कोरोना पर लगाम लगाने के लिए DRDO ने बनाए कई हथियार,संक्रमण से बचाने में आएंगे काम
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Sun, Apr 05, 2020 11:29 AM IST
कोरोना वायरस (coronavirus outbreak in india) महामारी covid 19 से लड़ाई के लिए देश की सभी सरकारी एजेंसियां हर संभव प्रयास कर रही हैं. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने कोरोना वायरस से लड़ रहे डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टॉफ के लिए खास फेस शील्ड्स और फुल बाडी डिस्इंफेक्शन चैंबर डिजाइन किया है. डीआरडीओ एक बायो सूट भी तैयार कर रहा है जो डॉक्टरों और मेडिकल स्टॉफ के लिए काफी काम का साबित होगा.
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लोगों को संक्रमण से बचाने में काम आएगी ये मशीन
डीआरडीओ की अहमदनगर स्थित एक प्रयोगशाला प्रयोगशाला वाहन अनुसंधान विकास प्रतिष्ठान (वीआरडीई) ने पीएसई नाम का एक फुल बाडी डिस्इंफेक्शन चैंबर डिजाइन तैयार की है. इस वॉक थ्रू इंक्लोजर की डिजाइन एक समय पर एक व्यक्ति के लिए पर्सनल डिकान्टामिनेशन के लिए तैयार किया गया है. यह सैनिटाइजर और सोप डिस्पेंसर लगा हुआ एक पोर्टेबल सिस्टम है. इसे आपात स्थिति में कहीं भी लगाया जा सकता है. इसे एंट्री के समय एक फुट पैडल का उपयोग शुरू किया जा सकता है. चैंबर में दाखिल होने होने के बाद, इसमें लगे पंप डिस्इंफेक्शन के लिए हाइपो सोडियम क्लोराइड का एक डिस्इंफेक्टैंट मिस्ट तैयार करता है. इस मिस्ट स्प्रे को 25 सेकेंड तक चलाया जाता है. 25 सेकेंड के बाद अपने आप बंद कैमिकल निकलना बंद हो जाता है. प्रक्रिया के मुताबिक, चैंबर के भीतर रहने के दौरान डिस्इंफेक्शन से गुजर रहे व्यक्ति को अपनी आंखें बंद रखनी होती हैं.
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एक बार में 650 लोगों को संक्रमण से बचाया जा सकेगा
इस फुल बाडी डिसइंफेक्शन चैंबर से 650 व्यक्ति एक बार में इस डिस्इंफेक्शन मशीन से गुजर कर डिसइनफेक्ट हो सकते हैं. 650 व्यक्तिों के गुजरने के बाद इस मशीन में लगे 700 लीटर क्षमता के रूफ माउंटेड और बाटम टैंकों में भरे कैमिकल को फिर से भरा जा सकता है. इस मशीन की निगरानी के लिए खास ग्लास पैनल लगाए हैं. इस मशीन का इस्तेमाल रात में भी हो सकता है. इसके लिए इसमें विशेष लाइटें लगाई गई हैं. इस मशीन को अस्पतालों, मालों, कार्यालय भवनों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के प्रवेश और निकास गेट पर लगाया जा सकता है. इस मशीन के जरिए बिल्डिंग में आने वाले कर्मचारियों और अन्य लोगों को संक्रमण से बचाया जा सकता है.
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डॉक्टरों के बेहद काम आएगी ये शील्ड
रिसर्च सेंटर इमारात (आरसीआई), हैदराबाद एवं टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी (टीबीआरएल), चंडीगढ़ ने कोविड-19 के संपर्क में आने वाले स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए फेस प्रोटेक्शन मास्क का विकास किया है. इसका हल्का वजन इसे लम्बे समय तक इस्तेमाल करने पर भी आरामदायक और सुविधाजनक बनाता है. इसकी डिजाइन चेहरे की सुरक्षा के लिए खास तौर पर की गई है. इसमें ए4 साइज ओवर-हेड प्रोजेक्शन (ओएचपी) फिल्म का उपयोग किया गया है.
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अस्पतालों ने मांगे 10 हजार फेस शील्ड
फेस शील्ड का होल्डिंग फ्रेम फ्यूज्ड डिपोजिशन मोडेलिंग (3डी प्रिंटिंग) तकनीक के जरिए बनाया गया है. फ्रेम की 3डी प्रिंटिंग के लिए पोलीलैक्टिक एसिड फिलामेंट का उपयोग किया जाता है. इस थर्मोप्लास्टिक को धान्य मांड या गन्ने जैसे बायोडिग्रेडेबल मटीरियल से बनाया गया है. इस फेस मास्क का बड़ी मात्रा में उत्पादन करने के लिए इंजेक्शन मोल्डिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा. अस्पतालों की ओर से अब तक इस तरह की 10 हजार से अधिक फेस शील्ड की मांग की गई है.
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