टैक्स विवाद खत्म करने के लिए मोदी सरकार का बड़ा फैसला, रेट्रो टैक्स वसूली का नियम होगा खत्म
Retro Tax: वोडाफोन, केयर्न समेत कुल 17 मामलों में पुरानी तारीखों से कैपिटल गेन पर टैक्स वसूली को लेकर विवाद चल रहा था.
(File Image: PIB)
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Retro Tax Rollback Bill: मोदी सरकार (Modi Government) ने कई कंपनियों के साथ चल रहे टैक्स विवाद को खत्म करने की दिशा में एक बड़ी पहल की है. सरकार ने रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स डिमांड (Retrospective Tax Demand) के प्रावधान को वापस लेने का फैसला किया है. इसके लिए रेट्रो टैक्स रोलबैक बिल (Retro tax rollback bill) गुरुवार को लोकसभा (Lok Sabha) में पेश किया गया. सरकार की ओर से लोकसभा में पेश किए गए संशोधन प्रस्ताव के मुताबिक, पुरानी तारीखों से कैपिटल गेन पर टैक्स वसूली का नियम खत्म होगा.
सरकार कर सकती है रिफंड
इसमें एक खास बात यह है कि सरकार पुराने वसूले गए टैक्स बिना ब्याज वापस कर सकती है. कंपनियों को लिखित में देना होगा कि आगे कोई क्लेम नहीं करेंगी. वोडाफोन और केयर्न मामले में झटके के बाद सरकार ने यह नियम खत्म करने का फैसला किया है. वोडाफोन (Vodafone), केयर्न (Cairn Energy) सहित कुल 17 केस में ऐसी टैक्स वसूली को लेकर विवाद था. बता दें, साल 2012 में कानून बदलकर पिछली तारीखों से टैक्स मांग की गई थी. इनडायरेक्ट ट्रांसफर के मामलों पर कैपिटल गेन्स टैक्स मांगा था.
वित्त मंत्री ने पेश किया बिल
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 5 अगस्त को लोक सभा में टैक्सेशन लॉ (अमेंडमेंड) बिल, 2021 पेश किया. जिसमें 28 मई 2012 से पहले भारतीय संपत्तियों के इनडायरेकअ ट्रांसफर पर की गई टैक्स डिमांड को वापस लेने का प्रावधान है. बिल का कहना है, ''टैक्स विवाद के इन मामलों में बिना ब्याज के रिफंड करने का भी प्रावधान शामिल है.'' इस बिल का कम से कम दो बड़ी कंपनियों केयर्न एनर्जी और वोडाफोन ग्रुप, यूके के साथ चल रहे टैक्स मामले पर बड़ा असर होगा.
क्या था वोडाफोन और केयर्न टैक्स विवाद
साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन ग्रुप के इनकम टैक्स कानून की व्याख्या को सही माना था और कहा था कि कंपनी को हिस्सेदारी खरीदने पर कोई टैक्स नहीं देना है. इसके बाद तत्कालीन वित्त मंत्री प्रवण मुखर्जी ने फाइनेंस बिल में एक संशोधन का प्रास्ताव किया, जिसमें टैक्स अधिकारियों को इस तरह की डील पर रेट्रो टैक्स वसूली का अधिकार दिया गया. उसी साल यह बिल संसद से पास हो गया. भारत सरकार और वोडाफोन के बीच यह मामला तकरीबन 20,000 करोड़ के रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को लेकर था. वोडाफोन और सरकार के बीच कोई सहमति ना बन पाने के कारण 2016 कंपनी ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का रुख किया था. लंबी सुनवाई के बाद वोडाफोन को राहत मिली है.
इसी तरह का मामला केयर्न एनर्जी पीएलसी के शेयर ट्रांसफर को लेकर भी था. केयर्न ने 2006 में अपनी भारतीय इकाई का बीएसई पर लिस्ट कराया था. पांच साल बाद सरकार ने एक रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून पारित किया और केयर्न पर 10,247 करोड़ रुपये के ब्याज और जुर्माना लगाया. यह टैक्स डिमांड कंपनी पैटर्न (प्राइवेट से पब्लिक लिमिटेड) बनाने और दोबारा से गठन करने को लेकर थी. यह मामला भी हेग के एक आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल मे गया. इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ने दिसंबर 2020 में केयर्न एनर्जी के पक्ष में फैसला सुनाया था और कहा था कि भारत सरकार उसके 1.2 अरब डॉलर (8,800 करोड़ रुपये से जयादा) वापस करे. सरकार ने पैसे लौटाने पर सहमत नहीं थी.
07:05 PM IST