Gaganyaan Mission: देश के पहले ह्यूमन मिशन की आज पहली टेस्ट उड़ान, जानिए क्या है इसका मकसद
आज इसरो श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट की लॉन्चिंग के जरिए पहले क्रू मॉड्यूल टेस्टिंग के साथ ही अपने महत्वाकांक्षी ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम गगनयान की यात्रा को रफ्तार देगा.
Gaganyaan Mission: देश के पहले ह्यूमन मिशन गगनयान की आज शनिवार 21 अक्टूबर को पहली उड़ान है. इसरो श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट की लॉन्चिंग के जरिए पहले क्रू मॉड्यूल टेस्टिंग के साथ ही अपने महत्वाकांक्षी ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम गगनयान की यात्रा को रफ्तार देगा. इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (Test Vehicle Abort Mission -1) कहा जा रहा है. अबॉर्ट टेस्ट का मतलब होता है कि अगर कोई दिक्कत हो तो एस्ट्रोनॉट के साथ ये मॉड्यूल उन्हें सुरक्षित नीचे ले आए. टीवी-डी1 (Test Vehicle Demonstration-1) गगनयान मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि इसकी सफलता पर बहुत सारी उम्मीदें टिकी हैं. आइए समझते हैं कि आखिर क्यों ये मिशन इतना खास माना जा रहा है. क्या है इसका मकसद?
Gaganyaan mission: ISRO to launch uncrewed flight test from Sriharikota today
— ANI Digital (@ani_digital) October 21, 2023
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करीब 9 मिनट में होगी 17 किमी से वापसी
गगनयान मिशन की पहली टेस्ट उड़ान में इसरो क्रू मॉड्यूल को आउटर स्पेस तक भेजेगा, इसके बाद इसे वापस जमीन पर लौटाया जाएगा. उड़ान के दौरान नेविगेशन, सिक्वेंसिंग, टेलिमेट्री, ऊर्जा आदि की जांच की जाएगी. आसान शब्दों में समझें तो मिशन के दौरान रॉकेट में गड़बड़ी होने पर अंदर मौजूद एस्ट्रोनॉट को पृथ्वी पर सुरक्षित लाने वाले सिस्टम की टेस्टिंग की जाएगी.
इसके बाद 17 किलोमीटर की ऊंचाई से अबॉर्ट जैसी सिचुएशन क्रिएट की जाएगी. इसके बाद क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम अलग हो जाएगा. क्रू मॉड्यूल को यहां से लगभग 2 Km दूर ले जाया जाएगा और श्रीहरिकोटा से 10 Km दूर समुद्र में लैंड कराया जाएगा. क्रू मॉड्यूल को समुद्र में स्प्लैश डाउन करते समय उसके पैराशूट खुल जाएंगे. पैराशूट एस्ट्रोनॉट्स की सेफ लैंडिंग में मदद करेगा. यह क्रू मॉड्यूल की स्पीड को कम करेगा, साथ ही उसे स्थिर भी रखेगा. लॉन्च से लेकर क्रू के बंगाल की खाड़ी में उतरने तक करीब 9 मिनट का समय लगेगा. इस बीच वैज्ञानिक ये परीक्षण करेंगे कि अबॉर्ट ट्रैजेक्टरी क्या ठीक तरह से काम कर रही है या नहीं. अगर मिशन के दौरान रॉकेट में कोई खराबी आ जाती है तो एस्ट्रोनॉट कैसे सुरक्षित रूप से लैंड करेंगे.
क्यों ये मिशन है खास
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दरअसल भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान 2025 में होने की संभावना बताई जा रही है. इससे पहले इसरो की ओर से कई परीक्षण किए जा रहे हैं, ताकि गगनयान मिशन में जब इंसानों को भेजा जाए तो उनकी सुरक्षा में कहीं भी चूक की कोई गुंजाइश न रहे और वो पूरी तरह से सुरक्षित रहें. TVD1 गगनयान मिशन से जुड़े उन टेस्ट परीक्षणों की श्रंखला का पहला मिशन है. टीवी-डी1 को बेहद खास माना जा रहा है क्योंकि इसकी सफलता अन्य परीक्षणों और मानवरहित मिशनों के लिए मंच तैयार करेगी. बता दें कि इसरो चीफ पहले ही बता चुके हैं कि गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट के बाद तीन और टेस्ट फ्लाइट D2, D3 और D4 भेजी जाएंगी. इसके बाद गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड मिशन प्लान किया जा सकता है. अनमैन्ड मिशन में ह्यूमेनॉयड रोबोट यानी बिल्कुल इंसानी शक्ल के रोबोट व्योममित्र को भेजा जाएगा. यानी इसरो वास्तविक मानवयुक्त मिशन से पहले कई परीक्षण करेगा. इसके बाद इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.
क्या है गगनयान मिशन
गगनयान मिशन भारत का पहला ह्यूमन स्पेस मिशन है जो तीन दिन का होगा. इसमें 3 सदस्यों के दल को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा. अगर ये मिशन सफल होता है तो अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गगनयान मिशन के लिए करीब 90.23 अरब रुपए का बजट आवंटित किया गया है.
गगनयान मिशन की सफलता से क्या हासिल होगा
भारत का गगनयान मिशन अगर सफल होता है तो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में अध्ययन करने और अंतरिक्ष के वातावरण को समझने का मौका मिलेगा. ये मिशन देश को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में देश को तकनीकी विकास में बेहतर दिशा दे सकता है. इसके अलावा मिशन की सफलता के बाद अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा.
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07:13 AM IST