Moonlighting: हंगामा क्यों है बरपा? सिर्फ 4 सवालों में समझिए क्या है पूरा माजरा, क्यों हो रही है इतनी चर्चा और कैसे हुई शुरुआत?
मूनलाइटिंग सबसे पहले आईटी सेक्टर की वजह से ही लाइमलाइट में आया. विप्रो ने 300 कर्मचारियों की छंटनी की. वहीं, इंफोसिस ने इंटरनल मेल के जरिए सभी एम्प्लाइज को चेतावनी दी.
मूनलाइटिंग.. वो शब्द जो पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है. आईटी सेक्टर में तो इसे लेकर हंगामा बरपा है. हाल ही में विप्रो ने अपने 300 कर्मचारियों को सिर्फ मूनलाइटिंग के चलते निकाल दिया. विप्रो के इस कदम के बाद ही इस शब्द को लेकर चर्चा शुरू हुई. हालांकि, इंडस्ट्री में मूनलाइटिंग को लेकर अलग-अलग मत हैं. कोई मूनलाइटिंग को धोखा बता रहा है तो किसी ने इसे कर्मचारियों का हक बताया है. लेकिन, आखिर ये है क्या? क्यों इतनी चर्चा हो रही है. इस पूरी बहस की शुरुआत कैसे हुई?
सवाल 1- आखिर ये मूनलाइटिंग है क्या?
मान लीजिए कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी यानि परमानेंट नौकरी कर रहा है. लेकिन, उसके साथ ही चोरी-छिपे या अपनी कंपनी को बिना बताया कोई दूसरा प्रोजेक्ट, असाइनमेंट या दूसरी जगह काम कर रहा है तो उसे तकनीकी तौर पर मूनलाइटिंग (Moonlighting) कहा जाता है. ये दूसरी नौकरी पार्ट टाइम या कुछ समय के लिए प्रोजेक्ट हो सकता है. इसे मूनलाइट इसलिए कहा गया क्योंकि, पहली नौकरी आप दिन में करते हैं मतलब सुबह 9-10 बजे से शाम 6-7 बजे तक और दूसरी नौकरी रात में या फिर वीकएंड में की जाती है. इसलिए इसे मून यानी चंद्रमा से जोड़ा गया है.
सवाल 2- क्यों हो रही है Moonlighting की चर्चा?
दरअसल, मूनलाइटिंग सबसे पहले आईटी सेक्टर की वजह से ही लाइमलाइट में आया. विप्रो ने 300 कर्मचारियों की छंटनी की. वहीं, इंफोसिस ने इंटरनल मेल के जरिए सभी एम्प्लाइज को चेतावनी दी. वहीं, IBM और TCS ने भी इस पर आपत्ति जाहिर की. इन सबके एक ही मुद्दे पर कूदने से चर्चा ने जोर पकड़ा. एक साथ दो नौकरी वाले कर्मचारियों की वजह से ये चर्चा में आया.
सवाल 3- Moonlighting की चर्चा आखिर शुरू कहां से और कैसे हुई?
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आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी विप्रो से ही इसकी शुरुआत हुई. 20 अगस्त 2022 को कंपनी के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने एक ट्वीट कर इस मुद्दे पर राय दी और इसे धोखा बताया. उन्होंने अपने ट्वीट में सीधे लिखा- पिछले कुछ दिनों से मूनलाइटिंग को लेकर काफी चर्चा है. लेकिन This is cheating - plain and simple. इसके बाद ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) के कार्यक्रम में रिशद प्रेमजी ने कहा कि मूनलाइटिंग कंपनी के प्रति निष्ठा का पूरी तरह से उल्लंघन है. किसी भी कर्मचारी के लिए एक ही समय में दो नौकरी करना वाजिब नहीं है.
सवाल 4- ‘मूनलाइटिंग’ सही या गलत?
आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनियों ने मूनलाइटिंग पर अपनी राय दी है. IBM ने मूनलाइटिंग को अनैतिक बताया है. इंफोसिस ने भी ‘मूनलाइटिंग’ पर नौकरी से निकालने की बात कही है. विप्रो ने मूनलाइटिंग के आरोप में 300 कर्मचारियों को निकाल दिया है. लेकिन, इनसे बिल्कुल अलग टेक महिंद्रा ने मूनलाइटिंग का समर्थ किया है. टेक महिंद्रा का मानना है कि शिफ्ट के बाद कर्मचारी अपने फैसले ले सकता है. टेक महिंद्रा के CEO सीपी गुरनानी (CP Gurnani) ने इसका समर्थन किया है. उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि समय के साथ बदलते रहना जरूरी है और मैं हमारे काम करने के तरीकों में बदलाव का स्वागत करता हूं. ऑनलाइन फूड डिलिवरी करने वाली कंपनी Swiggy ने मूनलाइटिंग को अपने यहां मंजूरी दी है. स्विगी ने इसे लेकर अपनी पॉलिसी भी बनाई है. स्विगी ने कहा है कि कर्मचारी अपनी शिफ्ट के बाद दूसरे प्रोजेक्ट्स पर काम कर सकते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि कम सैलरी वाले लोग इस तरह की मूनलाइट जॉब्स करते हैं. इससे कुछ अतिरिक्त इनकम करने की कोशिश होती है. महामारी के दौर के बाद से इसमें तेजी आई है. वर्क फ्रॉम होम की वजह से कर्मचारियों को मूनलाइटिंग का मौका मिला. अभी तक कुछ अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर के लोग ऐसा करते थे. लेकिन, अब आईटी सेक्टर में भी इस तरह का रुख देखने को मिला है. यही वजह है कि विप्रो ने 300 कर्मचारियों को पकड़ा और निकाल दिया. हालांकि, ऑफिस के बाद किसी भी तरह का काम करने से रोकना गलत है. हां दोनों जगह पे-रोल पर काम नहीं किया जा सकता. लेकिन, अगर कोई पार्ट टाइम करता है तो इसमें हर्ज नहीं होना चाहिए.
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