कार्वी केस में SAT का SEBI को आदेश, सोमवार को होगा फैसला
पावर ऑफ अटॉर्नी के इस्तेमाल की कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग (KARVY) की अर्ज़ी पर मार्केट रेगुलेटर सेबी को सोमवार तक फैसला करना होगा.
सेबी ने 22 नवंबर को एक ऑर्डर जारी कर कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग पर नए ग्राहक जोड़ने, क्लाइंट के पावर ऑफ अटॉर्नी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी.
सेबी ने 22 नवंबर को एक ऑर्डर जारी कर कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग पर नए ग्राहक जोड़ने, क्लाइंट के पावर ऑफ अटॉर्नी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी.
पावर ऑफ अटॉर्नी के इस्तेमाल की कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग (KARVY) की अर्ज़ी पर मार्केट रेगुलेटर सेबी को सोमवार तक फैसला करना होगा. सिक्योरिटीज़ अपीलेट ट्रिब्यूनल (सैट) ने कार्वी ब्रोकिंग की अर्ज़ी पर पर सेबी को ये आदेश दिया है. कार्वी ने सैट में अर्ज़ी दायर सेबी को निर्देश देने की मांग की थी. कार्वी की दलील थी कि पावर ऑफ अटॉर्नी के इस्तेमाल पर रोक से क्लाइंट्स के सौदों का निपटारा करने में मुश्किल आ रही है.
कार्वी की दलील थी कि 22 नवंबर को सेबी का ऑर्डर जारी होने के बाद उसकी ओर से सेबी को सफाई भेजी गई. साथ ही कई बार फॉलोअप भी किया गया. लेकिन सेबी ने पावर ऑफ अटॉर्नी के इस्तेमाल को लेकर कोई जवाब नहीं दिया गया. इसलिए सैट में अर्ज़ी दाखिल करनी पड़ी है.
इस पर सेबी की ओर से कहा गया कि क्लाइंट्स के पावर ऑफ अटॉर्नी का और भी दुरुपयोग हो सकता है. इसलिए रोक लगाने का ऑर्डर पास किया गया था. सेबी की ओर से ये भी कहा गया कि शुरुआती जांच में जो जानकारी मिल रही है, गड़बड़ी की रकम ज्यादा भी हो सकती है. सैट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश दिया कि सेबी सोमवार तक कार्वी की अर्ज़ी पर फैसला ले. कार्वी की ओर से ये भी कहा गया कि NSE की ओर से रिपोर्ट मिलने के तुरंत बाद ही सेबी ने रोक लगा दी और पक्ष रखने का भी मौका नहीं मिला.
क्या है मामला
सेबी ने 22 नवंबर की शाम को एक एक्सपार्टी अंतरिम ऑर्डर जारी कर कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग पर नए ग्राहक जोड़ने, क्लाइंट के पावर ऑफ अटॉर्नी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी. पावर ऑफ अटार्नी देकर निवेशक, ब्रोकर को अपनी ट्रेडिंग से जुड़े फैसले लेने का अधिकार देते हैं. सेबी ने ऑर्डर में एक्सचेंजेज़ से ये भी कहा कि वो नियमों के तहत कार्वी पर कार्रवाई करें. दरअसल NSE ने कार्वी के खिलाफ जांच की थी.
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जांच में NSE ने पाया कि कार्वी ने ग्राहकों के शेयरों का दुरुपयोग किया है. ग्राहकों के शेयरों को बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के पास गिरवी रखकर लोन लिया है. NSE ने जांच में ये भी पाया कि कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग से 1096 करोड़ रुपये की रकम कार्वी के रियल एस्टेट कारोबार में ट्रांसफर की गई. जबकि 485 करोड़ रु की वैल्यू के ग्राहकों के शेयर ग्रुप से जुड़ी कंपनियों के ज़रिए बेच दिए गए. 162 करोड़ रुपये की रकम ग्रुप से जुड़ी कंपनियों में ट्रांसफर किए गए. यही नहीं 116 करोड़ रु की रकम ग्राहकों के ऐसे खातों से निकाल ली गई जिनमें कुछ समय से ट्रेडिंग नहीं हो रही थी.
सेबी ने पहले ही जारी किया थे नियम
सेबी ने इसी साल जून में नियम जारी कर ये साफ कर दिया था कि सभी ब्रोकर ग्राहकों के शेयर और फंड को खुद के शेयर और फंड से अलग रखेंगे. साथ ही ये भी निर्देश दिया था कि ब्रोकर क्लाइंट के शेयरों को गिरवी नहीं रख सकेंगे. 31 अगस्त को इसकी मियाद को बढ़ाकर 30 सितंबर तक कर दिया था. मतलब एक अक्टूबर से इस नियम को अमल में लाया जाना था. लेकिन कार्वी सहित कई और ब्रोकरेज़ फर्म्स ने इस पर अमल नहीं किया.
निवेशकों की परेशानी
ग्राहकों की ओर से अक्टूबर महीने से शिकायत आ रही थी कि शेयरों की बिक्री के बाद भी उनके खाते में पैसे नहीं आ रहे हैं. हालांकि तब ज़ी बिज़नेस को भेजे जवाब में कंपनी का कहना था कि दीवाली की छुट्टियों से कुछ दिक्कत हो रही है. जल्द ही इसे सुलझा लिया जाएगा. लेकिन इसके बाद भी ग्राहकों की शिकायतें आती रहीं.
ग्राहकों की बढ़ती शिकायतों को देखकर ज़ी बिज़नेस ने 20 नवंबर की सेबी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर सवाल पूछा. जिसमें सेबी के मेंबर अनंता बरुआ ने माना कि कार्वी की ओर से पेमेंट में दिक्कतें हैं. कुछ ग्राहकों को पेमेंट किया गया है. जबकि कुछ को किया जाना है. उन्होंने कहा कि मामले पर नज़र बनी हुई है.
22 नवंबर को NSE से कार्वी पर रिपोर्ट मिलते ही सेबी ने अंतरिम एकतरफा ऑर्डर जारी कर दिया. सोमवार को कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के सीईओ राजीव सिंह ने ज़ी बिज़नेस से बातचीत में कहा था कि क्लाइंट्स के 25-30 करोड़ रु का रकम ही बाकी है. जिसे 2 हफ्ते में भुगतान कर दिया जाएगा. कार्वी की ओर से ये भी सफाई दी गई कि गड़बड़ी का जो 2000 करोड़ रु का जो आंकड़ा पेश किया जा रहा है वो सच नहीं है. सेबी कार्वी के मामले को देखते हुए जल्द ही ब्रोकर्स से जुड़े नियमों में कुछ और बदलाव कर सकती है.
कार्वी केस में SAT का SEBI को आदेश
- सोमवार तक SEBI को अर्ज़ी पर फैसला लेने का निर्देश.
- पावर ऑफ अटॉर्नी (PoA) के इस्तेमाल की छूट मांगी थी.
- दलील-PoA के इस्तेमाल पर रोक से क्लाइंट्स को दिक्कत.
- कार्वी की दलील- क्लाइंट्स सौदे निपटाने मुश्किल हो रही.
- SEBI की दलील-PoA इस्तेमाल से दुरुपयोग का खतरा बढ़ेगा.
- SEBI की दलील-कार्वी में गड़बड़ी की रकम और बढ़ सकती है.
07:50 PM IST