Real Estate: घर खरीदारों के लिए अच्छी नहीं है खबर, लटक गए 6 लाख प्रोजेक्ट्स, दिल्ली-NCR में सबसे ज्यादा अटके
Real Estate: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-दिल्ली और एनसीआर (Delhi-NCR) में सबसे ज्यादा रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट्स अटके पड़े हैं. इनमें 1.13 लाख मकान फंसे पड़े हैं, जिनका मूल्य 86,463 करोड़ रुपये है.
हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु का फंसी पड़ी प्रोजेक्ट्स में योगदान सिर्फ 11 प्रतिशत है. (PTI)
हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु का फंसी पड़ी प्रोजेक्ट्स में योगदान सिर्फ 11 प्रतिशत है. (PTI)
Real Estate: देश में साल 2021 के मध्य में सात शहरों में 5 लाख करोड़ रुपये मूल्य से ज्यादा की छह लाख मकानों के निर्माण कार्य अटक गए या फिर उसमें देरी हुई है. जमीन, मकान के बारे में परामर्श देने वाली कंपनी ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी. पीटीआई की खबर के मुताबिक, एनरॉक प्रोपर्टी कंसल्टेंट की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन यूनिट के सात शहरों में प्रोजेक्ट्स हैं. ये प्रोजेक्ट्स साल 2014 या उससे पहले शुरू की गई थी.
1.40 लाख करोड़ रुपये की 1.74 लाख मकान पूरी तरह से अटके
खबर के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.40 लाख करोड़ रुपये की 1.74 लाख मकान पूरी तरह से अटके पड़े हैं और इनमें से दो तिहाई घरों की कीमत 80 लाख रुपये से कम है. इसमें कहा गया है कि सरकार की सस्ते और मध्यम इनकम की कैटेगरी वाले मकानों के लिये फंड की विशेष सुविधा (SWAMIH) से कई प्रोजेक्ट्स को राहत मिली लेकिन यह साफ नहीं है कि इस योजना से वास्तव में कितनी मदद मिली.
दिल्ली और एनसीआर में सबसे ज्यादा घर अटके
रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-दिल्ली और एनसीआर (Delhi-NCR) में सबसे ज्यादा रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट्स अटके पड़े हैं. इनमें 1.13 लाख मकान फंसे पड़े हैं, जिनका मूल्य 86,463 करोड़ रुपये है. उसके बाद मुंबई महानगर क्षेत्र में 42,417 करोड़ रुपये मूल्य के 41,730 मकान अटके पड़े हैं. फंसी पड़ी परियोजनाओं के मामले में एनसीआर अब आगे हैं. इस क्षेत्र में 6 लाख से ज्यादा इकाइयों में से 52 प्रतिशत फंसे पड़े हैं या उन्हें पूरा करने में देरी हुई हैं. इनका कुल मूल्य 2.49 लाख करोड़ रुपये है. वहीं मुंबई महानगर क्षेत्र में 1.52 लाख करोड़ रुपये की 28 प्रतिशत मकान अटके पड़े हैं.
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दक्षिणी राज्यों के शहरों में ज्यादातर रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट्स पटरी पर
अटकी पड़ी या देरी वाली परियोजनाओं की सूची में पुणे में 29,390 करोड़ रुपये की 8 प्रतिशत जबकि कोलकाता में 17,960 करोड़ रुपये के 5 प्रतिशत मकान अटके पड़े हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी राज्यों के शहरों में ज्यादातर रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट्स पटरी पर हैं. हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु का फंसी पड़ी प्रोजेक्ट्स में योगदान सिर्फ 11 प्रतिशत है.
कानूनी विवाद, कोविड-19 महामारी और वित्त पोषण बड़ी वजह
एनरॉक प्रोपर्टी कंसल्टेंट के अनुसंधान मामलों के प्रमुख प्रशांत ठाकुर ने कहा कि देरी या अटकी परियोजनाओं की संख्या में एनसीआर की हिस्सेदारी 2021 के मध्य में बढ़कर 52 प्रतिशत हो गई, जबकि पिछले बार के अध्ययन में साल 2019 के आखिर तक यह 35 प्रतिशत थी. उन्होंने कहा कि एनसीआर में अटकी पड़ी परियोजनाओं में बढ़ोतरी का कारण कानूनी विवाद, कोविड-19 महामारी और वित्त पोषण से जुड़े मुद्दे हो सकते हैं. इसी अवधि में पुणे और मुंबई महानगर क्षेत्र में में ऐसी यूनिट की कमी महत्वपूर्ण है.
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05:38 PM IST