मार्च के महीने में बेमौसम बरसारत और ओलावृष्टि ने आम के किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. बिहार में इस बार आम के पेड़ों पर अच्छे मंजर आए थे. लेकिन बेमौसम हुई बारिश और ओलावृष्टि से आम का फूल पानी में धूल गया और झड़ गए. आम के पेड़ों में मटर के दाने के सामान फल पकड़ लिया है. उनका देखभाल करना या बचाना किसानों के लिए जरूरी है.
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किसानों के लिए जरूर सलाह
मटर के सामान जब दाने बन जाते हैं तो मिलीबग कीट और पाउडरी मिल्ड्यू और एन्थ्रैकनोज जैसी बीमारियों का आक्रमण मुख्य रूप से होता है. इससे मंजरों और टिकोलों की सुरक्षा के लिए पहला छिड़काव हो चुका अब आम के भरपूर उत्पादन पाने के लिए दो छिड़काव सही समय पर करने की जरूरत है, जिससे उत्पादन अच्छा होता है. इसके लिए बिहार कृषि विभाग सुरक्षा के उपाय बताए हैं.
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फलों को गिरने से बचाने के लिए करें छिड़काव
मंजरों में मटर के बराबर दाना लग जाने पर कीटनाशी के साथ-साथ किसी एक फफूंदनाशी को मिलाने की सलाह है, जो मंजर को पाउडरी मिल्ड्यू और एन्थ्रैकनोज रोग से सुरक्षित रखता है. साथ ही, इस घोल में अल्फा नेपथाईल एसीटिक एसीड (पीजीआर) मिलाया जाता है, जो फलों को गिरने से रोकता है.
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कब करें तीसरा छिड़काव
आम में जब टिकोला बनने लगे, तब तीसरा छिड़काव किया जाना चाहिए. तीसरे छिड़काव में कीटनाशी के साथ अल्फा नेपथाइल एसीटिक एसीड के अलावा जरूरी हो तो एक फफूंदनाशी को मिलाकर छिड़काव किया जाना चाहिए.
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दहिया कीट को रोकने के लिए कीटनाशी में मिलाएं स्टीकर
मंजर के समय बूंदा-बांदी हो जाने पर घुलनशील सल्फर या कार्बेन्डाजिम या हेक्साकोनाजोल का छिड़काव जरूरी करना चाहिए. दहिया कीट की रोकथाम के लिए कीटनाशी के तैयार घोल में कोई स्टीकर जरूर मिलाएं.
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