ज्यादा रिटर्न के नाम पर NBFC में FD कराना कितना सही? जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ
अगर आप अधिक रिटर्न को देखते हुए किसी एनबीएफसी कंपनी में निवेश करने जा रहे हैं तो पहले कुछ होमवर्क करना जरूरी है.
छोटी बचत योजनाओं में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) निवेश विकल्प के रूप में भारत में काफी लोकप्रिय रहा है. इसकी बड़ी वजह एक तय अवधि में निश्चित रिटर्न और सुरक्षित निवेश है. इसे परंपरागत निवेश विकल्प के रूप में भी जाना जाता है. बीते कुछ समय से छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाले कम ब्याज की वजह से लोगों में एफडी की तरफ झुकाव में कमी देखने को मिल रही थी.लेकिन हाल में सरकार की तरफ से तीसरी तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज दर में बढ़ोतरी से एफडी की तरफ लोगों का ध्यान दोबारा लौट रहा है.
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC), बैंक और डाकघर के एफडी से ज्यादा ब्याज देने की पेशकश कर रही हैं. लेकिन अभी के समय में इस बात पर गौर करना बेहद जरूरी है कि क्या आपको छोटे वित्त बैंक या एनबीएफसी कंपनियों में एफडी कराना चाहिए. आइए इसी पर चर्चा करते हैं.
एफडी कराने से पहले कंपनी की पड़ताल जरूरी
अगर आप अधिक रिटर्न को देखते हुए किसी एनबीएफसी कंपनी में निवेश करने जा रहे हैं तो पहले कुछ होमवर्क करना जरूरी है. मुंबई की सर्टिफाइड फाइनेंसियल प्लानर पूजा बिपिन भिंडे कहती हैं कि किसी छोटे वित्तीय बैंक या एनबीएफसी में एफडी कराने से पहले कंपनी की रेटिंग चेक करें. यह इंटरनेट पर उपलब्ध होते हैं. कंपनी की एक मजबूत होल्ड होनी चाहिए. साथ ही उसकी परिसंपत्तियां, तरलता (लिक्विडिटी) और पिछले प्रदर्शन को जरूर परखें. इक्रा, केयर और क्रिसिल जैसी कंपनियां एनबीएफसी कंपनियों की रेटिंग तय करती हैं. हालांकि पूजा का यह भी कहना है कि अभी के दौर में सामान्य बैंक या डाकघर की एफडी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
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मुंबई की वित्तीय सलाहकार पूनम रूंगटा का कहना है कि एनबीएफसी में एफडी कराना जोखिम भरा हो सकता है. जो कंपनियां बाजार में विश्वसनीय हैं, उनकी पड़ताल करने के बाद ही आप एफडी कराएं. इन कंपनियों की रेटिंग AA से अधिक हो तभी एफडी कराएं. अगर कोई एनबीएफसी कंपनी एकदम से सामने आए और एफडी पर अधिक ब्याज की पेशकश करे तो इसके झांसे में न आएं. हमेशा जानी मानी कंपनियों के बार में सोचें. एनबीएफसी कंपनियों में बड़ी राशि निवेश न करें. जेएस फाइनेंसियल के सह-संस्थापक जितेंद्र सोलंकी कहते हैं कि निवेशकों को अच्छी रेटिंग की जानकारी के बावजूद कंपनी को अच्छी तरह से परखने के बाद ही एफडी कराना चाहिए.
अगर कंपनी का लाइसेंस रद हो जाए
अगर आपने पहले किसी एनबीएफसी कंपनी या छोटे वित्तीय बैंक में एफडी करा रखी है और आज पता चला कि आरबीआई ने उसका लाइसेंस ही रद कर दिया तो इससे बहुत ज्यादा परेशान न हों. हर कंपनी अपनी एक नीति के तहत कारोबार करती है. जानकारों का कहना है कि अगर लाइसेंस रद्द हो जाता है तो इसकी संभावना है कि आपको ब्याज नहीं मिलेगा लेकिन आपके मूलधन को तो कंपनी को लौटानी ही होगी. ऐसी स्थिति में कंपनियां अपने ग्राहकों को सूचना देती हैं और एक एग्जिट विंडो का प्रबंध करती हैं. भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर कुछ एनबीएफसी कंपनियों का लाइसेंस रद्द करता रहता है.
सामान्य बैंक या डाकघर ज्यादा सुरक्षित
जब आप निवेश कर रहे होते हैं तो आपके लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है धन की सुरक्षा. जानकार कहते हैं कि अभी के समय में अगर आपको एफडी करानी ही है तो आपको सामान्य बैंकों या डाकघर का रुख करना चाहिए. यहां आपका निवेश ज्यादा सुरक्षित रहता है, हां आपको ब्याज हो सकता है थोड़ा कम मिले. सोलंकी तो यहां तक कहते हैं कि आम निवेशकों को अधिक रिटर्न की पेशकश करने वाली एनबीएफसी कंपनियों में निवेश से दूर ही रहना चाहिए.
11:05 AM IST