किसानों के लिए मोदी सरकार का बड़ा फैसला, अब जूट की बोरियों में अनाज की पैकेजिंग हुई अनिवार्य
सरकार ने अनाजों की शत-प्रतिशत पैकेजिंग जूट की बोरियों में करना अनिवार्य कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने गुरुवार को इस बाबत फैसला लिया.
अनाज की पैकेजिंग के लिए शत-प्रतिशत जूट की बोरियों का इस्तेमाल हुआ अनिवार्य (फाइल फोटो)
अनाज की पैकेजिंग के लिए शत-प्रतिशत जूट की बोरियों का इस्तेमाल हुआ अनिवार्य (फाइल फोटो)
सरकार ने अनाजों की शत-प्रतिशत पैकेजिंग जूट की बोरियों में करना अनिवार्य कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने गुरुवार को इस बाबत फैसला लिया. मालूम हो कि इससे पहले खाद्यान्नों के लिए 90 फीसदी पैकेजिंग जूट की बोरियों में करना अनिवार्य था. सीसीईए ने जूट पैकेजिंग सामग्री (जेपीएम) अधिनियम, 1987 के तहत अनिवार्य पैकेजिंग मानकों का दायरा बढ़ाने को अपनी मंजूरी प्रदान की.
सीसीईए ने कहा कि 100 प्रतिशत अनाजों और 20 प्रतिशत चीनी की पैकिंग अनिवार्य रूप से जूट (पटसन) की विभिन्न प्रकार की बोरियों में करना अनिवार्य होगा. सीसीईए ने कहा कि विभिन्न तरह की जूट बोरियों में चीनी की पैकिंग करने के निर्णय से जूट उद्योग के डायवर्सिफिकेशन को बढ़ावा मिलेगा. आधिकारिक बयान के अनुसार, शुरुआत में खाद्यान्न की पैकिंग के लिए जूट की बोरियों के 10 प्रतिशत ऑर्डर रिवर्स नीलामी के जरिए 'जेम पोर्टल' पर दिए जाएंगे. इससे धीरे-धीरे कीमतों में सुधार का दौर शुरू हो जाएगा.
कपड़ा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस निर्णय से जूट उद्योग के विकास को बढ़ावा मिलेगा, कच्चे जूट की गुणवत्ता एवं उत्पादकता बढ़ेगी, जूट क्षेत्र का डायवर्सिफिकेशन होगा और इसके साथ ही जूट उत्पाद की मांग बढ़ेगी जो निरंतर जारी रहेगी. बयान के अनुसार, करीब 3.7 लाख कामगार और कृषि क्षेत्र से जुड़े लाखों परिवार अपनी आजीविका के लिए जूट क्षेत्रों पर ही निर्भर है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार निरंतर ठोस प्रयास करती रही है.
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जूट उद्योग मुख्य रूप से सरकारी क्षेत्र पर ही निर्भर है, जो खाद्यान्न की पैकिंग के लिए प्रत्येक वर्ष 6,500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा मूल्य की जूट बोरियां खरीदता है. ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि जूट उद्योग के लिए मुख्य मांग निरंतर बनी रही और इसके साथ ही इस क्षेत्र पर निर्भर कामगारों एवं किसानों की आजीविका में आवश्यक सहयोग देना संभव हो सके. बयान में कहा गया कि इस निर्णय से देश के पूर्वी एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रों, विशेषकर पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा के किसानों और श्रमिकों को फायदा होगा.
07:56 PM IST