Budget 2022: होम लोन के ब्याज पर 5 लाख तक हो टैक्स डिडक्शन, प्रिंसिपल अमाउंट पर अलग से मिले 1.5 लाख छूट
बजट 2022: रीयल एस्टेट भारत की GDP में रीयल एस्टेट सेक्टर एक बड़ा कंट्रीब्यूटर है. वहीं, यह देश में दूसरा सबसे बड़ा एम्प्लायर है.
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Union Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) आगामी 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी. बजट से रीयल एस्टेट इंडस्ट्री को भी काफी उम्मीदें है. कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टर्स में से एक रीयल एस्टेट सेक्टर का कहना है कि बजट में इंडस्ट्री को बूस्ट देने के लिए उपाय किए जाने जरूरी है. इसमें डेवलपर्स के साथ-साथ बायर्स को भी टैक्स छूट के साथ अन्य रियायतें दी जानी चाहिए. ग्लोबल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रेंक इंडिया (Knight Frank India) का कहना है कि रीयल्टी को बूस्ट देने के लिए बजट में होम लोन के ब्याज पर टैक्स डिडक्शन की लिमिट 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक की जानी चाहिए. वहीं, प्रिंसिपल अमाउंट पर 80सी में अलग से 1.50 लाख रुपये तक छूट दी जाए.
नाइट फ्रेंक इंडिया का कहना है कि भारत की GDP में रीयल एस्टेट सेक्टर एक बड़ा कंट्रीब्यूटर है. वहीं, यह देश में दूसरा सबसे बड़ा एम्प्लायर है. इस सेक्टर के जरिए 200 से ज्यादा इंडस्ट्रीज ड्राइव होती हैं. इनमें मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सर्विसेज इंडस्ट्री शामिल हैं. कोरोना महामारी का इस सेक्टर पर काफी तगड़ा असर हुआ. ऐसे में इस सेक्टर में तेज रिकवरी के लिए बजट (Budget) के बूस्टर डोज की जरूरत है.
होम लोन पर 5 लाख हो टैक्स डिडक्शन
नाइट फ्रेंक इंडिया ने अपनी बजट सिफारिशों में कहा है कि इनकम टैक्स के सेक्शन 24 के अंतर्गत हाउसिंग लोन के ब्याज पर 2 लाख रुपये तक टैक्स डिडक्शन की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख किया जाना चाहिए. इसके अलावा, प्रिंसिपल अकाउंट पर भी अलग से 1.50 लाख रुपये तक सालाना डिडक्शन का प्रावधान किया जाए. सेक्शन 80 में अलग से प्रिंसिपल अमाउंट पर यह छूट दी जाए. इससे अफोर्डेबल हाउसिंग को भी बूस्ट मिलेगा. साथ ही साथ होम बॉयर्स को टैक्स में बड़ी राहत मिल सकेगी.
डेवलपर्स को मिले राहत
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कंसल्टिंग फर्म का कहना है कि डेवलपर्स पर टैक्स का बोझ कम करने के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की मंजूरी दी जानी चाहिए. बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट अभी अंडर-कंस्ट्रक्शन रेजिडेंशियल यूनिट्स पर 5 फीसदी GST और अफोर्डेबल हाउसिंग पर 1 फीसदी है. वहीं, कम्प्लीट यूनिट्स पर कोई GST नहीं है. GST सीमेंट पर 28 फीसदी और स्टील पर 18 फीसदी है. कमोडिटी की कीमतों के साथ टैक्स भी बढ़ता जाता है. इनपुट आइटम्स पर चुकाए गए GST के लिए डेवलपर्स टैक्स क्रेडिट क्लेम नहीं कर सकता और यह कीमत कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में जुड़ती है. इससे होमबॉयर्स के लिए अपार्टमेंट की लागत बढ़ जाती है. अब अगर ITC की मंजूरी दी जाती है, इससे डेवलपर्स की टैक्स सेविंग होगी और फ्लैट्स की कीमतें भी नीचे जाएंगी. सरकार इस बजट सेशन में इस मसले को उठा सकती है और GST काउंसिल की अगली बैठक में ITC को दोबारा से लागू करने का आश्वासन दे सकती है.
नाइट फ्रेंक इंडिया का कहना है कि रिटेल और हॉस्पिटेलिटी बिजनेस की ओर से FY 2021 और FY 2022 के दौरान नुकसान (ऑडिटेड) को FY 2024 तक कैरी फॉर्वर्ड की मंजूरी दी जानी चाहिए. साथ ही इस अवधि के लिए 100 फीसदी इनकम टैक्स छूट दी जानी चाहिए. इसके अलावा सेक्शन 80IBA के अंतर्गत टैक्स हॉलिडे के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट रजिर्स्टेशन की समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए. अभी मार्च 2022 तक अप्रूव्ड अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए टैक्स हॉलिडे की छूट है. इस सेक्शन में डेवलपर्स को प्रॉफिट पर 100 फीसदी टैक्स छूट मिलती है.
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सेक्टर को इंफ्रा का मिले दर्जा
पोद्दार हाउसिंग एंड डेवलपमेंट लिमिटेड के एमडी रोहित पोद्दार का कहना है, “इस साल का बजट में टैक्स छूट के कुछ अन्य रियायतें और रॉ मटेरियल पर जीएसटी में कटौती से रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिल सकता है. चूंकि यह सेक्टर देश के GDP में सबसे बड़े कंट्रीब्यूटर्स में से एक है, इस क्षेत्र को मजबूत करने से इससे जुड़ी आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे जीडीपी ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा. सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया जाना चाहिए. इससे सेक्टर में लिक्विडिटी आसानी से उपलब्ध हो सकेगी.''
अजमेरा रियल्टी & इंफ्रा इंडिया लिमिटेड के डायरेक्टर धवल अजमेरा का कहना है, "पिछले डेढ़ साल में रियल एस्टेट सेक्टर ने अच्छा बदलाव देखा है. लोगों ने कोविड के बाद के दौर में घर खरीदने के महत्व को महसूस किया है. जबकि सरकार ने स्टॉम्प ड्यूटी में कटौती, सबसे कम होम लोन दरों जैसे कुछ लाभ दिए है और सपोर्ट किया है. आगामी बजट को रियल एस्टेट सेक्टर का सपोर्ट जारी रखना चाहिए. रियल एस्टेट सेक्टर को अगले 2 से 3 साल के लिए लगातार कम ब्याज दरों और कम्पोनेंट बेसिस पर 8% जीएसटी लगाई जानी चाहिए. सरकार को किफायती हाउसिंग की परिभाषा बदलने पर भी ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा, हाउसिंग लोन इंटरेस्ट रेट्स पर इंटरेस्ट कैप को 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक करना जरूरी है ताकि किफायती सेगमेंट में खरीदारों के लिए टैक्स के आर्थिक बोझ को कम किया जा सके.''
05:41 PM IST