बिल्डरों के हाथ लग सकती है निराशा, औसतन 10-15% कम हो सकती है सेल
NHB (नेशनल हाउसिंग बैंक) ने हाउसिंग कंपनियों को ऐसी लोन स्कीम से दूरी बनाने के लिए कहा था, जिसमें लोन का ब्याज खरीदार की जगह रियल्ट एस्टेट कंपनियां यानि बिल्डर भरते हैं.
इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम में फेस्टिवल सीजन के दौरान घर या फ्लैट खरीदना मुश्किल होगा. (Dna)
इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम में फेस्टिवल सीजन के दौरान घर या फ्लैट खरीदना मुश्किल होगा. (Dna)
रिपोर्ट : गौरव खोसला
NHB (नेशनल हाउसिंग बैंक) ने हाउसिंग कंपनियों को ऐसी लोन स्कीम से दूरी बनाने के लिए कहा था, जिसमें लोन का ब्याज खरीदार की जगह रियल्ट एस्टेट कंपनियां यानि बिल्डर भरते हैं. NHB के इस डायरेक्शन से 5:95 और 10:90 के रेशियो जैसी इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम में फेस्टिवल सीजन के दौरान घर या फ्लैट खरीदना मुश्किल होगा. इस स्कीम के तहत होम बायर्स (Home Buyers) को फ्लैट की कीमत का 5 या 10% देकर फ्लैट की बुकिंग करनी होती थी जबकि बाकी बची रकम लोन से मिल जाती थी. ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें बिल्डर्स की धोखाधड़ी देखने को मिली और इसका खामियाजा घर खरीदारों को भुगतना पड़ रहा है.
क्या है सब-वेंशन स्कीम
सबवेंशन स्कीम के जरिए बिल्डर 5:95 और 10:90 के रेशियो स्कीम की पेशकश होम बायर्स को करते हैं. इस स्कीम में होम बायर 5 से 10% रकम जमा करके फ्लैट बुक कराता है. कर्ज की राशि बिल्डर को अलग-अलग फेज में मिलती है. स्कीम में आवासीय कंपनियों और बिल्डर के बीच तय समय के लिए ही समझौता होता है. बिल्डर अगर किसी कारण समय पर कब्जा नहीं देता है तो प्री-ईएमआई का बोझ खरीदार के ऊपर आ जाता है. कई बिल्डरों के दिवालिया होने से भी संकट खुलकर सामने आ गया है.
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स्कीम बंद होने से कितना होगा असर
प्रॉपर्टी एक्सपर्ट अंकुर धवन का कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर में ज्यादातर सब-वेंशन स्कीम के जरिए ही फ्लैट की बिक्री होती थी. स्कीम बंद होने से फेस्टिवल सीजन में बिक्री 25% तक गिर सकती है. फिलहाल रियल एस्टेट सेक्टर में अब भी मंदी है.
फेस्टिवल सीजन पर असर
नाइट फ्रैंक के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर मुद्दसर जैदी के मुताबिक, यह साफ है कि अब भी रियल एस्टेट में जो मंदी के बादल छाए हैं, उसका सीधा असर फेस्टिवल सीजन में देखने को मिलेगा. अब भी निवेशकों ने इस सेक्टर से दूरी बनाई हुई है. बात करें सब-वेंशन स्कीम की तो इस स्कीम से काफी हद तक बिल्डर्स को फंड जुटाने में आसानी होती थी और ये स्कीम बंद होने से आने वाले समय में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इस फेस्टिवल सीजन में रिकवरी तो दूर, बिक्री में 10-15% की कमी आ सकती है.
बिना बिके मकानों की संख्या ज्यादा
प्रॉपर्टी एक्सपर्ट ललित टेकचंदानी बताते हैं कि बाजर में अब भी बिना बिके मकानों की संख्या काफी ज्यादा है. बिल्डर्स को फंड जुटाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और इस फेस्टिवल सीजन में 5-10% बिक्री में कमी आ सकती है. हालांकि, पहले इस स्कीम के जरिए बिल्डर ने काफी फंड मिला है और बायर्स ने भी काफी घर बुक किए थे. अब बायर्स रेडी टू मूव घर लेना पसंद कर रहे हैं. जहां नए लॉन्च हो रहे हैं, वहां फंड जुटाने में दिक्कत आएगी.
05:53 PM IST