फर्जी E-WayBill के आधार पर 200 करोड़ के जीएसटी की चपत, मध्य प्रदेश में छापेमारी जारी
जीएसटी प्रणाली लागू होने के करीब डेढ़ साल बाद सामने आयी इस धांधली को बोगस कारोबार, फर्जी इनवॉयस और जाली ई-वे बिलों के बूते अंजाम दिया गया.
फर्जीवाड़े के सुराग मिलने के बाद इंदौर में 17 स्थानों, भोपाल में एक स्थान और जबलपुर क्षेत्र में दो स्थानों पर छापे मारे गये.
फर्जीवाड़े के सुराग मिलने के बाद इंदौर में 17 स्थानों, भोपाल में एक स्थान और जबलपुर क्षेत्र में दो स्थानों पर छापे मारे गये.
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में खासकर धातुओं के कबाड़ के कारोबार के नाम पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का बेजा लाभ उठाने से जुड़े फर्जीवाड़े का आंकड़ा करीब 200 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. इससे पहले मुंबई में भी 333 करोड़ के जीएसटी फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था, जिसमें 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
मध्य प्रदेश के राज्य वस्तु एवं सेवा कर विभाग (एसजीएसटी) के सूत्रों ने बताया कि महकमे की डेटा अनैलिसिस इकाई को आंकड़ों की छान-बीन के दौरान पता चला कि धातु स्क्रैप के कारोबार से जुड़ी कई फर्मों ने माल की खरीदी-बिक्री दिखाते हुए जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल करने के लिये अपना दावा पेश किया. लेकिन इन फर्मों ने संबंधित अवधि का जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया. इस सुराग के बाद फर्जीवाड़े की सीजीएसटी की मदद से छानबीन शुरू की गयी.
अधिकारियों के मुताबिक जीएसटी प्रणाली लागू होने के करीब डेढ़ साल बाद सामने आयी इस अंतरप्रांतीय धांधली को बोगस कारोबार, फर्जी इनवॉयस और जाली ई-वे बिलों के बूते अंजाम दिया गया.
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मामले की जांच से जुड़े एक आला अधिकारी ने बताया कि मामले में तीनों राज्यों की 400 से ज्यादा फर्मों का धातु स्क्रैप का 1,100 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हमारी जांच के घेरे में है. फिलहाल हमें संदेह है कि इस कारोबार के नाम पर किये गये फर्जीवाड़े के जरिये जीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट का लगभग 200 करोड़ रुपये का अवैध लाभ उठाने की कोशिश की गयी."
उन्होंने हालांकि कहा कि आईटीसी की धांधली का वास्तविक आंकड़ा जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा. अधिकारी ने बताया कि तीनों राज्यों के कर विभागों की मदद से मामले की विस्तृत जांच जारी है. इसके जरिये जीएसटी फर्जीवाड़े की उस मास्टरमाइंड फर्म तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है जिसने साजिश के तहत बड़े पैमाने पर आईटीसी का बेजा लाभ उठाने की. उन्होंने बताया कि अब तक मामले में 14 लोगों के बयान दर्ज किये गये हैं.
केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विभाग की यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक फर्जीवाड़े के सुराग मिलने के बाद पिछले चार दिनों में मध्य प्रदेश के इंदौर क्षेत्र में 17 स्थानों, भोपाल क्षेत्र में एक स्थान और जबलपुर क्षेत्र में दो स्थानों पर छापे मारे गये. इनके अलावा, गुजरात के भावनगर क्षेत्र में पांच ठिकानों के साथ महाराष्ट्र के मुंबई क्षेत्र में दो परिसरों और ठाणे क्षेत्र में पांच परिसरों पर भी छापे मारे गये. विज्ञप्ति के मुताबिक शुरूआती जांच में लगभग 20 डीलरों के जीएसटी प्रणाली के तहत पंजीकृत व्यावसायिक परिसर फर्जी पाये गये हैं. यानी पंजीकृत पतों पर कोई भी व्यावसायिक गतिविधि नहीं हो रही थी. यही नहीं, अधिकांश मामलों में संबंधित परिसरों के वास्तविक मालिकों को उनके परिसरों में किसी भी व्यावसायिक गतिविधि की जानकारी ही नहीं थी. यानी उनके दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल करते हुए फर्जी तरीके से कई फर्मों का जीएसटी पंजीयन कराया गया था.
इन फर्मों की आड़ में बोगस कारोबार और जाली बिलों के आधार पर सरकारी खजाने से जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल करने की कोशिश की जा रही थी. इन फर्मों के फर्जी कारोबार के नाम पर करोड़ों रुपये के उस माल की ढुलाई के बोगस ई-वे बिल बनाये गये, जिसका वास्तव में कभी परिवहन हुआ ही नहीं था.
08:21 PM IST