Cheque Bounce पर SC ने मांगा केंद्र-राज्य और हाईकोर्ट से जवाब, चेक बाउंस के पेंडिंग केस के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे
Cheque Bounce: देशभर में चेक बाउंस के बढ़ते मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की मंशा है कि चेक बाउंस मामलों के निपटारे जल्दी हों. आपको बता दें, ज़ी बिजनेस ने चेक बाउंस मामलों के निपटारे पर मुहिम चलाई थी.
Cheque Bounce: चेक बाउंस के मामलों के तेज निपटारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) काफी गंभीर है. सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले पर बनी एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों पर केंद्र, राज्यों और हाई कोर्ट्स से जवाब मांगा है. एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिश थी कि इसके लिए विशेष अदालतें बनें और जरूरत पड़ने पर सुनवाई के लिए रिटायर्ट जजों की नियुक्ति की जाए.
चेक बाउंस का चक्कर
देशभर में चेक बाउंस के बढ़ते मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की मंशा है कि चेक बाउंस मामलों के निपटारे जल्दी हों. आपको बता दें, ज़ी बिजनेस ने चेक बाउंस मामलों के निपटारे पर मुहिम चलाई थी. कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी के सुझावों पर केंद्र, राज्यों, HCs से जवाब मांगा है. कमेटी का सुझाव कि चेक बाउंस मामलों के लिए अलग कोर्ट बनें. इसमें यह भी कहा गया है कि अगर जरूरत हो तो रिटायर्ड न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति की जाए.
नए कोर्ट के लिए करीब 127 करोड़ रुपये होंगे खर्च
एक्सपर्ट कमेटी के मुताबिक नए कोर्ट के लिए करीब 127 करोड़ रुपये खर्च होंगे. साथ ही अलग कोर्ट बनाने पर 1826 न्यायिक अधिकारी की भी भर्ती करनी होगी. बता दें, पहले कुछ हाई कोर्ट्स ने चेक बाउंस (Cheque Bounce) पर इवनिंग कोर्ट शुरू किया था. देश में बीते 13 अप्रैल 2022 तक 33.44 लाख चेक बाउंस केस विचाराधीन हैं. इसको लेकर महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, UP में पायलट स्पेशल कोर्ट हैं.
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चेक बाउंस के मामलों में टॉप 5 राज्य
राज्य मामले लंबित
महाराष्ट्र 5,60,914
राजस्थान 4,79,774
गुजरात 4,37,979
दिल्ली 4,08,992
उत्तर प्रदेश 2,66,777
(13 अप्रैल 2022 तक)
स्पेशल कोर्ट का सुझाव
चेक बाउंस (Cheque Bounce) के जहां ज्यादा मामले हैं, उन 5 राज्यों के 5 जिलों में स्पेशल कोर्ट का सुझाव दिया गया है. एक्सपर्ट कमेटी का यह भी सुझाव है कि समन की सूचना के लिए नेशनल पोर्टल हो. ऐसा देखा गया है कि अक्सर लोग समन लेने में आनाकानी करते हैं जिससे ट्रायल में देरी होती है. यह सुझाव दिया गया है कि समन भेजने के पहले आपसी सुलह का रास्ता खोजा जाना चाहिए. सुलह की राह के लिए नेगोशिएबल एक्ट में संशोधन का भी सुझाव है. IBA से राय मांगी गई कि जहां रकम बहुत कम क्या ऐसे केस बंद हो सकते हैं.
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चेक बाउंस पर है सजा का प्रावधान
चेक बाउंस (Cheque Bounce) के 15 दिन के नोटिस के बाद भी पेमेंट न होने पर सजा का प्रावधान है. इसमें अधिकतम 2 साल तक की सजा या रकम का दोगुना दंड या दोनों का प्रावधान है. वित्त मंत्रालय ने गैर आपराधिक करने पर पहले सुझाव मांगा था. इस मामले में बड़ी संख्या में कारोबारी वर्ग से गैर-आपराधिक करने का विरोध हुआ.
05:47 PM IST