बैंकों का पैसा पचाना अब नहीं आसान, SBI चेयरमैन को मिल गया ऐसे ग्राहकों से निपटने का यह औजार
एसबीआई प्रमुख रजनीश कुमार ने कहा ‘एनपीए की समस्या पिछले तीन साल से चल रही थी लेकिन अब हम इस समस्या को काबू करने की स्थिति में आ गए हैं.
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार. (फाइल फोटो)
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार. (फाइल फोटो)
भारत के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक एसबीआई के प्रमुख का कहना है कि देश के बैंक अब वसूली में फंसे कर्ज (एनपीए) की समस्या से निपटने की स्थिति में आ गए हैं.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अध्यक्ष रजनीश कुमार ने कहा कि सितंबर में आए बैंकों के शुरुआती नतीजों से लगता है कि बहुत से बैंक फिर मनाफे में आने लगे हैं. एनपीए के मुद्दे पर विस्तार से बताते हुए कुमार ने कहा कि पिछले साल बैंक इस समस्या से जूझ रहे थे. एनपीए का स्तर ऊंचा था. खास कर इस्पात और बिजली क्षेत्र में इसका प्रभाव सबसे ज्यादा था.
कुमार ने कहा कि कर्ज खातों की गुणवत्ता बैंकों के सामने बड़ी चुनौती थी. यह चुनौती सरकारी बैंकों के सामने ज्यादा थी और निजी क्षेत्र के कुछ बैंक भी इससे जूझ रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘एनपीए की समस्या पिछले तीन साल से चल रही थी लेकिन अब हम इस समस्या को काबू करने की स्थिति में आ गए हैं.
’’उन्होंने कहा कि बैंक बिजली क्षेत्र का मुद्दा नहीं सुलझा पाए हैं. लेकिन ऋण-शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता से बैंकों को मदद मिली है और ‘अब कम से कम एक समाधान सुलभ हो गया है.’ उन्होंने इस संहिता को वित्तीय कर्जदाताओं के लिए एक ‘बहुत अच्छा उपाय’बताया.
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रुपये की विनिमय दर में गिरावट के बारे में पूछे जाने पर एसबीआई प्रमुख का कहना था कि तेल के बाजार में स्थिरता आ जाने पर विनिमय दर में भी स्थिरता आ जाएगी. उन्होंने कहा कि इस समय घरेलु मुद्रास्फीति कोई बड़ी समस्या नहीं रह गई है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को जिस दायरे में बांधे रखने का लक्ष्य रखा है वह उसी दायरे में है. कुमार ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अपने स्तर पर बराबर अच्छा प्रदर्शन कर रही है पर ‘‘बड़ी गड़बड़ी’’ तेल की कीमतों की वजह से है. इसके कारण देश के चालू खाते और विनिमय दर पर दबाव बढ़ गया है.
03:18 PM IST