सोना खरीदने चाहते हैं तो जल्दी करें, अगले 6 महीने तक कम नहीं होगा सोने का रेट
सोने का भाव फिलहाल 38000 रुपए प्रति 10 ग्राम के नीचे आ चुका है. लेकिन, अगर आप भी सोना खरीदना चाहते हैं और भाव गिरने का इंतजार कर रहे हैं तो ये खबर आपके काम की है.
चालू वित्त वर्ष के आखिरी छह माह में सोने के दाम लगातार चढ़ते रहेंगे. (प्रतीकात्मक)
चालू वित्त वर्ष के आखिरी छह माह में सोने के दाम लगातार चढ़ते रहेंगे. (प्रतीकात्मक)
सोना खरीदने की चाहत हर वक्त हर भाव पर होती है. कोई निवेश के लिए तो कोई ज्वेलरी के लिए इसमें पैसा लगाता है. शादियों के सीजन में फिलहाल सोने की डिमांड स्थिर है. लेकिन, इसके भाव में लगातार उतार-चढ़ाव हो रहा है. सोने का भाव फिलहाल 38000 रुपए प्रति 10 ग्राम के नीचे आ चुका है. लेकिन, अगर आप भी सोना खरीदना चाहते हैं और भाव गिरने का इंतजार कर रहे हैं तो ये खबर आपके काम की है.
नहीं गिरेंगी सोने की कीमतें
आने वाले कुछ महीनों में सोने का भाव नीचे आने की संभावना नहीं है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) समूह की मुख्य आर्थिक सलाहकार (Chief Economic Advisor) सोमैया कांति घोष के मुताबिक, निकट भविष्य में सोने के दाम में तेजी ही बनी रह सकती है. कीमतों में गिरने की उम्मीद नहीं है. हालांकि, वाहन उद्योग की संभावनाएं, उद्योग के लिए किए जाने वाले सुधारात्मक उपायों पर भी कीमतें निर्भर करती हैं.
इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस स्टडीज इन कम्पलैक्स च्वाइसेज (IASCC) के कार्यक्रम में घोष ने कहा- वित्तीय और कंपनी क्षेत्र आज अपनी साख और उतार-चढ़ाव से जूझने की दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है.
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अगले 6 महीने तक कम नहीं होंगे सोने के दाम
ग्लोबल मार्केट की घटनाओं का जिक्र करते हुए घोष ने कहा- हार्मुज जलडमरू, कोरियाई द्वीप और ताइवान में सैन्य टकराव की आशंका वैश्विक अर्थव्यवस्था और खासतौर से भारत के लिए किसी भी तरह सकारात्मक नहीं हो सकती. इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि चालू वित्त वर्ष के आखिरी छह माह में सोने के दाम लगातार चढ़ते रहेंगे. आने वाले समय में इसकी उम्मीद कम ही लगती है कि सोने के दाम नीचे आएंगे. इस साल धनतेरस पर सोने का दाम 39,000 रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया, जबकि एक साल पहले इस दिन यह 32,690 रुपए प्रति दस ग्राम पर था.
जियोपॉलिटिकल टेंशन का असर
घोष के मुताबिक, कई देशों में गृहकलह के चलते पड़ोसी देशों में शरणार्थियों का दबाव बढ़ रहा है. इसके साथ ही भूराजनीतिक तनाव (Geopolitical Tensions) भी बढ़ रहा है जिसका कमोडिटी बाजारों पर प्रभाव पड़ रहा है. घरेलू अर्थव्यवस्था बाहरी प्रभावों के असर से पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. इसका वृद्धि में आ रही सुस्ती का प्रभाव देखा जा सकता है. घोष के मुताबिक भारत सहित कई देशों में जून 2018 के मुकाबले जून 2019 में वृद्धि में 0.22 से लेकर 7.16 प्रतिशत तक गिरावट आई है.
उन्होंने कहा कि वाहनों की बिक्री में आई गिरावट आने वाली तिमाहियों में क्या हो सकता है इसका संकेत देती है. इसमें जब तक सुधार के उपाय नहीं होते हैं. वृद्धि में नकारात्मक का रुझान दिखाई देता है. अब लोग 10 लाख रुपए से महंगी कारें खरीदने पर ध्यान दे रहे हैं. महिला कार खरीदारों की संख्या बढ़ रही है. इससे देश में महिला कर्मियों की संख्या बढ़ने का संकेत मिलता है.
10:08 AM IST