SEBI बोर्ड ने IPO से जुड़े रिफॉर्म्स को दी मंजूरी, प्राइस बैंड में अब 5% का अंतर जरूरी
SEBI Board meeting key outcome: सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने बताया कि एंकर इन्वेस्टर के लिए 50 फीसदी हिस्से की बिक्री के लिए 90 दिन का लॉक इन होगा.
(File Image: PTI)
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SEBI Board meeting key outcome: कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने IPO से जुड़े कई रिफॉर्म्स को मंजूरी दी है. सेबी बोर्ड की मंगलवार को हुई बैठक में कई बड़े फैसले किए गए. इनमें IPO के प्राइस बैंड में कम से कम 5 फीसदी का अंतर रखना जरूरी कर दिया गया है. इसके अलावा बड़े निवेशकों के लिए ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए एग्जिट के नियमों को भी सख्त किया गया है.
सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने प्रेस कॉन्फ्रेस में बोर्ड के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि IPO के प्राइस बैंड में कम से कम 5 फीसदी का अंतर अंतर जरूरी होगा. वहीं, एंकर इन्वेस्टर के लिए 50 फीसदी हिस्से की बिक्री के लिए 90 दिन का लॉक इन होगा. बाकी 50 फीसदी 30 दिन में बेच सकेंगे. 1 अप्रैल 2022 से यह नियम लागू हो जाएंगे.
OFS के जरिए एक्जिट पर सख्ती
सेबी चेयरमैन ने बताया कि बड़े निवेशकों के लिए OFS के जरिए एक्जिट पर सख्ती होगी. छोटे एचएनआई के लिए नॉन इंस्टीट्यूशन इन्वेस्टर्स (NII) का कोटा 33 फीसदी रिजर्व होगा. आईपीओ से रकम जुटाने का मकसद निश्चित नहीं है तो आईपीओ की रकम का 35 फीसदी अलग मद में रख सकेंगे. इसके अलावा सेबी ने प्रिफरेंशियल इश्यू से जुड़े नियमों में भी बदलाव को मंजूरी दी है.
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— Zee Business (@ZeeBusiness) December 28, 2021
🔹SEBI बोर्ड ने IPO से जुड़े सुधारों को मंजूरी दी
🔹IPO के प्राइस बैंड में कम से कम 5% अंतर जरूरी
🔹एंकर इन्वेस्टर के लिए 50% हिस्से की बिक्री के लिए 90 दिन का लॉक इन
🔹बड़े निवेशकों के लिए OFS के जरिए एक्जिट पर सख्ती होगी#Sebi | #Finance | @SEBI_India pic.twitter.com/fQGsoGIAHl
सेटलमेंट नॉर्म्स में किए बदलाव
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सेबी बोर्ड की बैठक में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई), अल्टरेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (AIF), म्यूचुअल फंड और सेटलमेंट प्रॉसेस से जुड़े नियमों में भी बदलाव का फैसला किया गया. सेबी ने कंपनियों की ओर से सेटलमेंट अप्लीकेशन फाइल करने की समयसीमा को भी तर्कसंगत बनाते हुए 60 दिन कर दिया है. यह लिमिट कारण बताओ नोटिस मिलने की तारीख से लागू होगी.
इसके अलावा बाजार नियामक ने फंड जारी करने और डिस्क्लोजर अनिवार्यताओं से जुड़े रेग्युलेशंस में बदलाव को भी मंजूरी दी. सेबी ने कहा कि निदेशक के रूप में नहीं चुने जा सके व्यक्ति को फिर से निदेशक बनाने से संबंधित नियम भी सख्त किए गए हैं. किसी लिस्टेड कंपनी की वार्षिक आम सभा (AGM) में ही होल टाइम डायरेक्टर्स की नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति से संबंधित प्रावधान जोड़े गए हैं.
05:43 PM IST