मेट्रो-बस में मुफ्त सफर पर सैकड़ों सवाल, कहीं ये केजरीवाल का चुनावी तिकड़म तो नहीं?
सरकार का कहना है कि इन सब पर कुल 1600 करोड़ रुपए सालाना का खर्च आएगा. राज्य सरकार ये रकम कहां से लाएगी? क्या इसका बोझ दिल्ली की जनता तक नहीं पहुंचेगा?
महिलाओं के लिए मेट्रो और बस सेवा फ्री करने की घोषणा के बाद नई बहस छिड़ गई है. (फोटो: PTI)
महिलाओं के लिए मेट्रो और बस सेवा फ्री करने की घोषणा के बाद नई बहस छिड़ गई है. (फोटो: PTI)
दिल्ली में महिलाएं अगले 2 से 3 महीने बाद दिल्ली मेट्रो और डीटीसी बसों में फ्री में सफर कर पाएंगी. ऐसा कहना है दिल्ली सरकार का. राज्य के मुख्यमंत्री ने बकायादा इसके लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और घोषणा की. लेकिन, राज्य सरकार का ये फैसला अपने आप में कई सवाल खड़े करता है, जिसे जी बिजनेस उठा रहा है. डीटीसी बसें पहले से करोड़ों के घाटे में चल रही हैं. क्या इससे घाटा बढ़ नहीं जाएगा?
सरकार का कहना है कि इन सब पर कुल 1600 करोड़ रुपए सालाना का खर्च आएगा. राज्य सरकार ये रकम कहां से लाएगी? क्या इसका बोझ दिल्ली की जनता तक नहीं पहुंचेगा? और सबसे बड़ा सवाल कि विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले ऐसे फैसले लेने का क्या मतलब निकाला जाए?
दिल्ली में महिलाओं के लिए मेट्रो और बस सेवा फ्री करने की दिल्ली सरकार की घोषणा के बाद एक नई बहस छिड़ गई है. दिल्ली ने अपनी इस नई घोषणा को महिला सुरक्षा से जोड़ा है. उनका दावा है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट मुफ्त होने से महिलाएं सुरक्षित महसूस करेंगी. लेकिन, इसे लागू करने से पहले ही कई सवाल खड़े हो गए हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये केजरीवाल का चुनावी तिकड़म तो नहीं?
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ज़ी बिज़नेस के सवाल
- इस फैसले से मेट्रो ट्रेनों में भीड़ नहीं बढ़ जाएगी?
- केंद्र सरकार से इसकी मंजूरी कैसे मिलेगी?
- फैसले का दिल्ली पर कितना बोझ बढ़ेगा?
- फैसले से बढ़ने वाली भीड़ को बसें कैसे झेल पाएंगी?
- हाल में मेट्रो में 2 बार किराया बढ़ा, तब सब्सिडी क्यों नहीं दी?
- कैसे जानेंगे कौन महिला समर्थ, कौन नहीं?
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— Zee Business (@ZeeBusiness) June 4, 2019
सरकार के मुताबिक, इस योजना पर सालाना करीब 1,600 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. लेकिन, जब डीटीसी का साल 2018-19 में ही 1,750 करोड़ रुपयों का घाटा रहा तो अतिरिक्त बोझ के लिए रकम कहां से जुटाई जाएगी.
- दिल्ली में रोजाना करीब 30 लाख लोग मेट्रो में सफर करते हैं.
- करीब 42 लाख लोग डीटीसी बसों में सफर करते हैं.
- मेट्रो की कुल यात्रियों में महिलाएं कीरब 25% होती हैं.
- बसों में महिला यात्रियों की संख्या करीब 20% है.
कुछ महिलाएं दिल्ली सरकार के इस फैसले को अच्छा मान रही हैं. वहीं, कुछ का कहना है कि अगर दिल्ली सरकार के पास इतना ही पैसा है तो महिलाओं की सुरक्षा के लिए काम क्यों नहीं करती है. महिलाओं के लिए समानता की बात करने वाली सरकार का ये फैसला सही नहीं है.
दिल्ली विधान सभा चुनाव में अब करीब 6 महीने का वक्त रह गया है यानी 6 महीने बाद दिल्ली की जानता एक बार फिर दिल्ली का मुख्यमंत्री चुनेगी. शायद इसलिए दिल्ली सरकार लोक लुभावन फ्री यात्रा का पैकेज लेकर आई है, जिस पर वो आम जनता से वोट मांग सके.
06:20 PM IST