Personal Loan लेने जा रहे हैं तो रिड्यूसिंग और फ्लैट इंटरेस्ट रेट का अंतर जरूर समझ लें, वरना करा बैठेंगे अपना नुकसान
पर्सनल लोन के बदले बैंक काफी मोटा ब्याज वसूलते हैं. ये ब्याज दो तरह से वसूला जाता है. फ्लैट इंटरेस्ट रेट और रिड्यूसिंग बैलेंस इंटरेस्ट रेट. अगर आप भी पर्सनल लोन लेना चाहते हैं तो आपको फ्लैट इंटरेस्ट रेट और रिड्यूसिंग बैलेंस इंटरेस्ट रेट के बारे में पता होना चाहिए.
Flat Interest Rate Vs Reducing Balance Interest Rate: मुसीबत के समय में जब कहीं कोई विकल्प नजर नहीं आता, तब पर्सनल लोन साथ निभाता है. पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड लोन है जिसे लेने के लिए किसी तरह की सिक्योरिटी की जरूरत नहीं होती और न बहुत ज्यादा पेपर वर्क कराया जाता है. ये कम समय में और आसानी से मिल जाता है. लेकिन पर्सनल लोन के बदले बैंक काफी मोटा ब्याज वसूलते हैं. ये ब्याज दो तरह से वसूला जाता है. फ्लैट इंटरेस्ट रेट और रिड्यूसिंग बैलेंस इंटरेस्ट रेट (Flat Interest Rate and Reducing Balance Interest Rate). अगर आप भी पर्सनल लोन लेना चाहते हैं तो आपको फ्लैट इंटरेस्ट रेट और रिड्यूसिंग बैलेंस इंटरेस्ट रेट के बारे में पता होना चाहिए, वरना सस्ते लोन के चक्कर में आप अपना नुकसान करा सकते हैं.
रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट और फ्लैट इंटरेस्ट रेट का फर्क जानें
रिड्यूसिंग बैलेंस इंटरेस्ट रेट के नाम से ही पता चलता है कि इसमें कस्टमर को केवल बकाया लोन राशि पर ब्याज का भुगतान करना पड़ता है. मतलब हर माह चुकाए जाने वाले ब्याज की गणना बचे हुए लोन के आधार पर होती है, न कि वास्तविक लोन पर. उदाहरण के लिए, यदि आपने 5 लाख रुपए का लोन 16 फीसदी की दर पर पांच साल के लिए लिया है, तो जैसे-जैसे महीने गुजरते जाएंगे, ईएमआई भी घटने लगेगी.
जबकि फ्लैट रेट में कस्टमर को लोन अवधि के दौरान पूरी लोन राशि पर ब्याज का भुगतान करना होता है. मान लीजिए आपने पांच लाख रुपए का लोन 10 फीसदी फ्लैट रेट पर पांच साल के लिए लिया है, तो आपकी 4,167 रुपए महीने की ईएमआई फिक्स हुई, ये ईएमआई आपको पूरे 5 सालों तक चुकानी होगी. फ्लैट इंटरेस्ट रेट की तुलना में रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट पर लोन लेना सस्ता पड़ता है.
ऐसे होती है चालबाजी
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कई बार नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) पर्सनल लोन पर कम ब्याज दर के साथ फ्लैट इंटरेस्ट रेट ऑफर करते हैं. जबकि बैंकों में पर्सनल लोन की ब्याज दर थोड़ी ज्यादा हो सकती है, लेकिन वो अधिकतर रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट पर होती है. कस्टमर को इसका फर्क नहीं पता होता, ऐसे में कस्टमर सस्ते के चक्कर में फंस जाता है और फ्लैट इंटरेस्ट रेट पर लोन ले लेता है और अपना नुकसान करा बैठता है.
उदाहरण से समझें
मान लीजिए कि आपको कोई बैंक 5 लाख रुपए का पर्सनल लोन 15 प्रतिशत ब्याज पर ऑफर करता है. ये रिड्यूसिंग बैलेंस इंटरेस्ट है और आप इसे 5 सालों के लिए लेते हैं. वहीं कोई NBFC आपके किसी परिचित को 5 लाख रुपए का पर्सनल लोन 12 प्रतिशत ब्याज के साथ ऑफर करता है, लेकिन वो फ्लैट इंटरेस्ट रेट है. इसे भी चुकाने की अवधि 5 साल ही है.
ऐसे में Flat vs Reducing Rate Calculator के हिसाब से कैलकुलेट करें तो रिड्यूसिंग बैलेंस इंटरेस्ट रेट्स में कस्टमर को 5 लाख रुपए का लोन चुकाने के लिए 5 साल में 7,13,698 रुपए चुकाने होंगे. इसमें वो 2,13,698 रुपए ब्याज के तौर पर चुकाएगा. वहीं 12 प्रतिशत की दर से फ्लैट इंटरेस्ट रेट पर कोई कस्टमर पांच साल के लिए लोन लेता है तो उसे इसके लिए 8,00,000 रुपए चुकाने होंगे. यानी सस्ती ब्याज दर होने के बावजूद वो 3 लाख रुपए सिर्फ ब्याज के चुकाएगा.
08:40 AM IST