Editor's Take: वित्त मंत्री के बूस्टर डोज से क्या सुधरेगी इकोनॉमी की हालत? अनिल सिंघवी की राय
ग्लोबल मंदी की आहट और भारत पर इसका असर क्या होगा, इसका अंदाजा शायद लगा लिया गया है. यही वजह है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन बूस्टर डोज दिया.
FPIs खरीदारी करने लौटेंगे या नहीं ये इस बात पर निर्भर करेगा कि यहां पैसा बनेगा या नहीं. (फोटो: जी बिज़नेस)
FPIs खरीदारी करने लौटेंगे या नहीं ये इस बात पर निर्भर करेगा कि यहां पैसा बनेगा या नहीं. (फोटो: जी बिज़नेस)
ग्लोबल मंदी की आहट और भारत पर इसका असर क्या होगा, इसका अंदाजा शायद लगा लिया गया है. यही वजह है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन बूस्टर डोज दिया. कई सेक्टर्स के लिए ऐलान किए गए. बैंकिंग में पूंजी डालने का भी ऐलान हुआ. वहीं, शेयर बाजार में निवेशकों को भी राहत दी गई. लेकिन, क्या इस बूस्टर डोज से अर्थव्यवस्था की हालत में सुधार होगा? क्या सेक्टर्स के लिए इतना डोज काफी है? इस पर जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने अपनी राय रखी.
बाजार को क्या उम्मीदें थीं..
बाजार के जानकारों को उम्मीद थी कि बैंकिंग सेक्टर में पूंजी डालने का ऐलान हो सकता है. ऐसा हुआ भी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने बैंकों में 70 हजार करोड़ की फंडिंग को रिलीज करने का ऐलान किया. वहीं, कुछ का मानना था कि ऑटो सेक्टर को बूस्टर मिलेगा, ऐसा भी हुआ. ऑटो सेक्टर को बड़ी राहत दी. जून 2020 तक रजिस्ट्रेशन फीस में कोई इजाफा नहीं किया गया है. वहीं, कुछ लोगों का मानना था कि FPIs को लेकर कई ऐलान हो सकते हैं. वित्त मंत्री ने एफपीआई को भी राहत दी. मुनाफे पर लगने वाले सरचार्ज को वापस लिया गया.
वित्त मंत्री के बड़े एलानों पर अनिल सिंघवी की राय...
#EditorsTake | अर्थव्यवस्था को वित्त मंत्री #NirmalaSitharaman का बूस्टर डोज, क्या अब सुधरेगी अर्थव्यवस्था की हालात? देखिए वित्त मंत्री के बड़े एलानों पर अनिल सिंघवी की राय।@AnilSinghvi_ pic.twitter.com/BRHGZ6A0E3
— Zee Business (@ZeeBusiness) August 26, 2019
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FPIs से सरचार्ज हटने से क्या बाजार में लौटेंगे खरीदार?
अनिल सिंघवी के मुताबिक, बाजार में FPIs खरीदारी करने लौटेंगे या नहीं ये इस बात पर निर्भर करेगा कि यहां पैसा बनेगा या नहीं. हां लेकिन, सरचार्ज हटने से बिकवाली बंद कर देंगे. हालांकि, फ्रेश खरीदारी के लिए थोड़ा समय लगेगा. अगर FPIs को ग्लोबल मार्केट में इक्विटी का मूड ठीक लगेगा और भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी के संकेत मिलते हैं तो ही खरीदारी देखने को मिल सकती है. आप हमसे ज्यादा टैक्स लेंगे ये निवेशकों को पसंद नहीं है. इसलिए बजट के बाद से बेच रहे हैं. लेकिन अब इस पर लगाम लग सकती है. सरचार्ज के हटने से बिकवाली पर रोक लगेगी. इससे एक मैसेज भी जाता है कि हमें आपकी चिंता है. इस कदम से विदेशी निवेशकों का मूड थोड़ा ठीक होगा.
ऑटो के लिए बूस्टर डोज दिया गया, ये पर्याप्त है या और कुछ चाहिए था?
अनिल सिंघवी के मुताबिक, ऑटो सेक्टर के लिए हल्की राहत देखने को मिली है. मार्च 2020 तक खरीदी गईं BSIV गाड़िया बंद नहीं होंगी. ये एक अच्छी बात है. जून 2020 तक रजिस्ट्रेशन फीस में कोई इजाफा नहीं. ये भी एक राहत की बात है. वहीं, प्रॉफिट मेकिंग सरकारी कंपनियों के गाड़ी खरीदने पर भी रोक नहीं है. डेप्रिशिएशन 15 से 30 फीसदी किया है तो ऑटो सेक्टर को थोड़ा पैकेज तो मिला है.
बैंकों को दी गई 70 हजार करोड़ की पूंजी?
अनिल सिंघवी के मुताबिक, बैंकों को पैसा मिलना था, हां थोड़ा जल्दी मिल गया. बजट के तुरन्त खत्म होने के बाद 70 हजार करोड़ मिल गए. 3 या 6 महीने बाद मिलते.. लेकिन, थोड़ी जल्द आ गए. अगर सरकारी बैंक लैंड करना शुरू करें तो इसके दम पर 5 लाख करोड़ कर्ज दे सकते हैं. लेकिन, समस्या यह है कि जिनको पैसा चाहिए, उन्हें सरकारी बैंक देंगे नहीं और जिसे देना चाहते हैं वो पैसा लेना नहीं चाहते. बैंक्स और उधार लेने वालों के बीच यह एक बड़ी समस्या है. जिनको जरूरत है, उनकी बैलेंसशीट ढीली है और जिनकी बैलेंसशीट मजबूत है, उन्हें एक्सपेंशन करना नहीं है. सही कदम है सही दिशा में है.
12:16 PM IST