Economic Survey 2021-22: सरकारी बैंकों ने घटाया एनपीए का भार, नेट प्रॉफिट में रहा जबरदस्त उछाल
Economic Survey 2021-22: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Goverment Banks) का GNPA रेशियो सितंबर 2020 के आखिर में 9.4 प्रतिशत से घटकर सितंबर 2021 के आखिर में घटकर 8.6 प्रतिशत पर आ गया.
सरकारी बैंकों के दबावग्रस्त एडवांस रेशियो में मामूली रूप से 10.0 प्रतिशत से 10.1 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई.
सरकारी बैंकों के दबावग्रस्त एडवांस रेशियो में मामूली रूप से 10.0 प्रतिशत से 10.1 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई.
Economic Survey 2021-22: भारत सरकार ने सोमवार को इकोनॉमिक सर्वे 2021-22 जारी कर दिया है. सर्वे रिपोर्ट बताती है कि इस दौरान सरकारी बैंकों ने अपनी स्थिति में काफी सुधार कर लिया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंकों ने गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के मोर्चे पर अपना भार काफी कम किया है. इतना ही नहीं सरकारी बैंकों ने इस दौरान शानदार नेट प्रॉफिट भी कमाया है.
शिड्यूल कॉमर्शयिल बैंकों का प्रदर्शन
रिपोर्ट कहती है कि बैंकों का सकल गैर-निष्पादित अग्रिम (GNPA) अनुपात और शिड्यूल कॉमर्शयिल बैंकों (सरकारी, प्राइवेट और विदेशी बैंक मिलाकर) का नेट गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NNPA) के अनुपात में साल 2018-19 से गिरावट जारी है. शिड्यूल कॉमर्शयिल बैंकों का GNPA अनुपात सितंबर 2020 के आखिर में 7.5 प्रतिशत से घटकर सितंबर 2021 के आखिर में 6.9 प्रतिशत हो गया. शिड्यूल कॉमर्शयिल बैंकों (Scheduled Commercial Banks) का NNPA अनुपात सितंबर 2021 के आखिर में 2.2 प्रतिशत था.
सरकारी बैंकों के सकल एनपीए में गिरावट
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Goverment Banks) का GNPA रेशियो सितंबर 2020 के आखिर में 9.4 प्रतिशत से घटकर सितंबर 2021 के आखिर में घटकर 8.6 प्रतिशत पर आ गया. हालांकि सरकारी बैंकों (Public Sector Banks) के दबावग्रस्त एडवांस रेशियो में मामूली रूप से 10.0 प्रतिशत से 10.1 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई.
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बैंकों का नेट प्रॉफिट
इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट 2022 (Economic Survey 2022) के मुताबिक, सरकारी बैंकों का 2020-21 की पहली छमाही में 14688 करोड़ रुपये के नेट प्रॉफिट के मुकाबले 2021-22 की पहली छमाही में नेट प्रॉफिट 31,144 करोड़ रुपये दर्ज किया गया. इसी तरह, प्राइवेट सेक्टर के बैंकों का नेट प्रॉफिट समान अवधि में 32,762 करोड़ रुपये से बढ़कर 38,234 करोड़ रुपये दर्ज किया गया. शिड्यूल कॉमर्शयिल बैंकों के नेट प्रॉफिट पर गौर करें तो सर्वे बताती है कि सितंबर 2020 के आखिरी में 59426 करोड़ रुपये के मुकाबले सितंबर 2021 के आखिर में बढ़कर 78,729 करोड़ रुपये हो गया.
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रेपो रेट में गिरावट
आरबीआई ने फरवरी 2019 अबतक नीतिगत दर यानी रेपो दर में 250 बेसिस प्वॉइंट की कमी की है. लोन पर भारित औसत उधार दर (WALR) में 197 आधार अंकों की गिरावट आई और फरवरी 2019 से नवंबर 2021 की अवधि के दौरान बकाया ऋणों पर 133 बेसिस प्वॉइंट की गिरावट आई है. इसी तरह, अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान, फंड-आधारित 1 साल की औसत सीमांत लागत
उधार दर (MCLR) में 10 बेसिस प्वॉइंट की गिरावट आई है.
06:37 PM IST