चीनी मिलों पर गन्ना किसानों लगातार बढ़ रहा है बकाया, ISMA ने चीनी के रेट बढ़ाने की मांग की
चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया लगातार बढ़ता ही जा रहा है. चीनी मिलें इसके पीछे चीनी की कम कीमत को जिम्मेदार मान रही हैं. मिलों का कहना है कि चीनी की कम कीमत के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिसके चलते वे किसानों को उनका भुगतान नहीं कर पा रही हैं.
देशभर की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 20,000 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया हो गया है (फोटो-Zeebiz)
देशभर की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 20,000 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया हो गया है (फोटो-Zeebiz)
चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया लगातार बढ़ता ही जा रहा है. चीनी मिलें इसके पीछे चीनी की कम कीमत को जिम्मेदार मान रही हैं. मिलों का कहना है कि चीनी की कम कीमत के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिसके चलते वे किसानों को उनका भुगतान नहीं कर पा रही हैं.
उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने कहा कि 31 जनवरी, 2019 तक गन्ने की कीमतों का बकाया करीब 20,000 करोड़ रुपये हो गया है. इस्मा ने कहा कि चालू चीनी वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में आगे तीन महीने की पेराई की रफ्तार पर विचार करें तो बकाया रकम में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि मौजूदा चीनी का एक्स-मिल रेट 29-30 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब रहने पर मिलर समय पर बकाये का भुगतान करने में असमर्थ होंगे.
चीनी की कीमत बढ़ाने की मांग
उद्योग संगठन ने कहा कि डर इस बात की है कि अप्रैल 2019 के आखिर में फिर स्थिति (बकाया रकम का स्तर) काफी तकलीफदेह बन सकती है. इस्मा के अनुसार, देशभर में चीनी का एक्स मिल रेट (जिस दर पर चीनी मिलें डीलर को चीनी बेचती हैं.) 29-30 रुपये प्रति किलोग्राम है, जोकि चीनी की उत्पादन लागत से करीब पांच-छह रुपये प्रति किलोग्राम कम है.
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निजी मिलों के शीर्ष उद्योग संगठन ने सरकार से चीनी का एक्स मिल रेट बढ़ाकर 35-36 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग की है. साथ ही, उद्योग संगठन ने सभी मिलों के लिए आवंटित निर्यात कोटे को सख्ती से लागू करने की मांग की.
चालू गन्ना पेराई सत्र 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) के शुरुआती चार महीनों में चीनी का उत्पादन 185.19 लाख टन हो चुका है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के उत्पादन आंकड़े 171.23 लाख टन से 13.96 लाख टन यानी 7.5 फीसदी अधिक है.
दिसंबर तक 185.19 लाख टन चीनी का उत्पादन
इस्मा द्वारा सोमवार को जारी उत्पादन के आंकड़ों के अनुसार, 31 दिसंबर तक देशभर में चालू 514 मिलों में चीनी का कुल उत्पादन 185.19 लाख टन हुआ है, जबकि पिछले साल सीजन के शुरुआती चार महीनों में 504 चीनी मिलों में कुल उत्पादन 171.23 लाख टन हुआ था. इस्मा ने कहा कि चालू पेराई सत्र में मिलों ने गन्ने की पेराई जल्दी शुरू कर दी थी, इसलिए उत्पादन पिछले साल से ज्यादा हुआ है.
इस साल अबतक चीनी का सबसे ज्यादा उत्पादन महाराष्ट्र में 70.70 लाख टन हो चुका है, जबकि पिछले साल 31 जनवरी तक राज्य में 63.08 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था. इसके बाद उत्तर प्रदेश में 31 जनवरी, 2019 तक चालू 117 मिलों में चीनी का उत्पादन 53.36 लाख टन हुआ है, जबकि पिछले साल इस अवधि में 119 मिलों में 53.98 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था.
देश के तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक प्रदेश कर्नाटक में 31 जनवरी तक चालू 65 मिलों में चीनी का उत्पादन 33.04 लाख टन हुआ, जबकि पिछले साल इस अवधि तक चालू 58 मिलों में 26.78 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था. तमिलनाडु में पिछले साल के 2.12 लाख टन के मुकाबले इस साल 3.10 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है.
गुजरात में चालू सीजन के शुरुआती चार महीनों में 6.50 लाख टन चीन का उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले साल 6.07 लाख टन हुआ था. चालू सत्र में 31 जनवरी तक चीनी का उत्पादन आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में 3.70 लाख टन, बिहार में 4.08 लाख टन, उत्तराखंड में 1.75 लाख टन, पंजाब में 2.90 लाख टन, हरियाणा में 2.90 लाख टन और मध्यप्रदेश में 2.60 लाख टन हुआ है.
उद्योग संगठन का अनुमान है कि इस साल चीनी का उत्पादन 307 लाख टन हो सकता है, जोकि पिछले साल के उत्पादन अनुमान 325 लाख टन से करीब 6-7 फीसदी कम है.
(आईएएनएस से)
08:55 PM IST