इतना भारी वजन उठाने के बाद भी आसानी से कैसे उड़ता है हवाई जहाज? वजह जानकर आप भी कहेंगे ये तो गजब है...
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Fri, Sep 23, 2022 04:52 PM IST
बचपन से ही ख्वाहिश होती है हवाई जहाज में सफर करना है. आसमान में प्लेन को देखना और नजरों से उसका पीछा करना. फिर बादलों में खोए उस प्लेन को अक्सर ढूंढना. शायद यही सब हम सबने अपने-अपने बचपन में किया होगा. लेकिन, उस वक्त कभी दिमाग में नहीं आया होगा कि प्लेन इतना भारी होता है, लेकिन फिर भी हवा में उड़ता रहता है. एक पतंग को हवा में उड़ाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है, लेकिन प्लेन सैकड़ों लोगों को लेकर बिना किसी सपोर्ट के उड़ जाता है. हालांकि, बड़े होने-होने या स्कूल में फिजिक्स पढ़ने के दौरान इस बात पर जरूर गौर किया होगा. चलिए आज जानते हैं कि इतना भारी हवाई जहाज आखिर हवा में उड़ता कैसे है...
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फिजिक्स ऑफ एयरप्लेन
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सबसे पहले आता है थ्रस्ट (Thrust)
थ्रस्ट एक फोर्स है. इस फोर्स का इस्तेमाल एयरप्लेन को आगे बढ़ने में मदद करता है. प्लेन के दोनों विंग पर एक-एक इंजन लगाया जाता है. ये इंजन थ्रस्ट जेनरेट करता है और इंजन के सामने से आ रही हवा को खींच कर कंप्रेस (हवा का दबाव बढ़ाना) करता है और पीछे छोड़ देता है. यह ठीक वैसा ही हुआ जैसे हम गुब्बारे में हवा भर उसे छोड़ दें, तो वह ऊपर की तरफ भागने लगता है. कंप्रेस हवा को छोड़ने से थ्रस्ट पैदा होता है.
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कैसे काम करता है इंजन? विंग पर लगे इंजन में 5 महत्वपूर्ण पार्ट्स कौन से होते हैं?
1. Fan: अगर आप इंजन को सामने से देखेंगे, तो सबसे पहले एक फैन दिखाई देगा. यह पंखा टाइटेनियम का बना होता है और बहुत पावरफुल होता है. इस फैन से लाखों किलो हवा को खींचकर इंजन में भेजा जा सकता है. दरअसल, हवा दो रास्तों से होकर जाती है. या तो वह सीधा इंजन में जा सकती है या फिर उसके बगल से निकल जाती है. इंजन के बगल से गुजरने वाली हवा को हम Bypass कहते हैं. इससे भी थ्रस्ट पैदा होता है और यह इंजन को ठंडा रखने में भी मदद करती है. 2. Compressor: कंप्रेसर का काम है हवा को दबा कर उसकी डेंसिटी बढ़ाना. कंप्रेसर चलाने पर उसके ब्लेड छोटे होत चले जाते हैं और हवा को कंप्रेस कर देते हैं. 3. Combustor: कंप्रेसर से होकर हवा कंबस्टर में जाती है, जहां उसके तेल (Fuel) के साथ मिलाकर जलाया जाता है. यह सुनने में शायद आसान लग रहा होगा, लेकिन प्रोसेस बहुत ही कॉम्प्लीकेटेड है. 4. Turbine: गरम हवा को अब टरबाइन से गुजरती है तो टरबाइन की रफ्तार तेज हो जाती है. इस टरबाइन से ही फैन और कंप्रेसर भी जुड़े होते हैं, जो और तेजी से हवा खींचने लगते हैं.
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न्यूटन का तीसरा लॉ होता है लागू
5. Mixer/Nozzle: इस आखिरी स्टेप में कंप्रेस्ड हवा को तेजी से बाहर निकाल दिया जाता है. समझने वाली बात यहां आती है. जैसे ही हवा नोजल से बाहर निकलती है, न्यूटन का तीसरा लॉ लागू हो जाता है. Every Action has its Equal and Opposite Reaction (प्रत्येक क्रिया की उसके बराबर और उसके विरुद्ध दिशा में प्रतिक्रिया होती है) नोजल से बाहर आने वाली हवा की वजह से प्लेन को आगे की तरफ धक्का मिलता है और इसी फोर्स को हम थ्रस्ट कहते हैं.
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अब बात करते हैं दूसरे महत्वपूर्ण शब्द की Drag या घर्षण बल
जब आप कार में तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहे होते हैं और खिड़की से अपना हाथ बाहर निकालते हैं, तो हाथ पर एक फोर्स महसूस होता है. हवा की तरफ से लगने वाला यह फोर्स आपके हाथ को पीछे धकेलने लगता है. लेकिन, कार का थ्रस्ट ज्यादा है और हाथ भी मजबूत है, इसलिए हाथ कार के साथ ही आगे बढ़ता है. हालांकि, यह कार की स्पीड पर निर्भर करता है. आमतौर पर अधिकतम रफ्तार 200 किलोमीटर होती है. लेकिन, अगर मान लिया जाए कि कार की रफ्तार 2000 किलोमीटर प्रति घंटा है तो घर्षण बल इतना ज्यादा होगा कि या तो हाथ टूट जाएगा या जल जाएगा. इसी लॉ के अनुसार, धरती के ऑर्बिट में जब कोई Asteroid आ जाता है, तो आग पकड़ लेता है, क्योंकि उसकी रफ्तार ज्यादा होने की वजह से घर्षण बल भी ज्यादा होता है. एयरप्लेन में इसी फोर्स को कम करने के लिए उसे एरो डायनामिक्स बनाया जाता है. इसके लिए प्लेन के उड़ान भरने के बाद उसके टायर्स को छिपा दिया जाता है, ताकि ड्रैग फोर्स कम लगे और थ्रस्ट ज्यादा हो.
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Weight और Lift: ये दोनों फोर्स कहां से आते हैं?
धरती पर मौजूद हर चीज का अपना एक भार होता है, जो गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) की वजह से लगता है. गुरुत्वाकर्षण बल का काम है किसी भी फोर्स को नीचे की तरफ खींचना. उड़ते प्लेन के साथ भी ऐसा ही होता है. ग्रेविटेशनल फोर्स उसे नीचे खींचती है. लेकिन, प्लेन के विंग ऐसे बनाए जाते हैं कि उन पर Lift Force या लिफ्ट बल लग सके. दरअसल, प्लेन के पंखों को इस तरह तिरछा कर बनाया जाता है कि जब थ्रस्ट प्लेन को आगे की तरफ धकेले, तो विंग के ऊपर की हवा तेजी से गुजरे और विंग के नीचे की हवा धीरे-धीरे निकले. जब ऊपर की हवा तेजी से निकलने लगती है, तो उसका दबाव नीचे मौजूद हवा के दबाव से कम होता है. यहीं पर लिफ्ट बल सामने आता है, जो प्लेन को ऊपर की तरफ धकेलता है. क्योंकि, प्लेन का लिफ्ट फोर्स भार से ज्यादा हो जाता है. इसलिए प्लेन हवा में उड़ सकता है. एक बार हवा में उड़ने के बाद सारे बल समान हो जाते हैं.
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