PPF Vs NPS: उम्र जब ढल जाएगी, तब भी भरी रहेगी जेब; बुढ़ापे के लिए कहां निवेश है बेहतर, जानें एक्सपर्ट की सलाह
PPF Vs NPS: एक्सपर्ट का कहना है कि PPF में कोई भी निवेश कर सकता है. यह एक वॉलेटियरी स्कीम है. वहीं, NPS में कोई भी नौकरीपेशन अकाउंट खुलवा सकता है. लेकिन, दोनों में कुछ बुनियादी अंतर है.
(Representational Image)
(Representational Image)
PPF Vs NPS: रिटायरमेंट के बाद आपकी लाइफ बिना किसी टेंशन के चलती रहे, इसके लिए जरूरी है कि आपकी जेब में पैसे रहे. आपको रेग्युलर इनकम होती रहे. इसलिए उम्र ढलने से पहले ही अपने बुढ़ाने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करनी चाहिए. जब जॉब या बिजनेस के शुरुआती दिनों में हों, तब ही निवेश की शुरुआत कर देनी चाहिए. लंबी अवधि के लिए निवेश के विकल्पों की बात करें, तो पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS), दोनों ही बेहद पॉपुलर स्कीम्स हैं. खासकर नौकरीपेशा लोगों के बीच इनका अच्छा खासा क्रेज है. एक्सपर्ट का कहना है कि PPF में कोई भी निवेश कर सकता है. यह एक वॉलेटियरी स्कीम है. वहीं, NPS में कोई भी नौकरीपेशा अकाउंट खुलवा सकता है. लेकिन, दोनों में कुछ बुनियादी अंतर है.
फाइनेंशियल प्लानर और ब्लूस्टोन वेल्थ मैटर्स प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर डायरेक्टर असीम जुनेजा कहते हैं, लंबी अवधि के लिए निवेश बात करते हैं, तो इसमें पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) दोनों ही बेहतर ऑप्शन हैं. NPS पूरी तरह रिटायरमेंट-ओरिएंटेड स्कीम है, जबकि PPF रिटायरमेंट के लिए एक ऑप्शन हो सकता है, बशर्ते अकाउंटहोल्डर इसे मैच्योरिटी के बाद भी लंबी अवधि तक बनाए रखे.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
PPF और NPS के रिस्क फैक्टर की बात करें, तो पीपीएफ पूरी तरह डेट इन्स्ट्रमेंट्स हैं. वहीं एनपीएस में डेट और इक्विटी दोनों का मिक्स है. NPS में निवेशक 75 फीसदी तक इक्विटी का एक्सपोजर चुन सकते हैं. अगर निवेशक ज्यादा जोखिम नहीं उठाना चाहता है, तो वह NPS अकाउंट में 50:50 फीसदी के रेश्यो में डेट और इक्विटी का ऑप्शन रख सकता है.
असीम जुनेजा का कहना है, NPS खाताधारक लंबी अवधि में करीब 10 फीसदी का रिटर्न हासिल कर लेगा, जोकि PPF के मुकाबले 2.9 फीसदी ज्यादा होगा. पीपीएफ पर अभी सरकार 7.1 फीसदी सालाना ब्याज दे रही है. PPF में आपको एकमुश्त पैसा मिलता है और इसमें आपको अपने रिटायरमेंट के लिए फंड का मैनेजमेंट करना होता है. जबकि, NPS में 60 फीसदी आप एकमुश्त मिलता है और मिनिमम 40 फीसदी की रकम एन्युटी में जाएगी, जिससे आपको मंथली पेंशन मिलती रहेगी.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Public provident fund)
PPF अकाउंट में आप हर साल मैक्सिमम 1,50,000 रुपये जमा कर सकते हैं. PPF में निवेश की रकम को सेक्शन 80C के तहत टैक्स डिडक्शन मिलती है. इसके अलावा, इस में मैच्योरिटी पर मिलने वाला अमाउंट और ब्याज भी टैक्स फ्री होता है. PPF का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल है. हालांकि, 7 साल बाद इसमें प्री-मैच्योर विद्ड्रॉल किया जा सकता है. PPF अकाउंट को 15 साल के बाद 5-5 साल के ब्लॉक में आगे बढ़ाया जा सकता है. पीपीएफ पर अभी 7.1 फीसदी सालाना ब्याज मिल रहा है. इसमें कम्पाउंडिग सालाना होती है.
नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension System)
एनपीएस को खासतौर से रिटायरमेंट के बाद की फाइनेंशियल जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. इसमें मैच्योरिटी पर फंड का 60 फीसदी मिलता है. यह राशि टैक्स-फ्री होती है. शेषी 40 फीसदी रकम एन्युटी में जाती है. एन्युटी की रकम से ही इंश्योरेंस कंपनी जीवन भर पेंशन देती है. हालांकि, यह पेंशन टैक्स दायरे में आता है.
पीपीएफ की तरह इसमें रिटर्न फिक्स नहीं होता है. लेकिन यह फंड ओर से इक्विटी और डेट में निवेश से हासिल होने वाले रिटर्न पर निर्भर करता है. दरअसल, एन्युटी आपके और इंश्योरेंस कंपनी के बीच एक कांट्रैक्ट होता है. इस कांट्रैक्ट के तहत नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में कम से कम 40 फीसदी रकम का एन्युटी खरीदना जरूरी होता है. यह रकम जितनी अधिक होगी, पेंशन की रकम उतनी ही अधिक होगी. एन्युटी के तहत निवेश की गई रकम रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में मिलती है और एनपीएस की शेष राशि एकमुश्त निकाली जा सकती है.
08:08 PM IST