World Tuberculosis Day 2023: क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड टीबी डे? जानिए इस दिन का इतिहास, महत्व और थीम
टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है. लेकिन ये बीमारी लाइलाज नहीं है. हर साल इस बीमारी के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए विश्व तपेदिक दिवस मनाया जाता है.
क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड टीबी डे? जानिए इस दिन का इतिहास, महत्व और थीम (Freepik)
क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड टीबी डे? जानिए इस दिन का इतिहास, महत्व और थीम (Freepik)
हर साल 24 मार्च को वर्ल्ड टीबी डे मनाया जाता है. टीबी की बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है. इसे क्षयरोग भी कहा जाता है. भारत में हर साल टीबी के लाखों मरीज सामने आते हैं. टीबी एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन लाइलाज नहीं है. समय रहते इस बीमारी का इलाज करवा लिया जाए तो इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. हर साल टीबी की बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए 24 मार्च को विश्व क्षय दिवस (World Tuberculosis Day 2023) मनाया जाता है. इसे विश्व तपेदिक दिवस भी कहा जाता है. आइए आपको बताते हैं इस दिन से जुड़ी जानकारी.
कैसे हुई विश्व क्षय दिवस मनाने की शुरुआत (World Tuberculosis Day History)
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार 24 मार्च 1882 को डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने टीबी रोग के लिए जिम्मेदार माइक्रोबैक्टीरियल ट्यूबकुलोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) बैक्टीरिया की खोज की थी. डॉ. रॉबर्ट कोच की ये खोज आगे चलकर टीबी के इलाज में बहुत मददगार साबित हुई. उनकी इस खोज की वजह से डॉ. रॉबर्ट कोच को साल 1905 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. यही वजह है कि इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए 24 मार्च की तारीख को चुना गया और 24 मार्च को विश्व तपेदिक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा हुई.
क्या है इस साल की थीम (World Tuberculosis Day Theme)
विश्व तपेदिक दिवस को लेकर हर साल एक थीम निर्धारित की जाती है. साल 2023 की थीम है- यस! वी कैन एंड टीबी! (Yes! We can end TB!) इसका मतलब है कि हां, हम टीबी का अंत कर सकते हैं. इस थीम के जरिए लोगों को टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए मोटिवेट करने का प्रयास किया गया है.
2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का संकल्प
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीबी अभी भी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक किलर डिजीज में से एक है. डब्ल्यूएचओ की तरफ से साल 2030 तक दुनिया को पूरी तरह से टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं भारत की ओर से 2025 तक देशवासियों की टीबी की बीमारी से पूरी तरह से निजात दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. हर साल विश्व क्षय रोग दिवस के मौके पर डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार की ओर से लोगों को बीमारी के प्रति जागरुक करने के लिए तमाम कार्यक्रम चलाए जाते हैं.
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05:19 PM IST