नौकरी करने वालों के लिए बड़ी खबर, फार्म-16 को लेकर CBDT ने लिया ये फैसला
आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए नियोक्ताओं के फार्म-16 जारी करने की आखिरी तारीख 25 दिन बढ़ाकर 10 जुलाई कर दी है. फार्म-16 नियोक्ता अपने कर्मचारियों के टैक्स-विवरण के तौर पर जारी करते हैं.
TDS कटौती के विवरण दाखिल करने की तारीख भी 30 जून 2019 तक बढ़ा दी गई है. (फोटो: Pixabay)
TDS कटौती के विवरण दाखिल करने की तारीख भी 30 जून 2019 तक बढ़ा दी गई है. (फोटो: Pixabay)
आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए नियोक्ताओं के फार्म-16 जारी करने की आखिरी तारीख 25 दिन बढ़ाकर 10 जुलाई कर दी है. फार्म-16 नियोक्ता अपने कर्मचारियों के टैक्स-विवरण के तौर पर जारी करते हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बयान जारी कर कहा है कि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए नियोक्ताओं के फार्म-24 Q के माध्यम से TDS कटौती के विवरण दाखिल करने की तारीख भी 30 जून 2019 तक बढ़ा दी गई है.
CBDT के इस फैसले के बाद माना जा रहा है कि ITR फाइल करने की आखिरी तारीख भी 31 जुलाई से आगे बढ़ सकती है. नियम के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है. लेकिन, सीबीडीटी के फार्म 16 की तारीख बढ़ाकर 10 जुलाई करने के फैसले रिटर्न भरने की तारीख भी आगे बढ़ाई जा सकती है.
क्यों बढ़ सकती है रिटर्न भरने की तारीख
दरअसल, कोई कंपनी अगर 10 जुलाई को अपने कर्मचारी का फॉर्म-16 जारी करती है तो रिटर्न भरने के लिए 31 जुलाई तक का वक्त होगा. ऐसे में कर्मचारी को सिर्फ 21 दिनों का वक्त मिलेगा. आशंका है कि कम वक्त की वजह से कई कर्मचारी अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर पाएंगे. ऐसी स्थिति में आयकर विभाग रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख को 31 जुलाई से आगे बढ़ा सकता है.
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फॉर्म-24 Q में किया था बदलाव
इससे पहले आयकर विभाग ने मई की शुरुआत में फॉर्म-24 Q में कई अहम बदलाव किए थे. बदले नियम के मुताबिक, अब कंपनी को फॉर्म 16 के पार्ट B में एक्युरेट TDS सर्टिफिकेट की जानकारी देनी होगी. आपको बता दें, 24 Q सैलरी पर कटने वाले टैक्स का तिमाही स्टेटमेंट होता है.
क्या है फार्म-16?
आयकर एक्ट में अलग-अलग जरूरतों के लिए फॉर्म होते हैं. इनमें से एक फॉर्म 16 भी है. कर्मचारी के लिहाज से यह बेहद महत्वपूर्ण है. इसे कंपनी की ओर से जारी किया जाता है. यह फॉर्म रिटर्न दाखिल करने में मदद करता है. फॉर्म-16 का इस्तेमाल इनकम के सबूत के तौर पर होता है. यह कर्मचारी की सैलरी से काटे गए TDS (स्रोत पर कर कटौती) को सर्टिफाई करता है. इससे यह भी पता चलता है कि संस्थान ने टीडीएस काटकर सरकार को जमा किया है या नहीं.
दो हिस्सों में बंटा होता है फॉर्म-16
फॉर्म-16 को दो हिस्सों में बांटा गया है. पार्ट ए और पार्ट बी. पार्ट ए में संस्थान का TAN, उसका और कर्मचारी का पैन, पता, एसेसमेंट ईयर, रोजगार की अवधि और सरकार को जमा किए गए टीडीएस का संक्षिप्त ब्योरा होता है. पार्ट बी में सैलरी का ब्रेक-अप, क्लेम किए गए डिडक्शन, कुल टैक्स योग्य इनकम और सैलरी से काटे गए टैक्स का ब्योरा शामिल होता है.
11:24 AM IST