Kalka-Shimla Toy Train: सौ साल पुरानी ये गाड़ी हो गई अपडेट, नए रंग रूप में रफ्तार भरेगी कालका-शिमला ट्रेन
Kalka-Shimla Toy Train: कालका-शिमला के बीच चलने वाली हेरिटेज टॉय ट्रेन को रेलवे ने नए रंग रूप में अपडेट कर दिया है.
Kalka-Shimla Toy Train: अमृत काल में भारतीय रेलवे अपने नैरोगेज यात्री डिब्बों के करीब 100 साल पुराने डिजाइन को बदलने के लिए पूरी तरह तैयार है. इसी दिशा में पंजाब स्थित कपूरथला की रेल कोच फैक्टरी द्वारा डिजाइन और निर्मित अत्याधुनिक नैरोगेज यात्री डिब्बों का अनावरण किया गया. यह शुभ कार्य फैक्टरी महाप्रबंधक अशेष अग्रवाल द्वारा किया गया. अब ट्रायल के लिए तैयार यह डिब्बा जल्द ही कालका-शिमला सेक्शन पर दौड़ता हुआ नजर आएगा.
स्वदेशी तकनीक से तैयार
स्वदेशी तकनीक से तैयार किए गए ये डिब्बे के निर्माण पर करीब 1 करोड़ रुपए की लागत आई है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इन डिब्बों के संबंध में फैक्टरी महाप्रबंधक अशेष अग्रवाल ने जानकारी देते हुए कहा, इन डिब्बों में बायो टॉयलेट हैं और सभी तरह की सुविधाएं दी गई हैं.
आरामदायक सीटिंग अरेंजमेंट
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उसके साथ-साथ यात्री डिब्बों में बहुत ही आरामदायक सीटिंग दी गई है. इसके साथ खानपान के लिए एक स्नैक टेबल दिया गया है. फर्स्ट AC कोच में कुल 12 सीटें दी गई हैं. वहीं रेल के डिब्बों की खिड़कियों की बनावट को बदलते हुए उन्हें पैनारोमिक कोचेस बनाया गया है.
पैनारोमिक कोचेस में होगा माउंटेन के हसीन नजारों का दीदार
पैनारोमिक कोचेस में माउंटेन के हसीन नजारे आसानी से देखने को मिलेंगे. नैरोगेज रेल लाइन पर ये डिब्बे 25 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगे और इनके रन ट्रायल जल्द ही शुरू होने जा रहे हैं. निश्चित रूप से ये कोच मेक इन इंडिया का एक बड़ा उदाहरण है.
पैसेंजर कम्फर्ट को दिया गया अधिक महत्व
नैरो गेज यात्री डिब्बों का डिजाइन बहुत ज्यादा इम्प्रूव हो गया है. इन डिब्बों में खासतौर से पैसेंजर कम्फर्ट को बहुत अधिक महत्व दिया गया है. बताना चाहेंगे कि इस परियोजना की शुरुआत में रेल कोच फैक्टरी को काफी कठिनाइयों से झूझना पड़ा क्योंकि इस समय दौड़ रहे डिब्बों का डिजाइन सन् 1908 के आसपास तैयार किया गया था.
रेल कोचेस का डिजाइन 100 साल से भी पुराना था
इस संबंध में भी जानकारी देते हुए फैक्टरी महाप्रबंधक अशेष अग्रवाल ने कहा सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि हमारे पास 7,062 एम.एम. नैरोगेज ट्रैक है, उसका कोई डिजिटल डेटा नहीं था. उसके साथ-साथ रेल कोचेस का डिजाइन 100 साल से भी पुराना था.
ऐसी स्थिति में इसकी टेक्निकल स्पेसिफिकेशन और टेक्निकल ड्रॉइंग भी अवेलेबल नहीं थी. अभी जो कोच चल रहे हैं और अभी जो ट्रैक हैं, कपूरथला रेल कोच फैक्टरी ने उन सबका डेटा पहले मेजर किया. उसके पश्चात खुद ही मॉडल बनाएं और फिर तरह-तरह के सिम्यूलेशन और अलग-अलग मेथड के बेस पर पूरा डिजाइन बनाया.
कालका-शिमला सेक्शन के लिए 42 कोच का ऑर्डर
रेल कोच फैक्टरी द्वारा इस वर्ष नैरोगेज के लिए और डिब्बे तैयार किए जाएंगे. कालका-शिमला सेक्शन के लिए 42 कोच का ऑर्डर रेलवे बोर्ड को मिल चुका है. इसके अलावा 26 कोच का आर्डर और दिया जा चुका है. फिलहाल, इसकी डिटेल्ड ट्रायल होना बाकी है.
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06:14 PM IST