ऑटो सेक्टर की मंदी का रियल एस्टेट पर असर, लगातार घट रही है अफोर्डेबल हाउसिंग की मांग
एनॉरॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑटो सेक्टर में आई मंदी का असर 40 लाख रुपये से कम क़ीमत वाले घरों की ख़रीद पर देखने को मिल रहा है. पिछले 1 साल से ऑटो सेक्टर में बिक्री में कमी देखने को मिल रही है.
ऑटो सेक्टर में आई मंदी का असर रियल एस्टेट सेक्टर के अर्फोडेबल हाउसिंग की तरफ सबसे ज़्यादा देखने को मिल रहा है.
ऑटो सेक्टर में आई मंदी का असर रियल एस्टेट सेक्टर के अर्फोडेबल हाउसिंग की तरफ सबसे ज़्यादा देखने को मिल रहा है.
एनॉरॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑटो सेक्टर में आई मंदी का असर 40 लाख रुपये से कम क़ीमत वाले घरों की ख़रीद पर देखने को मिल रहा है. पिछले 1 साल से ऑटो सेक्टर में बिक्री में कमी देखने को मिल रही है. ऑटो सेक्टर में छाई मंदी से वहां काम कर रहे लोगों पर नौकरी जाने की तलवार लटक रही है, जिसकी वजह से 40 लाख रुपये से कम क़ीमत वाले घर यानी अफोर्डेबल हाउसिंग पर खासा असर देखने को मिल रहा है.
हाल ही आए जीडीपी आंकड़ों से ये बात तो साफ हो जाती है कि अर्थव्यवस्था की गाड़ी को पटरी पर लाने के लिए काफी कदम उठाने की ज़रुरत है. बैंकों के मर्जर करने के बाद लिक्विडिटी की समस्या काफी हद तक हल हो सकती है और इसका सीधा फ़ायदा रियल एस्टेट सेक्टर को मिल सकता है. इसी हफ्ते रियल एस्टेट सेक्टर को मंदी से उबारने के लिए सरकार कुछ अहम ऐलान भी कर सकती है.
ऑटो सेक्टर और अफोर्डेबल हाउसिंग
ऑटो सेक्टर की तरफ देखा जाए तो कार और टू-व्हीलर की बिक्री में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई और इसकी वजह से काफी नौकरियां जाने का डर बना हुआ है. ऑटो सेक्टर में आई मंदी का असर रियल एस्टेट सेक्टर के अर्फोडेबल हाउसिंग की तरफ सबसे ज़्यादा देखने को मिल रहा है. आमतौर पर ऑटो सेक्टर से 40 लाख से कम क़ीमत वाले घर यानी अर्फोडेबल हाउसिंग की डिमांड सबसे ज़्यादा निकलती है और ऑटो सेक्टर में छाई मंदी से होम बायर्स ने घर ख़रीदने के लिए अभी और इंतज़ार करना बेहतर समझा है.
TRENDING NOW
कम हो सकती है डिमांड
ऑटो सेक्टर जिस दौर से गुजर रहा है, संभावना जताई जा रही है कि ऑटो कंपोनेंट से लाखों और मेन्युफेक्चरिंग युनिट से हज़ारों की संख्या में नौकरियां जा सकती हैं. दिल्ली-एनसीआर, पुणे और चेन्नई ऑटो सेक्टर का मेन्युफेक्चरिंग हब है और इन्हीं शहरों में अफोर्डेबल हाउसिंग की डिमांड कम हो सकती है. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि अफोर्डेबल हाउसिंग की बिक्री बिल्कुल रुक जाएगी पर सेल की रफ्तार रिवर्स गियर में आ सकती है.
