EPF क्लेम फॉर्म 10C,10D, 31 और 19 में क्या है अंतर? कब पड़ती है किस फॉर्म की जरूरत
ईपीएफ या ईपीएस का पैसा निकालने के लिए आपको अलग-अलग फॉर्म की जरूरत पड़ती है. अगर आप ईपीएफ में अपना योगदान करते हैं तो इनके बारे में आपको जानकारी जरूर होनी चाहिए.
EPF क्लेम फॉर्म 10C,10D, 31 और 19 में क्या है अंतर? कब पड़ती है किस फॉर्म की जरूरत
EPF क्लेम फॉर्म 10C,10D, 31 और 19 में क्या है अंतर? कब पड़ती है किस फॉर्म की जरूरत
नौकरीपेशा लोगों की बेसिक सैलरी और डीए का 12 फीसदी हिस्सा ईपीएफ अकाउंट में जाता है और इतना ही अंशदान नियोक्ता की ओर से भी किया जाता है, जो दो हिस्सों में बंट जाता है. नियोक्ता की ओर से जमा अमाउंट का 8.33% एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (EPS) में चला जाता है और शेष 3.67% पीएफ खाते में जाता है. ईपीएफ पर मौजूदा समय में 8.1 फीसदी के हिसाब से ब्याज मिल रहा है. ब्याज कंपाउंडिंग होता है. इस तरह साल दर साल कॉन्ट्रीब्यूशन करके कर्मचारी का अच्छा खासा अमाउंट ईपीएफ अकाउंट में जमा हो जाता है. जरूरत पड़ने पर कर्मचारी आंशिक या पूरा अमाउंट अपने ईपीएफ अकाउंट से निकाल भी सकते हैं.
हालांकि पेंशन का लाभ 10 साल की नौकरी पूरी करने के बाद 58 साल की उम्र पर दिया जाता है. लेकिन अगर 10 वर्षों की नौकरी पूरी नहीं हुई है तो फाइनल सेटलमेंट करते समय ईपीएफ के साथ ईपीएस का पैसा भी निकाला जा सकता है. लेकिन इन सभी तरह के फंड की निकासी के लिए अलग-अलग फॉर्म की जरूरत पड़ती है. आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.
Form 31
नौकरी के दौरान पैसों से जुड़ी जरूरत को पूरा करने के लिए जब आप अपने पीएफ बैलेंस का कुछ हिस्सा या Advance PF निकालते हैं, तब आपको पीएफ निकासी फॉर्म 31 की जरूरत पड़ती है. इसे ईपीएफ क्लेम फॉर्म 31 (EPF Claim Form 31) भी कहा जाता है. जरूरत के हिसाब से निकासी के नियम अलग-अलग होते हैं.
Form 19
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ईपीएफओ के नियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति लगातार दो महीने तक बेरोजगार रहने या रिटायरमेंट के बाद अपने ईपीएफ फंड का पूरा पैसा निकाल सकता है. जब आपको ईपीएफ के पूरे फंड की निकासी करनी होती है तो आप पीएफ निकासी फॉर्म 19 का इस्तेमाल करते हैं. इसे ईपीएफ क्लेम फॉर्म 19 (EPF Claim Form 19) भी कहा जाता है.
Form 10D
ईपीएफओ के नियम के हिसाब से अगर किसी व्यक्ति ने 10 वर्षों तक लगातार नौकरी करके ईपीएफ पेंशन अकाउंट यानी (EPS) में अपना योगदान किया है, तो वो पेंशन पाने का हकदार हो जाता है और रिटायरमेंट के बाद उसे ये पेंशन दी जाती है. ऐसे में रिटायरमेंट के बाद पेंशन लाभ लेने के लिए उसे फॉर्म 10D भरना पड़ता है. इसके अलावा किसी अन्य स्थिति में भी अगर व्यक्ति ईपीएफओ से पेंशन पाने का हकदार है तो उसे फॉर्म 10D भरना पड़ेगा.
Form 10C
अगर कर्मचारी की नौकरी की अवधि 10 साल की नहीं है और वो अपने ईपीएफ का फुल एंड फाइनल सेटलमेंट करते समय ईपीएस में जमा पैसे को भी एक साथ निकाल सकता है. ऐसे में उसे फॉर्म 10C को भरना होता है. इसके अलावा इस फॉर्म का इस्तेमाल आप पेंशन स्कीम सर्टिफिकेट लेने के लिए भी कर सकते हैं. इस सर्टिफिकेट के जरिए आप अपने पीएफ बैलेंस को एक कंपनी से दूसरी कंपनी के पास ट्रांसफर करवा सकते हैं.
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04:19 PM IST