J&K के किसानों को पराली के संकट मिला छुटकारा, अपनाई ये तकनीक, बढ़ेगी कमाई
Ripper Technology: कृषि विभाग (DoA) ने पराली को काटने और उसे चारे में बदलने के लिए संशोधित रिपर्स की पेशकश की है. रिपर एक कृषि उपकरण है जिसका उपयोग मिट्टी को ढीला करने या वायु समृद्ध करने के लिए किया जाता है.
मशरूम, डेयरी इंडस्ट्री को मिलेगा बढ़ावा. (Image- Freepik)
मशरूम, डेयरी इंडस्ट्री को मिलेगा बढ़ावा. (Image- Freepik)
Ripper Technology: जम्मू-कश्मीर के आर एस पुरा सीमा क्षेत्र में भारत के बासमती समृद्ध कृषि क्षेत्रों ने एक नई तकनीक अपनाई है, जिसमें उन्नत रिपर्स (Rippers) का उपयोग पराली जलाने के खतरे से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है. कृषि विभाग (DoA) ने पराली को काटने और उसे चारे में बदलने के लिए संशोधित रिपर्स की पेशकश की है. रिपर एक कृषि उपकरण है जिसका उपयोग मिट्टी को ढीला करने या वायु समृद्ध करने के लिए किया जाता है.
बीज गुणन फार्म चकरोही के प्रबंधक राकेश खंजूरिया ने कहा, रिपर्स के इस्तेमाल से न केवल खेत में आग और प्रदूषण खत्म होगा, बल्कि मवेशियों के लिए चारा भी पैदा होगा. खंजूरिया ने कहा कि नई तकनीक के इस्तेमाल से न केवल प्रदूषण, खेतों में आग लगने और मिट्टी में मौजूद खनिजों और कीड़ों को नष्ट होने से रोका जा सकता है, बल्कि क्षेत्र के मवेशियों के लिए चारा और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार पैदा होता है.
ये भी पढ़ें- Himalayan Gold: 20 लाख रुपये किलो बिकता है ये फंगस, तस्करी रोकने के लिए उत्तराखंड सरकार ने उठाया बड़ा कदम
मशरूम, डेयरी इंडस्ट्री को मिलेगा बढ़ावा
TRENDING NOW
अधिकारियों ने कहा कि प्रदूषण के बजाय चारा बनाने के लिए रिपर्स की शुरुआत न केवल पूरे जम्मू-कश्मीर में बल्कि पंजाब और हरियाणा में भी की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब, जहां इस तरह की घटनाएं तेजी से हो रही हैं, उन्हें इसे (पराली काटने की रिपर तकनीक) अपनाना चाहिए. इसका उपयोग पूरे जम्मू-कश्मीर में किया जाना चाहिए. इससे प्रदूषण नियंत्रित होगा और मशरूम (Mushroom) और डेयरी उद्यमों को बढ़ावा मिलेगा.
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गेहूं की हो रही कटाई
जम्मू-कश्मीर के चकरोही में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दो तरफ की उपजाऊ कृषि भूमि में 850 एकड़ में बोई गई गेहूं की 13 किस्मों को काटने के लिए किसान और कटाई करने वाले काम कर रहे हैं, जो कि पाकिस्तानी गोलाबारी के कारण एक साल पहले तक सोचना मुश्किल था. कटाई का 70% काम हो चुका है.
ये भी पढ़ें- Success Story: ड्राइवर बना मालिक, शुरू किया खेती से जुड़ा ये बिजनेस, अब हो रहा है लाखों का मुनाफा
जम्मू से लगभग 50 किलोमीटर दूर चकरोही-जोरा कृषि क्षेत्र में सीमा बाड़ के दोनों किनारों पर लगभग 1,000 एकड़ में फैले बीज गुणन फार्म के बारे में कहा जाता है कि यह गेहूं, बासमती, तेल, चारा और सब्जियों के सबसे अच्छे बीज उगाता है. उन्नत रिपर की शुरुआत स्थानीय लोगों के लिए आय सृजन और डेयरी उद्योग और पशु मालिकों के लिए कम लागत वाले चारे का स्रोत बन गई है.
खंजूरिया ने कहा, आज कृषि विभाग द्वारा शुरू की गई तकनीक - रिपर ने लोगों को सस्ती दर पर उनके घर पर चारा उपलब्ध कराने में मदद की है. वे इसका उपयोग डेयरी उद्यम शुरू करने के लिए कर रहे हैं और लाभान्वित भी हो रहे हैं और अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- मखाना की खेती से कमाई का मौका, सरकार दे रही ₹72 हजार
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
09:46 PM IST