धान की कम बुवाई ने बढ़ाई चिंता, चावल के बढ़ सकते हैं दाम, PMGKAY पर पड़ सकता है असर
Paddy Sowing: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक और शीर्ष निर्यातक देश है. वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 40% की है. बारिश कम होने की वजह से पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में धान बुवाई का रकबा 13% घट गया है.
चालू खरीफ सीजन में धान का रकबा अबतक 13 फीसदी घटा. तिलहन, मोटे अनाज की बुवाई बढ़ी. (Reuters)
चालू खरीफ सीजन में धान का रकबा अबतक 13 फीसदी घटा. तिलहन, मोटे अनाज की बुवाई बढ़ी. (Reuters)
Paddy Sowing: बारिश कम होने की वजह से धान की बुवाई बुरी तरह प्रभावित हुई है. ऐसे में चालू खरीफ सीजन में 5 अगस्त तक पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में धान बुवाई का रकबा 13% घट गया है. कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) के आंकड़ों के अनुसार, धान का रकबा 5 अगस्त को 274.30 लाख हेक्टेयर था, जो एक साल पहले की इसी अवधि में 314.14 लाख हेक्टेयर था. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक और शीर्ष निर्यातक देश है. वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 40% की है.
इन राज्यों में कम हुई धान की बुवाई
धान की कम बुवाई जिन राज्यों से प्राप्त हुई हैं उनमें पश्चिम बंगाल (12.28 लाख हेक्टेयर), झारखंड (9.34 लाख हेक्टेयर), बिहार (4.85 लाख हेक्टेयर), छत्तीसगढ़ (4.39 लाख हेक्टेयर), उत्तर प्रदेश (3.82 लाख हेक्टेयर), मध्य प्रदेश (3.72 लाख हेक्टेयर), ओडिशा (3.56 लाख हेक्टेयर) और तेलंगाना (2.89 लाख हेक्टेयर) शामिल हैं.
12 करोड़ 96.6 लाख चावल का रिकॉर्ड उत्पादन
क्रॉप ईयर 2021-22 (जुलाई-जून) में चावल का उत्पादन रिकॉर्ड 12 करोड़ 96.6 लाख टन रहा था. भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया, जिसमें से 39.4 लाख टन बासमती चावल था. धान के अलावा दलहन के साथ बोया गया रकबा 119.43 लाख हेक्टेयर से मामूली घटकर 116.45 लाख हेक्टेयर रह गया है. हालांकि, मोटे अनाज, तिलहन, कपास, गन्ने, जूट और मेस्टा का रकबा अधिक रहा है.
मोटे अनाज का रकबा बढ़ा
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मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चला है कि मोटे अनाज का रकबा 154.40 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 160.37 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि तिलहन की बुवाई का क्षेत्र 173.82 लाख हेक्टेयर से 174.79 लाख हेक्टेयर हो गया.
कपास की बुवाई 113.50 लाख से बढ़कर 121.12 लाख हेक्टेयर हो गई है, जबकि गन्ने का रकबा 54.42 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 54.67 लाख हेक्टेयर हो गया. जूट और मेस्टा क्षेत्र 6.94 लाख हेक्टेयर से घटकर 6.92 लाख हेक्टेयर रह गया.
इस खरीफ सत्र में अब तक कवरेज के तहत बुवाई का कुल रकबा (क्षेत्रफल) 908.61 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 936.65 लाख हेक्टेयर था.
धान की कम बुवाई ने बढ़ाई चिंता
धान के कम रकबे ने खरीफ सीजन में चावल के उत्पादन और कीमतों के बारे में चिंता बढ़ा दी है, जो कुल उत्पादन का लगभग 80% हिस्सा होता है. पिछले कुछ वर्षों में बंपर उत्पादन और अधिक खरीद होने की वजह से केंद्र के पास एक जुलाई को 1.35 करोड़ टन के बफर मानदंड के मुकाबले 4.7 करोड़ टन चावल (बिना मिलिंग किये गये धान के बराबर चावल सहित) का स्टॉक था.
कीमतें बढ़ने की स्थिति में केंद्र बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए अपने गोदामों से चावल का उपयोग कर सकता है. पहले से ही केंद्र राशन की दुकानों के माध्यम से गेहूं के बजाय अधिक चावल की आपूर्ति कर रहा है क्योंकि इस साल गेहूं की खरीद पिछले साल के 4.3 करोड़ टन के मुकाबले भारी कमी के साथ 1.9 करोड़ टन रह गई है.
80 करोड़ लोगों को मुफ्त चावल दे रही है सरकार
केंद्रीय पूल में अधिक स्टॉक होने के कारण, सरकार खाद्य कानून के तहत 3 रुपये प्रति किलो चावल और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में चावल उपलब्ध करा रही है. इसपर भारी सब्सिडी खर्च आता है.
केंद्र राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) के तहत प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न (गेहूं और चावल) और इसके अलावा Prime Minister Garib Kalyan Anna Yojana के तहत प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध करा रहा है. PMGKAY सितंबर तक लागू है और यह देखना दिलचस्प होगा कि गेहूं के कम भंडार की स्थिति को देखते हुए सरकार इसे आगे बढ़ाती है या नहीं.
09:42 AM IST