7th pay commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बंपर गुड न्यूज, 31 मार्च से 90,000 रुपए तक बढ़ जाएगी सैलरी, 3% बढ़ेगा महंगाई भत्ता
7th pay commission latest news: केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 3 फीसदी का इजाफा हो सकता है. लेकिन, ऐसे में नया अपडेट उन्हें खुश कर सकता है.
7th Pay Commission latest news: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बंपर गुड न्यूज है. मार्च में उन्हें होली गिफ्ट मिलने जा रहा है. इससे उनकी सैलरी में बड़ा जंप आएगा. 1 करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स (Pensioners) को इसका फायदा मिलेगा. मार्च महीने में सरकार केंद्रीय कर्मचारियों (Central government employees) का महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) बढ़ाने का ऐलान कर सकती है. जनवरी 2022 के लिए महंगाई भत्ते का ऐलान होना है. दिसंबर में जारी हुए AICPI आंकड़ों के बाद यह तय है कि महंगाई भत्ते में 3 फीसदी का इजाफा होगा.
34% हो जाएगा Dearness allowance
Labor Ministry के मुताबिक, दिसंबर 2021 में All India Consumer Price Index for Industrial Workers (AI CPI-IW) का आंकड़ा 125.4 पर पहुंच गया है. इससे कर्मचारियों के DA में 3 फीसदी का इजाफा कन्फर्म है. 31 फीसदी से बढ़कर 34 फीसदी DA मिलेगा. कर्मचारियों को मार्च की सैलरी में इसका भुगतान किया जा सकता है.
90 हजार रुपए तक बढ़ जाएगी सैलरी
JCM सेक्रेटरी शिव गोपाल मिश्रा के मुताबिक, केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई के अनुपात में पैसा मिलना चाहिए. सरकार ने अभी तक एरियर को लेकर स्थिति साफ नहीं की है. ऐसे में 3 फीसदी DA का ऐलान होता है तो निश्चित तौर पर राहत की बात है. अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 30 हजार रुपए महीना है तो इससे उसकी तनख्वाह 900 रुपए महीना बढ़ेगी. सालाना आधार पर देखें तो सीधे उनकी ग्रॉस सैलरी में 10,800 रुपए बढ़ जाएंगे. कैबिनेट सचिव स्तर के अफसरों की सैलरी 7500 रुपए महीना बढ़ेगी. मतलब सबसे ज्यादा ढाई लाख रुपए महीना बेसिक सैलरी होती है, उन्हें सालाना आधार पर 90 हजार रुपए का फायदा होगा.
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क्या होता है महंगाई भत्ता?
महंगाई भत्ता (Dearness allowance) ऐसा पैसा है, जो सरकारी कर्मचारियों को उनके रहने-खाने के स्तर (Cost of Living) को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है. ये पैसा इसलिए दिया जाता है, ताकि महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर में कोई फर्क न पड़े. ये पैसा सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को दिया जाता है. इसकी शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी. उस वक्त सिपाहियों को खाने और दूसरी सुविधाओं के लिए तनख्वाह से अलग यह पैसा दिया जाता था. उस वक्त इसे खाद्य महंगाई भत्ता या डियरनेस फूड अलाउंस (Dearness food allowance) कहते थे. भारत में मुंबई से 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई थी. इसके बाद केंद्र सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा.
हर 6 महीने में होता है बदलाव
डियरनेस अलाउंस (Dearness allowance) कर्मचारियों के रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है. यह भत्ता सरकारी कर्मचारियों, पेंशनधारकों और पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को दिया जाता है. महंगाई भत्ता इसलिए दिया जाता है कि महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारियों को अपना जीवन-यापन करने में कोई परेशानी न हो. आमतौर पर हर 6 महीने, जनवरी और जुलाई में Dearness Allowance में बदलाव किया जाता है.
अलग-अलग होता है DA
महंगाई भत्ता (Dearness allowance) कर्मचारियों के वेतन के आधार पर दिया जाता है. शहरी, अर्ध शहरी और ग्रामीण इलाकों में नौकरी करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता अलग-अलग होता है. डियरनेस अलाउंस की गणना मूल सैलरी पर होती है. महंगाई भत्ते की गणना के लिए एक फार्मूला तय किया गया है, जोकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price index या CPI) से तय होता है.
ये फॉर्मूला होता है इस्तेमाल
महंगाई भत्ते का फीसदी = पिछले 12 महीने का CPI का औसत-115.76. अब जितना आएगा उसे 115.76 से भाग दिया जाएगा. जो अंक आएगा, उसे 100 से गुणा कर दिया जाएगा.
02:38 PM IST