अपना पैसा कहां खर्च कर रहे हैं भारतीय? रिपोर्ट में सामने आई 'अच्छी खबर'
1990 के दशक में भारत में बहुत अधिक धन आने के साथ-साथ दान की प्रवृत्ति भी फिर से बढ़ी है.
भारतीय तेजी से अमीर हो बन रहे हैं, लेकिन साथ में एक अच्छी बात यह है कि भारत में परोपकारी गतिविधियों में इजाफा हो रहा है और दानदाता देश की सबसे बड़ी सामाजिक चुनौतियों को सुलझाने के लिए अपने संसाधनों का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं. एक नई रिपोर्ट में यह कहा गया है. ब्रिजस्पैन समूह की एक नई रिपोर्ट में कहा परोपकारी टीबी के उन्मूलन और ग्रामीण किसानों को गरीबी के चंगुल से निकालने जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.
इस रिपोर्ट में सामाजिक बदलाव से जुड़ी आठ पहलों की विस्तार से चर्चा की गई है.
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सचिव केपी कृष्णन ने रिपोर्ट के विमोचन के मौके पर कहा कि आज के समय में भारत में सार्वजनिक व्यय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के एकचौथाई के बराबर है. यह महज संयोग नहीं है कि 1990 के दशक में भारत में बहुत अधिक धन आने के साथ-साथ दान की प्रवृत्ति भी फिर से बढ़ी है.
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ब्रिजस्पैन समूह एक वैश्विक गैर-लाभकारी संगठन है, जो रणनीतिक परामर्श देने के साथ-साथ परोपकारी एवं गैर-लाभकारी कार्यों के संबंध में सलाह देता है. यह संगठन व्यावहारिक चीजों के बारे में भी जानकारी देता है.
समूह की साझीदार और रिपोर्ट की सह-लेखिका पृथा वेंकटाचलम के मुताबिक भारत में कई परोपकारी अब सामाजिक परिवर्तन लाने की दिशा में रणनीतिक और महत्वाकांक्षी सोच रखते हैं.
रिपोर्ट में जिन आठ पहल के बारे में चर्चा की गयी, उनमें गूगल और टाटा ट्रस्ट के ‘इंटरनेट साथी’ का भी जिक्र है. इस पहल के तहत भारत की 1.5 करोड़ ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल साक्षर बनाने के लिए स्थानीय महिलाओं को नियुक्त किया जाता है.
(इनपुट भाषा से)
12:56 PM IST