कोरोना ने ढीली की लोगों की जेब, जून में बाउंस हुई एक तिहाई EMI पेमेंट
NPCI के डेटा के मुताबिक जून महीने में कुल 37 पर्सेंट EMI के पेमेंट बाउंस हो गए हैं.
कोरोना के बीच लोग नहीं भर पा रहे अपना EMI. (Source: Reuters)
कोरोना के बीच लोग नहीं भर पा रहे अपना EMI. (Source: Reuters)
Auto Debit Transaction EMI: कोरोना की दूसरी लहर ने इकोनॉमी को काफी प्रभावित किया है. इससे लोगों की जेबों पर भी भारी असर पड़ा है. पिछले तीन महीनों के दौरान ऑटोमेटिक डेबिट होने वाले EMI के फेल के होने की संख्या देखकर तो ऐसा ही लगता है. नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के मुताबिक जून माह में ऑटो डेबिट EMI के फेल या बाउंस होने की संख्या में इजाफा हुआ है.
37 पर्सेंट ट्रांजैक्शन हुए फेल
NPCI के डेटा के मुताबिक, सभी बैंकों के ऑटो डेबिट EMI सेक्शन को मिलाकर जून महीने में कुल 37 फीसदी ट्रांजैक्शन फेल या बाउंस हो गए हैं. नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH) के जरिए जून में कुल 8.7 करोड़ ऑटो डेबिट EMI की रिक्वेस्ट प्रोसेस की गई, लेकिन इसमें से करीब 37 फीसदी यानि कि 3.2 करोड़ ट्रांजैक्शन फेल हो गया. खातों में पर्याप्त बैलेंस न होने की वजह से ये ट्रांजेक्शन फेल हो गएं.
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मई में कुल 8.5 करोड़ ट्रांजैक्शन के रिक्वेस्ट आए थे, जिसमें से 3.08 करोड़ ट्रांजैक्शन फेल या बाउंस हो गए थे, जिसका मतलब है कि 36 फीसदी ट्रांजैक्शन खातों में पर्याप्त बैलेंस न होने की वजह से फेल हुए थे और अप्रैल में कुल 34 फीसदी ऑटो डेबिट EMI ट्रांजैक्शन फेल या बाउंस हो गए थे.
अमाउंट के हिसाब से देखें तो, पिछले जून और मई में लगातार कुल ऑटो डेबिट राशि के 30 फीसदी ट्रांजैक्शन बाउंस हो रहे हैं. वहीं अप्रैल में 27.9 फीसदी ट्रांजैक्शन फेल हो गए थे.
बिगड़ रहा लोगों का CIBIL स्कोर
खातों में पर्याप्त पैसे न होने पर ट्रांजैक्शन के फेल या बाउंस होने पर ग्राहकों के CIBIL स्कोर पर भी असर पड़ता है. अनलॉक के बावजूद लोग अपने EMI का भुगतान समय पर नहीं कर पा रहे हैं. पिछले तीन महीनें से लगातार बढ़ती ऑटो डेबिट ट्रांजैक्शन के फेल होने की संख्या बताती है कि कोरोना की दूसरी लहर इकोनॉमी पर भारी पड़ी है.
07:15 PM IST