Wealth Guide: टैक्स प्लानिंग में लाइफ इंश्योरेंस कैसे है मददगार, एक्सपर्ट से समझें
Life Insurance for tax planning: लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का वैसे अहम मकसद बीमित व्यक्ति की मृत्यु या डिसएबिलिटी पर उसककी फैमिली को आर्थिक सुरक्षा उपलब्ध कराना है. साथ ही एक टैक्स सेविंग में भी मददगार है.
(Representational Image)
(Representational Image)
Life Insurance for tax planning: टैक्स प्लानिंग के मकसद से जनवरी से मार्च का महीना हमेशा से सैलरीड इंडिविजुअल्स के लिए अहम रहा है. यह एक ऐसा काम है, जिस पर काफी गंभीरता की जरूरत होती है, लेकिन आमतौर पर इसे जल्दबाजी में ही निपटाया जाता है. आधिकांश लोग टैक्स सेविंग्स प्रोडक्ट्स में बिना उसकी खासियत और फायदों का आकलन किए निवेश कर देते हैं. जब भी हम अलग-अलग फाइनेंशियल इन्स्ट्रूमेंट्स की बात करते हैं, तो हमेशा एक एश्योर्ड कॉपर्स बनाने वाले प्रोडक्ट्स को चुनना चाहिए, जिसमें फ्लैक्सिबिलिटी के साथ-साथ वैल्यू एप्रिसिएशन और टैक्स सेविंग्स के फायदे मिल सके.
लाइफ इंश्योरेंस प्लान (Life Insurance Plan) कैसे टैक्स बेनेफिट्स के लिए बेहतर है, इस बार में हमने आदित्य बिड़ला सन लाइन इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (ABSLI) के चीफ एक्चुरियल ऑफिसर अनिल कुमार सिंह से बात की. उनका कहना है कि अगर कोई प्रोटेक्शन प्रोडक्ट्स के जरिए एक्सेसबिलिटी और वैल्यू के बारे में बात करता है, तो लाइफ इंश्योरेंस अंडररेटेड टैक्स-सेविंग इन्स्ट्रूमेंट में से एक है. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का मुख्य मकसद वैसे बीमित व्यक्ति की मृत्यु या डिसएबिलिटी पर उसकी फैमिली को आर्थिक सुरक्षा उपलब्ध कराना है. साथ ही यह टैक्स सेविंग में भी मददगार है.
कुछ सबसे ज्यादा पंसद किए जाने वाले लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स में टर्म प्लान, मनी-बैक एंड होल-लाइफ पॉलिसीज और ULIPs (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान) शामिल हैं. टर्म प्लान आपको प्योर प्रोटेक्शन उपलब्ध कराता है, जबकि अन्य प्रोडक्ट्स में इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट दोनों शामिल रहते हैं. हालांकि, इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट की ओर से इन सभी प्रोडक्ट्स को टैक्स बेनेफिट के दायरे में रखा गया है. इसलिए सभी तरह के लाइफ इंश्योरेंस प्लान पर एंट्री और रिडम्प्शन पर टैक्स बेनेफिट मिलते हैं.
TRENDING NOW
आइए लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स पर मिलने वाले टैक्स बेनेफिट्स समझते हैं.
1. इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80C के अंतर्गत 1.50 लाख रुपये तक टैक्स डिडक्शन लिया जा सकता है. इसमें पति/पत्नी या बच्चे के लाइफ इंश्योरेंस का चुकाया गया प्रीमियम भी शामिल है.
2. सेक्शन 80CCC के अंतर्गत पेंशन/एन्युटी प्लान लेने पर 1 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन मिलता है. मैच्योरिटी पर मिलने वाले फंड के दो-तिहाई पर इनकम टैक्स लगता है, जबकि बाकी एक तिमाही रकम टैक्स फ्री होती है.
3. बीमित व्यक्ति की असमय मृत्यु हो जाने पर नॉमिनी की ओर से इंश्योरेंस रकम क्लेम करने पर पूरी रकम सेक्शन 10D के अंतर्गत टैक्स फ्री रहती है. इसी तरह का बेनेफिट यूलिप प्लान और रिटायरमेंट प्लान के लिए भी सेक्शन 80CCC में मिलता है.
4. इस तरह, सेक्शन 80CCE के अंतर्गत सेक्शन 80सी, सेक्शन 80सीसीसी और सेक्शन 80सीसीडी (1) की कुल डिडक्शन लिमिटेड 1.50 लाख रुपये है.
5. दूसरे सेविंग्स इन्ट्रूमेंट्स के विपरीत लाइफ इंश्योरेंस पर एडिशनल EEE बेनेफिट मिलता है. इसका मतलब के जब पैसा निवेश करते हैं, निवेश पर इनकम और अंत में जो अमाउंट मिलता है, तीनों ही टैक्स के दायरे से बाहर होते हैं.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
टैक्स सेविंग के लिए लाइफ इंश्योरेंस कैसे चुने
जब भी टैक्स सेविंग इन्स्ट्रूमेंट्स के लिए लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स चुनने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए.
1. टैक्स डिडक्शन उसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (1 अप्रैल 2012 के बाद जारी पॉलिसी के मामले में) पर मिलता है, जिसमें प्रीमियम सम-एश्योर्ड का 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होता है. इस तारीख से पहले की जारी पॉलिसी पर प्रीमियम सम-एश्योर्ड का 20 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
2. अगर पॉलिसीहोल्डर 2 साल (ट्रेडिशनल पॉलिसी) या 5 साल (ULIP पॉलिसी) से पहले इंश्योरेंस पॉलिसी सरेंडर करता है, तो टैक्स डिडक्शन रिवर्स हो जाएगा.
सही लाइफ इंश्योरेंस कवर कैसे सलेक्ट करें
लाइफ इंश्योरेंस टेक्स प्लानिंग के जनरिए से भी एक बेहतर विकलप है. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (Life Insurance Policy) सलेक्ट करने से पहले यह बात ध्यान में रखें कि लाइफ इंश्योरेंस अन्य दूसरे सभी फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स से अलग है, क्योंकि यह आपके आर्थिक हितों को प्रोटेक्शन देता है. इसलिए यह फाइनेंशियल प्लान का आधार होना चाहिए. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनने से पहले आपको अपनी सालाना इनकम, मौजूदा देनदारी, मौजूदा इंश्योरेंस कवर, उम्र, आश्रितों की संख्या और भविष्य के फाइनेंशियल गोल को ध्यान में रखना चाहिए. याद रखें कि इंश्योरेंस खरीदते समय आपको टैक्स सेविंग में मदद मिल सकती है. हमेशा टैक्सेशन नियमों में नए अपडेट को लेकर अलर्ट रहे और विवकेपूर्ण तरीके से निवेश करें.
(Disclaimer: The views/suggestions/advice expressed here in this article are solely by investment experts. Zee Business suggests its readers to consult with their investment advisers before making any financial decision.)
11:34 AM IST