हाई वैल्यूएशन वाले IPOs पर क्यों है SEBI की नजर, डूबने से कैसे बचेंगे निवेशकों के पैसे?
हाई वैल्यूएशन आईपीओ का मसला है, वो पिछले कुछ वक्त से मार्केट एनालिस्ट्स और इन्वेस्टर्स की जबान पर रहा है और अब इसपर मार्केट रेगुलेटर सेबी का टेक आ गया है.
LIC IPO (21,000 करोड़ साइज और Issue Price- ₹902 to ₹949 per share), Paytm (18,300 करोड़ और Issue Price- ₹2,080-Rs ₹2,150 per share), Zomato- 9375 करोड़ और Issue Price ₹76 per share और Honasa (Mamaearth) IPO- 1701 करोड़ और इशू प्राइस 324 रुपये. ये कुछ ऐसे शेयर हैं, जो पिछले कुछ टाइम में आए और अपनी हाई वैल्यूएशन के चलते फोकस में रहे, लेकिन Honasa को छोड़कर इन सभी शेयरों ने लिस्टिंग के बाद निवेशकों के पैसे डुबो दिए.
ममाअर्थ के आईपीओ की प्लानिंग के बाद ही बहुत से लोगों ने सवाल उठाए थे, कि कंपनी किस बेसिस पर इतने हाई वैल्यूएशन के साथ आ रही है. तो ये जो हाई वैल्यूएशन का मसला है, वो पिछले कुछ वक्त से मार्केट एनालिस्ट्स और इन्वेस्टर्स की जबान पर रहा है और अब इसपर मार्केट रेगुलेटर सेबी का टेक आ गया है.
माधबी पुरी बुच ने क्या कहा?
पिछले दिनों सेबी की चेयरमैन माधबी पुरी बुच से इसपर सवाल किया गया और उन्होंने कहा कि कुछ हाई वैल्यूएशन वाले आईपीओ के पीछे बस कुछ बेमतलब के अंग्रेजी शब्द होते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि सेबी हाई वैल्यूएशन वाली इस बात से सहमत है और वो इसकी जांच करेगी. दरअसल, मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि आईपीओ लाने वाली कंपनीज़ करती क्या हैं कि इन्वेस्टर्स की दिलचस्पी जगाने के लिए वो लो फेस वैल्यू क्वोट करते हैं, लेकिन हाई प्रीमियम के बहाने वो हाई इशू प्राइस रखती हैं.
वैल्यूएशन कैसे तय होता है?
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लेकिन वैल्यूएशन कैसे तय होता है? और हाई वैल्यूएशन का मतलब क्या होता है? दरअसल, वैल्यूएशन कंपनीज़ के PE यानी प्राइस टू अर्निंग्स मल्टीपल्स से तय होती हैं यानी कंपनी की अर्निंग कितनी है, और वैल्युएशन ग्रोथ, आगे के अर्निंग प्रोस्पेक्ट से भी तय होती है. लेकिन एनालिस्ट्स मानते हैं कि कुछ कंपनी आगे के प्रोस्पेक्ट को देखकर भी अपना वैल्यूएशन हाई दिखा देती हैं, भले ही कंपनी असल में उतना ग्रोथ करे या न करे. और जब ऐसी ही कंपनी मार्केट में हाई प्रीमियम पर आईपीओ लाती है और लिस्ट होती है और फिर ट्रेडिंग के बाद जब इनका प्राइस गिरता है तो इन्वेस्टर्स के पैसे डूबते हैं.
क्या सेबी इसपर एक्शन लेगा?
खैर, सेबी चेयरमैन के बयान को सकारात्मक तौर पर देख सकते हैं कि मार्केट रेगुलेटरी ने इस मुद्दे को उठाया है. लेकिन इससे निवेशकों को कैसे फायदा होगा? अगर सेबी इस बारे में कुछ करता है तो कंपनीज़ रीजनेबल वैल्युएशन पर आईपीओ लाएंगी, और इन्वेस्टर्स "ओवरप्राइस्ड" शेयर में निवेश करने से बच पाएंगे और अपने पैसे डुबाने से बचा पाएंगे.
09:34 AM IST