पेट्रोल-डीजल की वजह से चार महीने में सबसे ज्यादा बढ़ी महंगाई, 5.28% रही WPI
थोक मुद्रास्फीति पिछले महीने यानी सितंबर में 5.13 प्रतिशत तथा पिछले साल अक्टूबर में 3.68 प्रतिशत थी.
सरकार द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों में नरमी देखी गयी.
सरकार द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों में नरमी देखी गयी.
खाद्य पदार्थों के दाम नरम पड़ने के बाद भी पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में बढ़कर चार माह के उच्च स्तर 5.28 प्रतिशत पर पहुंच गयी. थोक मुद्रास्फीति पिछले महीने यानी सितंबर में 5.13 प्रतिशत तथा पिछले साल अक्टूबर में 3.68 प्रतिशत थी.
सरकार द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों में नरमी देखी गयी. इनमें सितंबर के 0.21 प्रतिशत की तुलना में अक्टूबर में 1.49 प्रतिशत अपस्फीति देखी गयी. इस दौरान सब्जियों के भी भाव गिरे. सब्जियों के भाव आलोच्य माह के दौरान 18.65 प्रतिशत कम हुए. सितंबर में इनमें 3.83 प्रतिशत की गिरावट आयी थी.
ईंधन एवं विद्युत बास्केट में महंगाई सितंबर के 16.65 प्रतिशत की तुलना में अक्टूबर में 18.44 प्रतिशत रही. पेट्रोल और डीजल के भाव इस दौरान क्रमश: 19.85 प्रतिशत और 23.91 प्रतिशत बढ़े. द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस के दाम भी अक्टूबर में 31.39 प्रतिशत बढ़े.
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खाद्य पदार्थों में अक्टूबर महीने में आलू के दाम 93.65 प्रतिशत बढ़े. हालांकि प्याज 31.69 प्रतिशत और दाल 13.92 प्रतिशत सस्ते हुए. अक्टूबर की 5.28 प्रतिशत की थोक महंगाई चार महीनों का उच्चतम स्तर है. इससे पहले जून में यह दर 5.68 प्रतिशत रही थी.
अक्टूबर महीने की थोक महंगाई की चाल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई से उलट रही है. खुदरा महंगाई कम होकर एक साल के निचले स्तर 3.31 प्रतिशत पर आ गयी है. रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति तय करते हुए मुख्यत: खुदरा महंगाई को ही ध्यान में रखता है.
01:18 PM IST