Shardiya Navratri Day 5: करियर और कारोबार में सफलता दिलाती हैं स्कंदमाता, नवरात्रि के पांचवें दिन ऐसे करें उनकी पूजा
मां स्कंदमाता की पूजा से सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आर्थिक स्थिति बेहतर होती है, वहीं जिन लोगों को संतान की चाह है, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है.
करियर और कारोबार में सफलता दिलाती हैं स्कंदमाता, नवरात्रि के पांचवें दिन ऐसे करें उनकी पूजा (Zee News)
करियर और कारोबार में सफलता दिलाती हैं स्कंदमाता, नवरात्रि के पांचवें दिन ऐसे करें उनकी पूजा (Zee News)
शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप को समर्पित है. स्कंदमाता का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है स्कंद और माता, स्कंद कार्तिकेय भगवान का नाम है यानी जो स्कंद की माता हैं, उन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. यानी माता का ये रूप साक्षात माता पार्वती का स्वरूप है और मातृत्व को परिभाषित करने वाला है. मां स्कंदमाता की पूजा से सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आर्थिक स्थिति बेहतर होती है, वहीं जिन लोगों को संतान की चाह है, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं स्कंदमाता की पूजा का महत्व, पूजा विधि और मंत्र.
ऐसा है मां स्कंदमाता का रूप
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो स्कंदमाता के रूप में माता पार्वती शेर पर सवार रहती है. उनके 4 हाथ हैं. अपने एक हाथ में कार्तिकेय को पकड़े हुए हैं, उनके दूसरे और तीसरे हाथ में कमल है और चौथे हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देती हैं. मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है. मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं.
पूजा से मिलती है करियर और कारोबार में सफलता
माता स्कंदमाता की पूजा करने से बुध ग्रह प्रबल होता है और बुध ग्रह के नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं. बुध ग्रह मजबूत होने पर बौद्धिक, तार्किक और गणना शक्ति मजबूत होती है. व्यापार, शिक्षा और नौकरी में भारी सफलता मिलती है. ऐसे में व्यक्ति को आर्थिक रूप से मुनाफा होता है. वहीं जिन लोगों को को संतान की चाह है, वे अगर सच्चे मन से स्कंदमाता की पूजा अर्चना करें तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. वहीं साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं.
स्कंदमाता पूजा विधि
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सबसे पहले घर पर स्थित कलश पूजन करें. इसके बाद गणपति की पूजा करते हुए सभी देवी देवताओं का पूजन करें. इसके बाद स्कंदमाता का पूजन करें. माता को दूध, दही, घी, शहद और बूरा से स्नान करवाएं. इसके बाद गंगाजल से स्नान करवाएं. रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, पान, सुपारी, लौंग का जोड़ा, चुनरी या वस्त्र स्वरूप कलावा, दक्षिणा, धूप और दीप अर्पित करें. इसके बाद मातारानी को केले व खीर का भोग लगाएं. इसके बाद माता के मंत्र, सप्तशती दुर्गा का पाठ और दुर्गा चालीसा आदि पढ़ें. इसके बाद आरती करें.
इन मंत्रों का करें जाप
- ॐ सिंहासन नित्यं पद्माश्रितकतद्वया, शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी
- ॐ देवी स्कन्दमातायै नम:
- या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
- ॐ स्कन्दमात्रै नम:
08:54 AM IST