Repo Rate बढ़ाने से काबू में आएगी महंगाई, अगले साल 6% से नीचे आ सकता है इंफ्लेशन, MPC मेंबर ने दिए संकेत
RBI MPC की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा बार-बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी से महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी और आरबीआई के प्रयासों से मुद्रास्फीति के अगले साल छह प्रतिशत से नीचे आने की उम्मीद है.
RBI (Reserve Bank of India) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की सदस्य आशिमा गोयल ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा बार-बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी से महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी. उन्होंने आगे कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के प्रयासों से मुद्रास्फीति के अगले साल छह प्रतिशत से नीचे आने की उम्मीद है. गोयल ने आगे कहा कि नीतिगत दरों में बढ़ोतरी ने महामारी के दौरान कटौती के रुख को बदल दिया है, लेकिन वास्तविक ब्याज दर अभी भी इतनी कम है कि इससे वृद्धि के पुनरुद्धार को नुकसान नहीं होगा. उन्होंने बातचीत में कहा, ''दो-तीन तिमाहियों के बाद उच्च वास्तविक दरें, अर्थव्यवस्था में मांग को कम कर देंगी.'' गोयल ने कहा, ''वैश्विक मंदी के साथ अंतरराष्ट्रीय जिंस कीमतें घट रही हैं और आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं कम हो गई हैं.''
आरबीआई ने बढ़ती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए 30 सितंबर को रेपो दर को बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया था. केंद्रीय बैंक ने मई के बाद से प्रमुख उधारी दर में 1.90 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. गोयल ने कहा, ''भारत सरकार आपूर्ति पक्ष की मुद्रास्फीति को कम करने के लिए भी कदम उठा रही है. मौजूदा अनुमानों से पता चलता है कि मुद्रास्फीति अगले साल छह प्रतिशत से नीचे आ जाएगी.''
TRENDING NOW
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
Intraday में बनेगा तगड़ा पैसा! पोर्टफोलियो में रख लें ये 5 शेयर, एक्सपर्ट ने बताया टारगेट और स्टॉप लॉस
लगातार नौवें महीने टारगेट से कहीं ऊपर रहा है इंफ्लेशन
सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह जिम्मेदारी दी है कि वह मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत के घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखे. उन्होंने कहा कि सप्लाई के उपायों के साथ मामूली सी बढ़ी हुई वास्तविक ब्याज दर महंगाई को काबू में कर सकती है, और इसका वृद्धि पर न्यूनतम असर होगा. सितंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति पांच महीने के उच्च स्तर 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई. मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने आरबीआई के लक्ष्य से अधिक है.
रुपये की गिरावट के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अधिक डेप्रिसिएशन से आयात महंगा होता है और उन लोगों को नुकसान पहुंचता है, जिन्होंने विदेशों में उधार लिया है. उन्होंने साथ ही जोड़ा कि इससे कुछ निर्यातकों की आय बढ़ सकती है. गोयल ने कहा कि कम आयात और अधिक निर्यात से चालू खाते के घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है. उन्होंने साथ ही जोड़ा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के दरों में बढ़ोतरी के कारण डॉलर सभी मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हो रहा है.
07:14 PM IST