रिजर्व बैंक गवर्नर ने बैंक प्रमुखों के साथ की बैठक, लोन और EMI सहित कई मुद्दों पर हुई चर्चा
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Sun, May 03, 2020 11:27 AM IST
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने सरकारी और प्राइवेट बैंकों (public and private sector banks) के प्रमुखों के साथ बैठक की. इस बैठक में कोविड-19 संकट के बीच आर्थिक स्थिति और वित्तीय प्रणाली (financial system) के दबाव को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा उठाए गए कदमों के असर की समीक्षा की गई. यह बैठक दो सत्रों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई. बैठक में आरबीआई गवर्नर ने लॉकडाउन के दौरान लोगों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने में बैंकों के प्रयास की तारीफ की.
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आर्थिक स्थिति की हुई समीक्षा
रिजर्व बैंक ने बैठक के बाद जारी बयान में कहा कि इसमें प्रमुख सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शामिल हुए. बैठक के दौरान अन्य बातों के अलावा मौजूदा आर्थिक स्थिति (current economic situation) और वित्तीय क्षेत्र (financial sector) की स्थिरता पर चर्चा की गई.
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लोन की उपलब्धता पर हुई चर्चा
इसके साथ ही बैठक में अर्थव्यवस्था के अलग अलग क्षेत्रों में लोन की उपलब्धता सहित गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लिए पैसे की उपलब्धता , सूक्ष्म वित्त संस्थानों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों, म्यूचुअल फंड आदि को नकदी की स्थिति पर चर्चा हुई. साथ ही बैठक में लॉकडाउन के बाद लोन दिए जाने, वर्किंग कैपटल और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (MSME) को लोन उपलब्ध कराने पर चर्चा की गई .
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EMI पर रोक को लेकर हुई बात
रिजर्व बैंक ने कोविड-19 की वजह से कर्ज की मासिक किस्त (EMI) के भुगतान पर तीन माह की 'रोक लगाई है. बैठक में इसकी भी समीक्षा की गई. आरबीआई की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती के मद्देनजर बैंकों की विदेशों में स्थित शाखाओं की निगरानी पर भी विचार-विमर्श हुआ.
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आरबीआई ने उठाए कई कदम
रिजर्व बैंक ने कर्ज लेने वाले ग्राहकों, लोन देने वाली संस्थाओं और म्यूचुअल फंडों सहित अन्य इकाइयों पर दबाव कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. फरवरी, 2020 से रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 3.2 प्रतिशत के बराबर नकद धन डाल चुका है. रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में 0.75 प्रतिशत की कटौती कर इसे 11 साल के निचले स्तर 4.4 प्रतिशत पर ला दिया है. अब केंद्रीय बैंक द्वारा बैंकों पर भी कर्ज पर ब्याज की दर कम करने का दबाव बनाया जा रहा है.
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