COVID Pandemic: महामारी का लोगों की बचत पर कितना हुआ असर, कैसे बदल गया कर्ज लेने का ट्रेंड
SBI रिसर्च ने वैक्सीनेशन को लेकर अहम बात कही है.
बैंकिंग सिस्टम में डिपॉजिट बढ़ने के साथ-साथ क्रेडिट डिमांड में भी इजाफा हुआ है. (Representational Image)
बैंकिंग सिस्टम में डिपॉजिट बढ़ने के साथ-साथ क्रेडिट डिमांड में भी इजाफा हुआ है. (Representational Image)
कोरोना महामारी (COVID19 Pandemic) ने देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका दिया ही है. साथ ही इसने लोगों की रुपये-पैसे की बचाने और खर्च करने की आदतों पर भी गहरा असर डाला है. महामारी ने लोगों को इस बात का आभास कर दिया कि सेविंग यानी बचत करना बहुत जरूरी है. एसबीआई रिसर्च (SBI Research) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकिंग सिस्टम में वित्त वर्ष 2021 से डिपॉजिट और क्रेडिट को लेकर एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. जबकि, आमतौर पर इससे पहले ऐसा नहीं रहता था. अमूमन, अप्रैल में डिपॉजिट और क्रेडिट में गिरावट देखने को मिलती है. जबकि, पिछले साल से शुरू हुई कोरोना महामारी के बाद से यह ट्रेंड बदल गया है. बैंकिंग सिस्टम में डिपॉजिट बढ़ने के साथ-साथ क्रेडिट डिमांड में भी इजाफा हुआ है.
SBI के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष की अगुवाई में तैयार हुई इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2020 बैंकिंग सिस्टम का डिपॉजिट बढ़कर 1.50 लाख करोड़ रुपये के पार चला गया. यह वही समय था, जब देश में पहली बार कोरोना लॉकडाउन लगाया गया था. जबकि, हम अप्रैल 2019 के आंकड़े देखें तो डिपॉजिट में करीब 90 हजार करोड़ रुपये की गिरावट आई थी. इससे पहले के फाइनेंशियल ईयर के शुरुआती माह के डिपॉजिट आंकड़े देखें तो उनमें में भी निगेटिव ग्रोथ देखने को मिलेगी. अब हम वित्त वर्ष 2022 के अप्रैल के आंकड़े देखें तो 9 अप्रेल तक ही बैंकिंग सिस्टम के डिपॉजिट में 1 लाख करोड़ रुपये का इजाफा दर्ज किया गया है. इन आंकड़ों से साफ लग रहा है कि लोग अब ज्यादा सेविंग कर रहे हैं. इस कंजम्पशन पर तगड़ा असर देखने को मिलेगा. यानी, लोग खर्च करने की जगह बचत को तरजीह देंगे तो उपभोक्ता डिमांड पर असर होगा.
महामारी से क्रेडिट डिमांड में भी इजाफा
देश में कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से क्रेडिट डिमांड का ट्रेंड भी बदलाव है. पिछले दो साल में अप्रैल में क्रेडिट डिमांड में गिरावट कम हुई है. यानी, महामारी के चलते क्रेडिट यानी कर्ज की मांग बढ़ी है. इसे इस तरह समझ सकते हैं कि महामारी से उबरने के लिए लोगों की तरफ से क्रेडिट डिमांड बढ़ रही है.
वैक्सीनेशन से काबू में आएगी महामारी
सौम्य कांति घोष ने अपने रिसर्च नोट में महामारी को काबू में करने के उपाय पर भी चर्चा की है. उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महामारी तेजी से फैल गई है. करीब आधा नए मामले ग्रामीण क्षेत्रों से ही आ रहे हैं. ऐसे में इस महामारी को रोकने के लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम को रफ्तार देना होगा. बीते कुछ दिन से रोजाना 4 लाख से ज्यादा नए कोरोना के केस आ रहे हैं. अब तक कुल 2.15 करोड़ से ज्यादा लोगों को संक्रमण हो चुका है. कोरोना से देश में अबतक मरने वालों का आंकड़ा भी 2.34 लाख से ज्यादा हो गया है.
कोरोना की दूसरी लहर इतनी खतरनाक रूप से फैली कि हमें दुनिया की मदद लेनी पड़ रही है. दुनिया के कई देश पैसे के अलावा मेडिकल ऑक्सीजन या जीवन रक्षक दवाओं की सप्लाई कर रहे हैं. बीते कुछ दिनों के आंकड़े बता रहे हैं कि दुनिया के कुल कोरोना मामलों का करीब 45 फीसदी अकेले भारत में हैं. रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि महामारी को रोकने का एक मात्र रास्ता वैक्सीनेशन प्रोग्राम को तेजी से बढ़ाना है. इसे मिशन मोड में करने की आवश्यकता है.
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06:18 PM IST