पेट्रोल-डीजल सस्ता करने के लिए मोदी सरकार का 'गेमचेंजर प्लान', देखती रह जाएगी दुनिया
सरकार अब ऑयल रिजर्व की क्षमता बढ़ाने पर विचार कर रही है. इसके लिए सरकार ऑयल ट्रेडर्स और ऑयल प्रोड्यूसर्स से बात करेगी.
सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों के नियंत्रित करना चाहती है.
सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों के नियंत्रित करना चाहती है.
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम से सरकार भी परेशान है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में सोमवार को तेल कंपनियों के प्रमुखों से भी मुलाकात की. लेकिन, सरकार लंबी अवधि के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों के नियंत्रित करना चाहती है. इससे आम आदमी को बड़ी राहत मिलने के आसार हैं. इसके लिए सरकार ने एक गेमचेंजर प्लान तैयार किया है. उम्मीद है कि इस प्लान के अमल में आते ही पेट्रोल-डीजल को घरेलू स्तर पर सस्ता किया जा सकता है. यही नहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कीमतों के बावजूद कुछ हद तक कीमतों को नियंत्रण में रखा जा सकता है. हालांकि, अभी यह सिर्फ प्लानिंग का हिस्सा है. लेकिन, सरकार ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है. अगर सबकुछ ठीक रहा तो भारत को तेल के लिए दूसरे ऑयल प्रोड्यूसर्स देशों की तरफ नहीं देखना होगा.
ऑयल रिजर्व बढ़ाने पर विचार
दरअसल, सरकार अब ऑयल रिजर्व की क्षमता बढ़ाने पर विचार कर रही है. इसके लिए सरकार ऑयल ट्रेडर्स और ऑयल प्रोड्यूसर्स से बात करेगी. इनसे ऑयल रिजर्व के लिए निवेश बढ़ाने पर चर्चा होगी. इन भंडारों को स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व (SPR) कहा जाता है. फिलहाल, भारत के पास तीन अंडरग्राउंड स्टोरेज हैं. इन तीनों की क्षमता 5.33 MMT लाख टन से ज्यादा कच्चा तेल स्टोर करने की है. फिलहाल, इनमें इतना तेल रिजर्व किया जाता है. भारत के पास विशाखापट्टनम में एक स्टोर है. इसमें 1.33 MMT कच्चा तेल स्टोर है. दूसरी केव मैंगलोर में है जो आधी भरी है. तीसरी केव कर्नाटक में है और इसमें कच्चा तेल भरा जाना है. सरकार ने दो और पेट्रोलियम रिजर्व बनाने को मंजूरी दी है.
कहां है भारत के पास ऑयल केव
ओडिशा और कर्नाटक में अंडरग्राउंड क्रूड ऑयल स्टोरेज बनाने के लिए मोदी सरकार पहले ही सैद्धांतिक मंजूरी दे चुकी है. इन स्टोरेज के बनने से भारत के पास 12 से 22 दिन का एमरजेंसी स्टॉक हो जाएगा. इन दो स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व (SPR) फैसिलिटी की कैपेसिटी 6.5 मिलियन मैट्रिक टन (MMT) है. भारत के पास पहले से ही तीन जगहों पर 5.33 MMT स्टोरेज की अंडरग्राउंड गुफाएं हैं. इनमें विशाखापट्टनम (1.33 MMT), मंगलौर (1.5 MMT) और पदूर (2.5 MMT) शामिल हैं. ऐसे में दो और अंडरग्राउंड ऑयल स्टोरेज बनाने के फैसले के पीछे सोची-समझी रणनीति है.
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निवेशकों की है तलाश
सूत्रों की मानें तो दो नए रिजर्व बनाने के लिए सरकार वैश्विक निवेशकों को ढूंढ रही हैं, जो इस प्रॉजेक्ट में 1.5 अरब डॉलर का निवेश कर सकें. निवेश लाने के लिए सरकार ने प्लान तैयार किया है. इसके लिए सरकार नई दिल्ली के अलावा सिंगापुर और लंदन में रोडशो कर सकती है. इससे निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी. अगर प्राइवेट इन्वेस्टर मिल जाते हैं तो सरकार का बोझ कम हो जाएगा.
सरकार का होगा पहला अधिकार
निवेशकों के रिजर्व में निवेश करने से उनका अधिकार रहेगा. लेकिन, यह कंपनियां कच्चा तेल भरने का काम करेंगी. हालांकि, उस तेल पर पहला अधिकार भारत सरकार का ही होगा. स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड इस काम में प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर सहयोग करेगा. अगर सरकार ऑयल रिजर्व की क्षमता बढ़ाने में सफल होती है तो इसका असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर देखने को मिल सकता है. तेल भंडारण से अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कीमतों का प्रभाव कम हो सकेगा.
क्यों बनाए गए ऑयल रिजर्व?
1990 में खाड़ी युद्ध हुआ तो भारत दिवालिया होने की स्थिति में पहुंच गया था. उस वक्त तेल की कीमत ऊंचाईयों पर पहुंच गईं और भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ गया. इसकी वजह से फॉरेन एक्सचेंज की हालत खराब हो गई और भारत के पास मात्र तीन हफ्ते के इंपोर्ट का पैसा बचा था. अभी मौजूद तीन ऑयल रिजर्व सिर्फ 10 दिन के कच्चे तेल की जरूरत को पूरा कर सकते हैं.
12:56 PM IST