता है'...वर्षों पहले किसने कहा था ये और क्यों?
दुनियाभर में जल संकट तेजी से गहरा रहा है. अगर समय रहते इसकी महत्ता को नहीं समझा गया तो भविष्य में पानी को लेकर बहुत गंभीर हालात पैदा हो सकते हैं. यहां जानिए विश्व जल दिवस का महत्व, थीम और अन्य जरूरी बातें.
World Water Day 2023: 'नहीं सुधरे तो अगला युद्ध पानी को लेकर हो सकता है'...वर्षों पहले किसने कहा था ये और क्यों?
World Water Day 2023: 'नहीं सुधरे तो अगला युद्ध पानी को लेकर हो सकता है'...वर्षों पहले किसने कहा था ये और क्यों?
हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस (World Water Day 2023) मनाया जाता है. पानी की बर्बादी को रोकने और लोगों को इसका महत्व समझाने के उद्देश्य से ये दिन मनाया जाता है. हर साल इस दिन की एक थीम निर्धारित की जाती है. साल 2023 में विश्व जल दिवस की थीम (World Water Day 2023 Theme) Accelerating Change यानी 'परिवर्तन में तेजी' निर्धारित की गई है. बता दें कि धरती का करीब तीन चौथाई हिस्सा पानी से भरा हुआ है. लेकिन इसमें से सिर्फ तीन फीसदी हिस्सा ही पीने योग्य है और इस तीन प्रतिशत में से भी दो प्रतिशत बर्फ और ग्लेशियर के रूप में है. इन स्थितियों के बाद भी लोग पानी के महत्व को नहीं समझ पा रहे हैं.
तालाब, कुएं, नहर वगैरह सूखते जा रहे हैं और नदी का पानी बुरी तरह से दूषित हो गया है. अगर समय रहते इंसानों ने पानी की अहमियत को नहीं समझा तो वो दिन दूर नहीं, जब पूरी दुनिया पानी से संकट से जूझती नजर आएगी. इन हालातों को भांपते हुए दुनिया की कई नामी शख्सियतों ने भविष्य में पानी के कारण होने वाले युद्ध की भी आशंका जताई है. World Water Day 2023 के मौके पर आइए आपको बताते हैं इस दिन से जुड़ी खास बातें.
वर्ल्ड वाटर डे का इतिहास
साल 1992 में ब्राजील के रियो द जेनेरियो में 'पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन' आयोजित किया गया था. इसी दिन इस बात की घोषणा की गई कि हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाएगा. इसके बाद साल 1993 में 22 मार्च को पहला वाटर डे मनाया गया. तब से हर साल ये दिन सेलिब्रेट किया जाता है.
क्या है जल संकट की वजह
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जल के महत्व के साथ व्यक्ति को तेजी से गहराते जल संकट की वजह को भी समझना होगा, ताकि पानी की बर्बादी को रोका जा सके. इस मामले में पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो आज के समय में विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी इमारतें बनाई जाती हैं. इसके लिए पेड़ लगातार काटे जा रहे हैं, उनकी तुलना में नए पौधे नहीं लगाए जाते. इससे प्रकृति का संतुलन ही गड़बड़ा गया है. जल स्त्रोत सूखते जा रहे हैं. नदियों को कारखानों का कचरा दूषित कर रहा है. भूमिगत जल स्तर नीचे खिसकता जा रहा है. ये सब भविष्य के लिए खतरे की घंटी है. अगर समय रहते नहीं संभले तो भविष्य में परिणाम बहुत भयंकर होंगे.
ये लोग जता चुके हैं युद्ध की आशंका
समय के साथ गहराते जल संकट की स्थिति को दुनिया की कई नामी शख्सियतों ने पहले ही भांप लिया था. इसको लेकर वे भविष्य में पानी को लेकर युद्ध होने की भी बात कह चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र के छठे महासचिव बुतरस घाली ने करीब तीन दशक पहले ही ये कह दिया था कि अगर समय रहते इंसानों ने जल की महत्ता को नहीं समझा तो अगला विश्वयुद्ध (World War) जल को लेकर होगा. वहीं साल 1995 में वर्ल्ड बैंक के इस्माइल सेराग्लेडिन ने पानी के वैश्विक संकट पर कहा था कि इस शताब्दी में तेल के लिए युद्ध हुआ लेकिन अगली शताब्दी की लड़ाई पानी के लिए होगी. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी एक बार अपने भाषण के दौरान लोगों को चेताते हुए कहा था कि ध्यान रहे कि आग पानी में भी लगती है और कहीं ऐसा न हो कि अगला विश्वयुद्ध पानी के मसले पर हो.
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08:18 AM IST