NBFC सेक्टर को पटरी पर लाने के लिए RBI तैयार कर रहा है नई रणनीति
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की दिक्कतों के बारे में कहा कि नियमन के साथ ही निगरानी पर भी नये सिरे से गौर करने की जरूरत है.
रिजर्व बैंक जल्दी ही NBFC सेक्टर के लिए तरलता जोखिम प्रबंधन को लेकर दिशानिर्देश जारी करने वाला है.
रिजर्व बैंक जल्दी ही NBFC सेक्टर के लिए तरलता जोखिम प्रबंधन को लेकर दिशानिर्देश जारी करने वाला है.
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) सेक्टर इन दिनों संकट के दौर से गुजर रहा है. 6 जून को जब भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी क्रेडिट पॉलिसी की घोषणा करते हुए ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया था, उस दिन एनबीएफसी सेक्टर के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. हालांकि उस दिन शीर्ष बैंक ने इस सेक्टर के लिए कोई अलग से घोषणा नहीं की थी, लेकिन अब रिजर्व बैंक का कहना है कि एनबीएफसी सेक्टर पर नियमन के साथ निगरानी पर भी नए सिरे से गौर करने की जरूरत है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की दिक्कतों के बारे में कहा कि नियमन के साथ ही निगरानी पर भी नये सिरे से गौर करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक जल्दी ही तरलता जोखिम प्रबंधन को लेकर दिशानिर्देश जारी करने वाला है.
निगरानी की अवधि को कम किया
शक्तिकांत दास ने यहां नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बैंक मैनेजमेंट (एनआईबीएम) के स्नातकोत्तर डिप्लोमा (प्रबंधन) के 15वें सालाना दीक्षांत समारोह में कहा कि नियमन एवं निगरानी को बेहतर बनाना लगातार चलने वाला काम है. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने इस दिशा में एनबीएफसी निगरानी की अवधि को 18 महीने से घटाकर 12 महीने कर दिया है.
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उन्होंने कहा कि एनबीएनसी के निदेशक मंडल कर्मठता के साथ काम करेंगे तथा रिजर्व बैंक की निगरानी रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कदम उठायेंगे.
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य बैंकों और एनबीएफसी के विशिष्ट कारोबारी मॉडल को देखते हुए इनके बीच तरलता का तालमेल बिठाना है. इस संदर्भ में तरलता जोखिम प्रबंधन रूपरेखा को लेकर अंतिम दिशानिर्देश जल्दी ही जारी किये जाएंगे.
शक्तिकांत दास ने प्रभावी नियंत्रण की अनुपस्थिति को बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी के लिये जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में रिजर्व बैंक पारदर्शिता एवं जवाबदेही बढ़ाने के लिये बैंकिंग और गैर-बैंकिंग क्षेत्र में कॉरपोरेट संचालन में सुधारों पर ध्यान देगा.
दास ने कहा कि ऐसा पाया गया है कि अधिकांश बैंक धोखाधड़ी के लिये प्रभावी नियंत्रण का नहीं होना जिम्मेदार है. आंतरिक नियंत्रण की एक प्रभावी प्रणाली के लिये मजबूत नियंत्रण व्यवस्था आवश्यक तत्व है. यह निदेशक मंडल और वरिष्ठ प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि वे अपने कार्यों एवं कथनों से आंतरिक नियंत्रण के महत्व को रेखांकित करें.
(इनपुट भाषा से)
08:58 AM IST