पेंशन में हुई बढ़ोतरी कब से होगी लागू? कर्मचारी यूनियन EPFO पर बनाएंगी दबाव
सुप्रीम कोर्ट ने EPS-95 (इम्प्लॉईज पेंशन स्कीम) के पेंशनर्स के लिए पेंशन (Pension) में बढ़ोतरी का रास्ता साफ करने का फैसला दिया है, लेकिन इस फैसले के बाद भी पेंशनर्स के खाते में पैसा नहीं आया है.
26 राज्यों में फैले EPS संगठन ने बढ़ी पेंशन न देने की आलोचना की है. (Reuters)
26 राज्यों में फैले EPS संगठन ने बढ़ी पेंशन न देने की आलोचना की है. (Reuters)
सुप्रीम कोर्ट ने EPS-95 (इम्प्लॉईज पेंशन स्कीम) के पेंशनर्स के लिए पेंशन (Pension) में बढ़ोतरी का रास्ता साफ करने का फैसला दिया है, लेकिन इस फैसले के बाद भी पेंशनर्स के खाते में पैसा नहीं आया है. कर्मचारी इससे नाराज हैं. राष्ट्रीय संघर्ष समिति (NAC) के अध्यक्ष अशोक राउत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी अब तक ईपीएस-95 पेंशनर्स के खाते में पैसा नहीं आया है.
EPFO कर रहा विचार
उन्होंने भारतीय मजदूर संघ के अखिल भारतीय महामंत्री और CBT (केंद्रीय न्यासी बोर्ड) के प्रतिनिधि बृजेश उपाध्याय के बयान पर भी रोष जताया है कि EPFO के पास बढ़ी हुई पेंशन देने के लिए पैसा नहीं है. इस बीच, एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि EPFO सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विचार कर रहा है. उसकी तरफ से अभी कोई बयान नहीं आया है. उपाध्याय ने कहा है कि ईपीएस-95 के पेंशनर्स को पेंशन देने के लिए सरकार को मदद करनी होगी. अगर बिना किसी मदद के इस निर्णय को अमल में लाया गया तो 4 साल में ईपीएफओ का सारा फंड खत्म हो जाएगा.
ईपीएफ संगठन ने आलोचना की
राउत ने कहा, "भारतीय मजदूर संघ (BMS) के महामंत्री सरकार के पक्ष में हैं या कामगारों के पक्ष में, यह पता नहीं चल रहा है. बीएमएस के महामंत्री के इस बयान की राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित पूरे भारत में निंदा हो रही है. 26 राज्यों में फैले ईपीएस संगठन ने निंदा की है."
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विरोध प्रदर्शन की तैयारी
राउत ने कहा, "बीएमएस के महामंत्री यह नहीं जानते कि ईपीएस पेंशनर्स के 3.75 लाख करोड़ रुपये ईपीएफओ के पेंशन फंड में हैं, लेकिन पता नहीं वह कौन से सरकारी फंड की बात कर रहे हैं. अगर भारतीय मजदूर संघ के अखिल भारतीय महामंत्री ने श्रमिक विरोधी बयान वापस नहीं लिया तो बीएमएस के दिल्ली स्थित कार्यालय पर राष्ट्रीय संघर्ष समिति की ओर से उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा."
केरल हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा
सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ की याचिका खारिज करते हुए 1 अप्रैल को केरल हाईकोर्ट के उसे फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें ईपीएस-95 के पेंशनर्स को उनके पूरे वेतन के हिसाब से बढ़ी हुई पेंशन देने का आदेश दिया गया था. अशोक राउत ने कहा, "अभी तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल नहीं किया गया. इस मामले में ईपीएफओ ने दूसरी याचिका दायर की है, जिसका फैसला दो मई को होगा."
उन्होंने कहा है, "1 सितंबर, 2014 के बाद ईपीएस के जो लोग रिटायर हुए हैं, ईपीएफओ और सरकार ने पूरे वेतन पर उनकी पेंशन बंद कर दी थी. ईपीएस-95 के कुछ पेंशनधारक इस फैसले के खिलाफ केरल उच्च न्यायालय गए. केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि ईपीएफओ ऐसा नहीं कर सकती और जो लोग पूरे वेतन पर पेंशन चाहते हैं, वे पूरे वेतन पर अंशदान दें और पूरे वेतन पर पेंशन लें. ईपीएफओ ने पांच साल की पेंशन को औसत पेंशन माना था. इस पर केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि पिछले साल का वेतन ही औसत माना जा सकता है."
ईपीएफ पेंशनर के पक्ष में आया फैसला
केरल हाईकोर्ट ने ईपीएफओ के खिलाफ और कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया. इसके खिलाफ ईपीएफओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने एक अप्रैल को याचिका खारिज करते हुए ईपीएस पेंशनरों के पक्ष में फैसला दिया.
ऐसे कैलकुलेट होगी पेंशन
मौजूदा समय में ईपीएफओ पेंशन की गणना हर महीने में 1250 रुपये (15000 का 8.33 फीसदी) के हिसाब से करता है. कर्मचारियों के मूल वेतन का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ में जाता है और 12 फीसदी उनके नाम से नियोक्ता जमा करता है. कंपनी की 12 फीसदी हिस्सेदारी में 8.33 फीसदी हिस्सा पेंशन फंड में जाता और बाकी 3.66 फीसदी पीएफ में जाता है. केरल हाईकोर्ट ने ईपीएफओ को आदेश दिया था कि रिटायरमेंट पर सभी कर्मचारियों को उनके पूरे वेतन के हिसाब से पेंशन मिलनी चाहिए.
05:58 PM IST