New Wage Code 2022: ड्राफ्ट्स को लागू करने की है तैयारी, कब और क्या होंगे बदलाव? यहां मिलेगी सही जानकारी
New wage code 2022 latest update: नए श्रम कानूनों (New wage Code) में कुछ बदलाव की तैयारी हो रही है. केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) नए लेबर कोड (New Labour Code) में एक बार फिर सैलरी स्ट्रक्चर बदलने की तैयारी कर रही है.
New wage code 2022: न्यू वेज कोड को लेकर काफी चर्चाएं हैं. पिछले 2 साल से सरकार इसे लागू करना चाहती है. लेकिन, अभी तक आम सहमति नहीं बनने और ड्राफ्ट्स में होने वाले बदलावों के चलते इसमें देरी हुई है. सरकार की तैयारी पूरी है. साल 2022 में इसे लागू किया जाना है. लेकिन, अभी डेट फाइनल नहीं है. न्यू वेज कोड को लेकर कई मीडिया में चर्चा है कि 1 जुलाई से इसे लागू किया जा सकता है. हालांकि, ये पूरी तरह भ्रामक है. क्योंकि, सरकार ने अभी तक ऐसा कोई ऐलान नहीं किया है. जब भी कोई पॉलिसी लागू की जाती है, उसका नोटिफिकेशन कम से कम 15 दिन पहले जारी कर दिया जाता है. इसलिए 1 जुलाई से इसके लागू होने का सवाल ही नहीं है.
पहले भी कई बार बढ़ चुकी है तारीख
न्यू वेज कोड को लागू करने की तारीखों को कई बार पहले भी बदला जा चुका है. पहले 1 अप्रैल 2021, फिर जुलाई 2021 और अक्टूबर 2021 की डेट मिलने के बाद भी ये लागू नहीं हो सका. न्यू वेज कोड में 4 लेबर कोड लागू होने हैं. सूत्रों के मुताबिक, राज्य के ड्राफ्ट इनपुट पर चर्चा की जा रही है. कुल 26 राज्यों की तरफ से ड्राफ्ट्स दाखिल किए जा चुके हैं. खबर है कि नए श्रम कानूनों (New wage Code) में कुछ बदलाव की तैयारी हो रही है. मोदी सरकार (Modi Government) नए लेबर कोड (New Labour Code) में एक बार फिर सैलरी स्ट्रक्चर बदल सकती है. बता दें, नए लेबर कोड को 2019 में संसद ने पारित किया जा चुका है.
क्या होने वाले हैं बदलाव?
न्यू लेबर कोड (New Labour Code) में कुछ संशोधन किए जा सकते हैं. मतलब इसमें सैलरी स्ट्रक्चर को लेकर बदलाव हो सकते हैं. साथ ही गिग (Gig) और प्लेटफॉर्म वर्कर (Platform workers) के लिए भी एक सामाजिक सुरक्षा कल्याण तंत्र पर काम चल रहा है. केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली के मुताबिक, नए ड्राफ्ट रूल तैयार हो रहे हैं. जब भी कोई बड़ी स्कीम लॉन्च होती है तो समय लगता है. इसमें राज्यों की भागीदारी जरूरी है. उन्होंने कहा कि फिलहाल इसकी कोई भी डेडलाइन तय नहीं है. लेकिन, उम्मीद है कि लेबर कोड को साल 2022 में ही लागू कर दिया जाएगा.
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50% नहीं होंगे अलाउंस
अभी तक जो गाइडलाइन तैयार की गई थीं. उसमें कुल CTC का 50% बेसिक सैलरी और 50% अलाउंस में रखने की बात सामने आई थी. इससे अंदाजा लगाया गया था कि नौकरीपेशा की इनहैंड सैलरी काफी कम हो सकती है. साथ ही टैक्स का बोझ बढ़ सकता है. लेकिन, अब इस स्ट्रक्चर में थोड़ा चेंज आ सकता है. इसे पुराने स्ट्रक्चर पर लागू नहीं किया जाएगा. बल्कि पहले साल अलाउंस की लिमिट को 70-75% रखा जाएगा. जैसे मौजूदा स्ट्रक्चर में कंपनियां करती हैं. लेकिन, इसे 3 साल में धीरे-धीरे घटाकर 50 फीसदी कर दिया जाएगा. आसान तरीके से समझें तो लागू होने के पहले साल 70% अलाउंस रखे जाएंगे और 30% बेसिक सैलरी. इसके बाद 3 साल में अलाउंस का हिस्सा 50% होगा और बेसिक सैलरी को बढ़ाकर 50% कर दिया जाएगा.
छंटनी को लेकर तय होंगे नियम
नए लेबर कोड में कर्मचारियों की छंटनी (Layoffs) और कंपनी बंद होने को लेकर भी नियम तय होंगे. इस स्थिति में 300 कर्मियों की सीमा तय की गई थी. लेकिन, इसे लेकर लेबर यूनियन की तरफ से काफी विरोध किया गया. सूत्रों की मानें तो अब इसमें भी बदलाव किए जाने की संभावना है. इसे 300 से घटाकर 100 कर्मचारी करने पर विचार चल रहा है. इंडस्ट्रीयल रिलेशंस कोड (Industrial Relations Code) के तहत कर्मचारियों की छंटनी या कारोबार बंद करने के लिए 100 तक कर्मियों वाली कंपनियों के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी होगी.
HRA, ओवरटाइम अलाउंस नहीं होंगे शामिल
भारतीय मजदूर संघ के महासचिव और CBT बोर्ड के सदस्य विरजेश उपाध्याय के मुताबिक, इंडस्ट्री ने नए सैलरी स्ट्रक्चर में 50% अलाउंस रखने का विरोध किया था. राज्यों की तरफ से भी ड्राफ्ट्स में कुछ बदलाव किए गए हैं. नए लेबर कोड में बेसिक पे (Basic Salary), महंगाई भत्ता (Dearness Allowances – DA) और रिटेनिंग अलाउंसेज शामिल होंगे. हाउस रेंट अलाउंसेज (HRA) और ओवरटाइम अलाउंसेज (Overtime Allowances) शामिल नहीं किया जाएगा. अलाउंस के शामिल होने से एम्प्लाई और एम्प्लॉयर को प्रोविडेंट फंड में ज्यादा योगदान करना होगा. ग्रेच्युटी की रकम (Gratuity) भी बढ़ जाएगी. सरकार सोशल सिक्योरिटी के तहत रिटायरमेंट के लिए सेविंग्स पर ज्यादा फोकस कर रही है.
02:03 PM IST