Makar Sankranti के दिन ही क्यों सूर्य होता है उत्तरायण, समझें इसके पीछे का विज्ञान
सूर्य की दो स्थितियां बताई जाती हैं उत्तरायण और दक्षिणायण. शास्त्रों में उत्तरायण को बेहद शुभ माना गया है और उत्तरायण मकर संक्रांति के दिन से शुरू होता है. जानें मकर संक्रांति के दिन ही क्यों होता है उत्तरायण.
Makar Sankranti के दिन ही क्यों सूर्य होता है उत्तरायण, समझें इसके पीछे का विज्ञान
Makar Sankranti के दिन ही क्यों सूर्य होता है उत्तरायण, समझें इसके पीछे का विज्ञान
Makar Sankranti को सूर्य उत्तरायण का पर्व माना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. उत्तरायण यानी सूर्य का उत्तर दिशा की ओर गमन. इस कारण मकर संक्रांति के पर्व को उत्तरायण पर्व के नाम से भी जाना जाता है. उत्तरायण को शास्त्रों में बेहद शुभ माना गया है. इसे देवताओं का समय कहा जाता है. जब सूर्य उत्तरायण होता है तो दिन बड़ा होने लगता है और रात छोटी होने लगती है. कहा जाता है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने बाणों की शैय्या पर लेटकर उत्तरायण का इंतजार किया था और मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होने के बाद ही अपने प्राणों को त्यागा था. यहां जानिए क्या होता है उत्तरायण, ये मकर संक्रांति के दिन ही क्यों होता है और इसका महत्व क्या है.
पहले समझिए क्या होता है उत्तरायण
दरअसल सूर्य की दो स्थितियां बताई जाती हैं उत्तरायण और दक्षिणायण. दोनों की अवधि छह-छह महीने की होती है. जब सूर्य उत्तर दिशा की ओर गमन करते हुए मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, तो इसे उत्तरायण कहते हैं और जब दक्षिण दिशा की ओर कर्क राशि से धनु राशि तक का भ्रमण करता है, तो इसे दक्षिणायण कहा जाता है. उत्तरायण को प्रकाश का समय कहा गया है और काफी शुभ माना गया है. इसमें दिन बड़े हो जाते हैं और रात छोटी हो जाती हैं. जबकि दक्षिणायन में रात बड़ी हो जाती हैं और दिन छोटे हो जाते हैं.
मकर संक्रांति पर ही क्यों होता है उत्तरायण
वैज्ञानिक रूप से 22 दिसंबर की दोपहर को सूर्यदेव ट्रॉपिक ऑफ कैप्रिकोर्न पर होते हैं. इस स्थिति को दक्षिण अयनांत की स्थिति कहा जाता है. इसी दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लंबी रात होती है. इस दिन से ठंड बहुत तेजी से बढ़ना शुरू हो जाती है और मकर संक्रांति तक ठंड काफी जबरदस्त होती है. 14 जनवरी को सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है. मकर में प्रवेश करने के कारण इस दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है और इस दिन के बाद सूर्य उत्तर दिशा की ओर यानी मिथुन राशि की ओर गमन करने लगता है. इस कारण मकर संक्रांति के दिन से उत्तरायण शुरू हो जाता है. उत्तरायण शुरू होने के साथ ही ठंड का प्रभाव भी धीरे-धीरे कम होने लगता है.
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सूर्य के उत्तर दिशा में गमन करने का क्रम करीब छह महीने तक यानी 21 जून तक चलता है. 21 जून को जब सूर्य जब उत्तरी चरम बिंदु पर होता है तो फिर से अयनांत की स्थिति होती है, इसे उत्तर अयनांत कहते हैं. 21 जून को सबसे बड़ा दिन होता है. इसके बाद कर्क संक्रांति तक गर्मी पूरा जोर पकड़ती है. इसके बाद सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और धीरे-धीरे गर्मी कम होने लगती है.
क्यों शुभ माना जाता है उत्तरायण
उत्तरायण को प्रकाश का समय कहा जाता है. इसमें दिन बड़े होने के कारण व्यक्ति की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है. इसे देवताओं का समय माना जाता है और पुण्य काल कहा गया है. इस दौरान दान, यज्ञ और मांगलिक कार्य आदि शुभ माने गए हैं. गीता में बताया गया है कि उत्तरायण काल में शरीर का त्याग करने पर मोक्ष की प्राप्ति ही होती है.
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02:22 PM IST