फोटो के लिए भी मांगी जा सकती है फिरौती, अब हैकर्स की नजर आपके कैमरे पर
ना सिर्फ आपके फोन या कंप्यूटर को हैकिंग का खतरा है, बल्कि डीएसएलआर कैमरों की हैकिंग हो सकती है. सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि डीएसएलआर कैमरों पर भी रैनसमवेयर या मैलवेयर हमले हो सकते हैं.
कैमरे अब केवल यूएसबी से कनेक्ट नहीं हो रहे हैं, बल्कि वाईफाई नेटवर्क से भी कनेक्ट हो रहे हैं. यह उन्हें हमलावरों की जद में पहुंचाता है.
कैमरे अब केवल यूएसबी से कनेक्ट नहीं हो रहे हैं, बल्कि वाईफाई नेटवर्क से भी कनेक्ट हो रहे हैं. यह उन्हें हमलावरों की जद में पहुंचाता है.
अभी तक किसी कीमती सामान और इनसान के लिए फिरौती के मामले सुने और देखे होंगे, लेकिन अगर कोई आपसे आपके फोटो के लिए फिरौती मांगे तो चौंकिए मत, क्योंकि आने वाले समय में ऐसा हो सकता है. कंप्यूटर और मोबाइल फोन के बाद अब हैकर्स की नजर आपके कैमरे पर टिक गई है. और हैकर्स आपके कैमरे की तस्वीरें या मूवी को हैक करके उसके बदले आपसे मुंह मांगी रकम वसूल सकते हैं.
ना सिर्फ आपके फोन या कंप्यूटर को हैकिंग का खतरा है, बल्कि डीएसएलआर कैमरों की हैकिंग हो सकती है. सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि डीएसएलआर कैमरों पर भी रैनसमवेयर या मैलवेयर हमले हो सकते हैं. साइबर सुरक्षा कंपनी चेक प्वाइंट सॉफ्टवेयर टेक्नॉलजीज के शोधकर्ताओं ने पाया है कि आधुनिक कैमरे यूएसबी और वाईफाई से जुड़े होते हैं, ऐसे में हैकर्स उनके डेटा पर कंट्रोल कर सकते हैं.
चेक प्वाइंट सॉफ्टवेयर टेक्नॉलजीज के सुरक्षा अधिकारी इयाल इटकिन ने बताया कि कोई भी स्मार्ट डिवाइस, जिसमें डीएसएलआर कैमरे भी शामिल हैं, हैकर्स के हमले के लिए बहुत ही सॉफ्ट टारगेट हैं. कैमरे अब केवल यूएसबी से कनेक्ट नहीं हो रहे हैं, बल्कि वाईफाई नेटवर्क से भी कनेक्ट हो रहे हैं. यह उन्हें हमलावरों की जद में पहुंचाता है.
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अगर कैमरे पर हमला किया जाता है तो उसकी तस्वीरों को हैक किया जा सकता है और बदले में फिरौती की मांग की जा सकती है.
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चूंकि आधुनिक कैमरों में तस्वीरें फिल्म पर नहीं उतारी जाती है. इसलिए इंटरनेशनल इमेजिंग इंडस्ट्री एसोसिएशन ने एक मानक प्रोटोकॉल बनाया है, जिसे पिक्चर ट्रांसफर प्रोटोकॉल (पीटीपी) नाम दिया गया है, इसी से कैमरे से तस्वीरें पीसी पर ट्रांसफर की जाती है.
हालांकि इस प्रोटोकॉल में मुख्य जोर तस्वीरों के ट्रांसफर पर ही है, लेकिन इसके माध्यम से कैमरों के फर्मवेयर अपडेट एक दर्जन कमांड दिए जाते हैं.
चेक प्वाइंट ने अपने रिसर्च के दौरान कैनन के ईओएस 80डी कैमरे पर काम किया और उसकी कमियों से कंपनी को बताया. इसके बाद कंपनी इसे सुधारने पर काम कर रही है.
चूंकि अन्य कंपनियों के कैमरे भी इसी प्रोटोकॉल पर काम करते हैं. ऐसे में अधिकारियों का कहना है कि उन कैमरों में भी ऐसी कमियां है, जिससे वे हैकरों की पहुंच में हैं. इससे बचाव के लिए कैमरा मालिकों को अपने कैमरे को फर्मवेयर से अपडेट करना चाहिए, और अगर पैच हो तो उसे इंस्टाल करना चाहिए.
इसके अलावा जब इस्तेमाल में नहीं हो तो कैमरे का हाईफाई बंद कर देना चाहिए.
08:37 AM IST