Teacher’s Day 2022 : डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से हर किसी को लेने चाहिए ये 4 सबक
शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के महत्वपूर्ण योगदान को सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता है. यहां जानिए डॉ. राधाकृष्णन के जीवन से जुड़ी वो चीजें, जिनसे हर किसी को सबक लेने की जरूरत है.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से हर किसी को लेने चाहिए ये 4 सबक (Zee News)
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से हर किसी को लेने चाहिए ये 4 सबक (Zee News)
हर साल 5 सितंबर को देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन होता है. शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. राधाकृष्णन के महत्वपूर्ण योगदान को सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता है. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने लंबे समय तक शिक्षण कार्य कर तमाम छात्रों के जीवन को उज्जवल बनाया. राधाकृष्णन दर्शनशास्त्र के विद्वान थे. उन्होंने भारतीय संस्कृति, परंपरा और दर्शनशास्त्र का गहन अध्ययन किया था. एक बार पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राधाकृष्णन के बारे में कहा था, कि 'सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कई क्षमताओं से अपने देश की सेवा की है, लेकिन सबसे बढ़कर, वे एक महान शिक्षक हैं जिनसे हम सभी ने बहुत कुछ सीखा है और आगे भी सीखते रहेंगे.' आज शिक्षक दिवस के मौके पर आपको बताते हैं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के साधारण जीवन से जुड़ी वो बातें, जिनसे हर किसी को सबक लेना चाहिए.
साधारण रहन-सहन और उच्च विचार
देश के राष्ट्रपति बनने के बाद भी सर्वपल्ली ने अपनी सहजता को नहीं छोड़ा. वे स्वभाव से काफी सहज और सरल थे. साधारण रहन-सहन और उच्च विचार उनके व्यक्तित्व का आभूषण था. वे अक्सर सिर में सफेद रंग की पगड़ी के साथ सफेद रंग की धोती और कुर्ता पहने नजर आते थे. साधारण रहन-सहन और उच्च विचार
के इस स्वभाव ने उन्हें गुरुओं का भी गुरु बना दिया.
सीखने की ललक
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि व्यक्ति को जीवनभर कुछ न कुछ सीखने को मिलता है. इस कारण वे पूरे विश्व को अपना गुरु मानते थे और जहां, जिससे, जो कुछ भी सीखने को मिले, वो इसमें कोई संकोच नहीं करते थे और उन बातों को अपने अंदर उतारते थे.
बच्चों के बौद्धिक विकास पर जोर
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
डॉ. राधाकृष्णन कहा करते थे कि एक शिक्षक का काम सिर्फ छात्रों को पढ़ाना नहीं होता. छात्र हमारे देश का भविष्य हैं, ऐसे में उनका बौद्धिक विकास करना भी शिक्षक का जिम्मा है. इस कारण डॉ. राधाकृष्णन बच्चों के लिए कभी पढ़ाई को बोझ नहीं बनने देते थे. पढ़ाई में बच्चों का मन को लगाए रखने के लिए वे कई बार पढ़ाते समय बच्चों को हंसाने वाले किस्से भी सुना दिया करते थे.
भेदभाव से दूर
तमाम ग्रंथों के ज्ञानी होने के बावजूद डॉ. राधाकृष्णन के जीवन में अहंकार जैसी कोई चीज नहीं थी. वे सभी लोगों को समान दृष्टि से देखते थे. 1954 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें 'भारत रत्न' की उपाधि से सम्मानित किया था.
10:45 AM IST