NCR, पुणे और चेन्नई में अफोर्डेबल हाउसिंग की डिमांड
2017 से देखा जाए तो ऑटो सेक्टर का हब NCR, पुणे और चेन्नई में अफोर्डेबल हाउसिंग की डिमांड बढ़ रही है. NCR, पुणे और चेन्नई में 40 लाख के कम घरों की बिक्री 32,000 युनिट से भी ज़्यादा की देखने को मिली है. 2018 में अफोर्डेबल हाउसिंग की बिक्री क़रीब 18 फीसदी बढ़कर 37,800 युनिट रही.
देखें ज़ी बिजनेस लाइव टीवी
2019 की पहली छमाही के आंकड़ों की तरफ देखा जाए तो तीनों शहरों में 27,000 से ज़्यादा युनिट्स की बिक्री दर्ज की गई जोकि कुल अफोर्डेबल हाउसिंग की बिक्री का 44% है. पिछले कई सालों से अफोर्डेबल हाउसिंग में ट्रेंड काफी तेज़ी से बढ़ा है और डेवलपर्स भी अफोर्डेबल हाउसिंग की तरफ घ्यान दे रहे हैं.
अनसोल्ड इंन्वेंटरी का बोझ
NCR, पुणे और चेन्नई में अफोर्डेबल हाउसिंग की डिमांड बढ़ने के बावजूद बिना बिके मकानों की संख्या का बोझ बढ़ा है. तीनों शहरों में फिलहाल 1.24 लाख युनिट अभी भी बिना बिके हैं. दरअसल, होम बायर्स की 40 लाख रुपये से कम घरों की मांग बढ़ने से बिल्डर्स ने काफी प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए जिसकी वजह से डिमांड तो बढ़ी, साथ में बिना बिके मकानों की संख्या में भी इज़ाफा देखने को मिला.
आगे अगर डिमांड कम होती है तो बिना बिके मकानों की संख्यां में और ज्यादा बढ़ोतरी हो सकती है. NCR में देखा जाए तो 2017 में 40 लाख से कम क़ीमत वाले 14,510 युनिट्स लॉन्च किए जबकि 2018 में ये आंकड़ा 12,120 युनिट्स का था. 2019 की पहली छमाही में 9290 युनिट्स लॉन्च किए गए. पुणे में 11,090 युनिट्स की लॉन्चिंग हुई और 2018 में ये आंकड़ां बढ़कर 12,630 युनिट्स पर पहुंच गया. 2019 की पहली छमाही में 12,230 युनिट्स लॉन्च किए गए. चेन्नई में 2,080 युनिट्स लॉन्च किए और 2018 में ये आंकड़ां बढ़कर 7,640 युनिट्स रहा. 2019 की पहली छमाही में ये आंकड़ां घटकर 3010 युनिट्स रह गया.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एनॉरॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट प्रंशात ठाकुर ने बताया कि सरकार का खासा ध्यान ऑटोमोबाइल सेक्टर पर है और उम्मीद है कि जल्द ही इस सेक्टर को उठाने के लिए ज़रुरी कदम उठाए जाएंगे. ऑटो सेक्टर में GST को भी कम करने की डिमांड उठ रही है. दूसरी तरफ, अंडर-कंस्ट्रक्शन घरों में भी GST रेट कम करने की मांग है. फिलहाल अंडर कंस्ट्रक्शन घरों में GST रेट 5% है.
अंडर-कंस्ट्रक्शन घरों की मांग GST की वजह से नहीं बढ़ रही बल्कि रेडी टू मूव घरों की पूछ-परख में इज़ाफा हो रहा है. सरकार को फिलहाल ऑटो सेक्टर में काफी कदम उठाने की ज़रुरत है.
ऑटो सेक्टर को राहत देने के लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने व्हीकल्स पर डेपरिसिऐशन कॉस्ट को 15% से बढ़ाकर 30% का ऐलान किया और साथ में सभी डिपार्टमेंट्स पर नई गाड़ियों की खरीद पर लगी रोक को हटा लिया.
(रिपोर्ट- गौरव खोसला/ मुंबई)
03:04 PM IST