इंजीनियरिंग छोड़ शुरू की खेती, दाम के साथ कमा रहे हैं देश-विदेश में नाम
युवा किसान उमेश नागर ने अपने ही गांव में एक जैविक खाद यूनिट तैयार की है. वे उसमें खाद तैयार कर आसपास के किसानों को सप्लाई कर रहे हैं.
किसान उमेश नागर जैविक खाद यूनिट तैयार कर आज मोटी कमाई कर रहे हैं.
किसान उमेश नागर जैविक खाद यूनिट तैयार कर आज मोटी कमाई कर रहे हैं.
राजस्थान में झालावाड़ जिले के गांव मानपुरा के किसान हुकुमचंद पाटीदार को इस बार भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है. हुकुमसिंह बीते एक दशकों से जैविक खेती कर रहे हैं. हुकुमसिंह ने झालावाड़ समेत पूरे राज्य में खेती में केमिकलों के इस्तेमाल के खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ है.
हुकुमसिंह अन्य नौजवानों और किसानों के लिए भी प्ररेण बने हुए हैं. कोटा जिले के सुल्तानपुर के पड़ासलिया गांव के नौजवान उमेश नागर ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है. पढ़ाई पूरी करने के बाद उमेश ने नौकरी की. लेकिन उमेश अपना कोई काम शुरू करना चाहता था. उमेश ने हुकुमसिंह पाटीदार के बारे में सुन रखा था और केमिकलों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में भी जानते थे.
एक दिन उमेश ने नौकरी छोड़ खेती में कुछ नया करने का फैसला कर लिया और लौट आए अपने गांव. उमेश ने रसायनों और पेस्टिसाइड के प्रयोग से खराब हो रही मिट्टी के सरंक्षण को लेकर जैविक खेती पर ध्यान देना शुरू किया. उन्होंने अपने खेत की एक बीघा भूमि पर 10 लाख रुपये की लागत से जैविक खाद उत्पाद की यूनिट लगाई. सुल्तानपुर कस्बे की गोपाल गौशाला से गोबर लेकर उसे जैविक खाद के रूप मे तैयार करना शुरू किया. एक बीघा मे बनी इस यूनिट से क्षेत्र के दर्जनों गांवों के किसान जैविक खाद लेते हैं. यूनिट से निर्मित जैविक खाद से उमेश नागर खुद तो खेती करते ही हैं साथ उनकी सलाह पर सैकड़ों किसान भी रसायन छोड़ जैविक खाद का इस्तेमाल करने लगे हैं.
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उमेश आज पुरे क्षेत्र के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए मिशाल बन गए हैं. स्वरोजगार के साथ मृदा संरक्षण को लेकर उनके प्रयास आज के किसानों के लिए प्रेरणा हैं. उन्होंने वर्ष 2017 में जैविक खाद की यूनिट लगाई थी. यहां तैयार खाद से उन्होंने खेती शुरू की तो अच्छा फसल उत्पादन मिला.
युवा किसान नागर की यूनिट से तैयार जैविक खाद से आर्थिक संबल के साथ ही किसानों की फसलों मे रसायनो की निर्भरता भी घटी है.
06:08 PM IST